राजनीति में वंशवाद और परिवारवाद
न हर्रे न फिटकरी, मार मलाई चाप |
चून लगाए देश को, दूषित क्रिया-कलाप |
दूषित क्रिया-कलाप, शुद्ध व्यापारिक रिश्ता |
खा पिश्ता बादाम, झूठ का बना फ़रिश्ता |
वादा कारोबार, पुत्र पत्नी वधु पुत्री |
सौंप विरासत जाय, हमारे नेता मंत्री ||
चून लगाए देश को, दूषित क्रिया-कलाप |
दूषित क्रिया-कलाप, शुद्ध व्यापारिक रिश्ता |
खा पिश्ता बादाम, झूठ का बना फ़रिश्ता |
वादा कारोबार, पुत्र पत्नी वधु पुत्री |
सौंप विरासत जाय, हमारे नेता मंत्री ||
वाणी गीत
बोधमिता नीलम पुरी, नीलिमा गुरमीत |
अमितानंद राहुल अजय, जैसबी गुरजीत |
जैसबी गुरजीत, आनन्द वन्दना गुन्जन |
रचें पल्लवी गीत, करे पाठक मन-रंजन |
अंजू बन्धु मुकेश, बहुत आभारी रविकर |
शुभ कस्तूरी गंध, विमोचन हो बढ़-चढ़ कर ||
अमितानंद राहुल अजय, जैसबी गुरजीत |
जैसबी गुरजीत, आनन्द वन्दना गुन्जन |
रचें पल्लवी गीत, करे पाठक मन-रंजन |
अंजू बन्धु मुकेश, बहुत आभारी रविकर |
शुभ कस्तूरी गंध, विमोचन हो बढ़-चढ़ कर ||
Avinash Vachaspati Babaram पहले यह पुष्टि कीजिए संतोष जी कि देश की नाक भी होती है, अगर होती है तो क्या उसमें दर्द भी होता है। अगर होता है तो उसकी चिकित्सा के लिए औषधि क्यों नहीं बनाई जा सकी। इसके दोषी कौन हैं, बीमार देश की पब्लिक ?
होती है हमने सुनी, दर्द नाक है आज ।
खतर नाक कल होयगी, छुपे हुवे सौ राज ।
छुपे हुवे सौ राज, नाक में दम कर देगा ।
बना नाक का बाल, यही सीता हर लेगा ।
सूर्पनखा की नाक, कटी थी काफी पहले ।
आज त्रस्त मैनाक, बगल में दुर्जन टहले ।।
दिलबाग विर्क
बेचैन आत्मा
गिरहकटों का काम है, पूरा धक्का मार |
ध्यान बटा कि सटा दें , इक ब्लेड की धार |
इक ब्लेड की धार, मरो ससुरों दंगों में |
माल कर गए पार, हुई गिनती नंगों में |
झूठ-मूठ के खेल, जान-जोखिम का शिरकत |
देंगें बम्बू ठेल, आँख बायीं है फरकत ||
दिलबाग विर्क
Hindi Bloggers Forum International (HBFI)
हुई खताएं खुदी से, दब्बूपन की भेंट |
शुभ-अवसर आते रहे, लेकिन रविकर लेट |
लेकिन रविकर लेट, ट्रेन छोड़ी इ'स्टेशन |
रखता भाव समेट, मिले जीवन में लेशन |
जाया टिप्पण होय, नहीं अब जाया जाए |
रुई कान में डाल, बात पर वो मुस्काये ||
हुई खताएं खुदी से, दब्बूपन की भेंट |
शुभ-अवसर आते रहे, लेकिन रविकर लेट |
लेकिन रविकर लेट, ट्रेन छोड़ी इ'स्टेशन |
रखता भाव समेट, मिले जीवन में लेशन |
जाया टिप्पण होय, नहीं अब जाया जाए |
रुई कान में डाल, बात पर वो मुस्काये ||
काहे हउआ हक्का-बक्का..!
देवेन्द्र पाण्डेयबेचैन आत्मा
गिरहकटों का काम है, पूरा धक्का मार |
ध्यान बटा कि सटा दें , इक ब्लेड की धार |
इक ब्लेड की धार, मरो ससुरों दंगों में |
माल कर गए पार, हुई गिनती नंगों में |
झूठ-मूठ के खेल, जान-जोखिम का शिरकत |
देंगें बम्बू ठेल, आँख बायीं है फरकत ||
नागा बाबा
सुशील
उल्लूक टाईम्स
नागा बाबा ढूंढता, सुन्दर दादीजान |
करता पर अफ़सोस है, गया एक पहचान |
गया एक पहचान, पुरानी देखी बिल्ली |
ली चिथड़े दो डाल, गई थी ये तो दिल्ली |
कपड़ों का संताप, कैट पर गुस्सा आये |
इसी बीच में आप, बेवजह टांग अड़ाए ||
करता पर अफ़सोस है, गया एक पहचान |
गया एक पहचान, पुरानी देखी बिल्ली |
ली चिथड़े दो डाल, गई थी ये तो दिल्ली |
कपड़ों का संताप, कैट पर गुस्सा आये |
इसी बीच में आप, बेवजह टांग अड़ाए ||
नेक सलाह दे रहा हूँ......... !
पी.सी.गोदियाल "परचेत" at अंधड़ !
कभी डकैतों से रहा, चम्बल जल बदनाम |
आज फकैतों ने लिया, जाल जला जल जाम |
जाल जला जल जाम, जमीं जर जंगल जोरू |
रहे लूट दोउ हाथ, बैठ मैं खीस निपोरुं |
पक्का किया करेज, लीज पर मैं भी लूंगा |
रक्खूं भूमि सहेज, घूस भी दूना दूंगा ||
आज फकैतों ने लिया, जाल जला जल जाम |
जाल जला जल जाम, जमीं जर जंगल जोरू |
रहे लूट दोउ हाथ, बैठ मैं खीस निपोरुं |
पक्का किया करेज, लीज पर मैं भी लूंगा |
रक्खूं भूमि सहेज, घूस भी दूना दूंगा ||
असम हिंसा : क्या हो स्थायी हलSumanलो क सं घ र्ष !
तथ्यात्मक यह लेख है, पूर्णतया निष्पक्ष ।
दुनिया भर के लेखकों, समझो सारे पक्ष ।
समझो सारे पक्ष, दोष यूँ नहीं लगाओ ।
बने सही माहौल, किसी को नहीं भगाओ ।
अपने दुश्मन देश, लड़ाने का दे ठेका ।
जाते हम पगलाय, जहाँ कुछ टुकड़े फेंका ।। |
मृत्यु तक फांसी पर लटकाया जाये गोपाल कांडा को !
शिखा कौशिक
(विचारों का चबूतरा )
जितने पल इसने जिये, दुःख के उतने मास ।
मांसखोर के अंग को, काट करें उपहास ।
काट करें उपहास, उलट लटकाएं भैंसा ।
दंड नियम प्राचीन, मिले जैसे को तैसा ।
लेकिन जिम्मेदार, पिता भाई भी थोड़े ।
रूपया आता देख, रहे चुप पड़े निगोड़े ।। |
तुम उसकी गर्दन नहीं नाप सकते---देवेंद्र गौतमपूर्वोत्तर की दुर्दशा, हँसा काल का गाल | चढ़ा धर्म का गम-गलत, दे दरिया में डाल | दे दरिया में डाल, रक्त से लाल हुई है | फैले नित्य बवाल, व्यस्था छुई मुई है | इच्छा शक्ति अभाव, भाव जिसको दो ज्यादा | बनता वही वजीर, ऊंट घोडा गज प्यादा || |
कार्टून :- मंगल पे मंगू
तेरे बिन कैसे वहां, बन पाए सरकार | करते अपना पक्ष सबल, वोट पोट दरकार | वोट पोट दरकार, तुम्हारे खातिर शातिर | बना योजना खाँय, इसी में माहिर आखिर | देखें अपना लाभ, करेंगे सीधा उल्लू | ले जायेंगे साब, पियो पानी एक चुल्लू || |
ईद मुबारक
आमिर दुबई
मोहब्बत नामा
ईद मुबारक बंधुवर, होवे दुआ क़ुबूल ।
प्यारे हिन्दुस्तान में, बैठे उडती धूल ।
बैठे उडती धूल, आंधियां अब थम जावें ।
द्वेष ईर्ष्या भूल, लोग न भगें-भगावें ।
झंझट होवे ख़त्म, ख़तम हों टंटा -कारक ।
दुनिया के सब जीव, सभी को ईद मुबारक ।। |
न्यायिक दृष्टिकोण का यह खतना तो
खलिश पैदा कर रहा है बामियान से लखनऊ, महावीर से बुद्ध | हो शहीद मुंबई में, इ'स्मारक से युद्ध | इ'स्मारक से युद्ध, दिखा नाजायज सारा | क्यूँ मुसलमान प्रबुद्ध, करे चुपचाप गवारा | आगे आकर बात, रखो पूरी शिद्दत से | ठीक करो हालात, बिगड़ते जो मुद्दत से || |
कौड़ी कौड़ी बेंचते, झारखंड का माल ।
बाशिंदे कंगाल है, पूछे मौत सवाल ।
पूछे मौत सवाल, आज ही क्या आ जाऊं ?
पल पल देते टाल, हाल क्या तुम्हें बताऊँ?
डूब मरे सरकार, घुटाले करके भारी ।
होते हम तैयार, रखो तुम भी तैयारी ।।
जाले
ReplyDeleteन हर्रे न फिटकरी, मार मलाई चाप |
चून लगाए देश को, दूषित क्रिया-कलाप |
दूषित क्रिया-कलाप, शुद्ध व्यापारिक रिश्ता |
खा पिश्ता बादाम, झूठ का बना फ़रिश्ता |
वादा कारोबार, पुत्र पत्नी वधु पुत्री |
सौंप विरासत जाय, हमारे नेता मंत्री ||
.एक से बढ़के एक सेतुओं पर एक्स -रे टिपण्णी हैं आपकी .बधाई .
द्रुत टिपण्णी के लिए शुक्रिया भाई साहब आपकी टिपण्णी हमारे लेखन की आंच है .काइरोप्रेक्टिक श्रृंखला पर अभी १२ -१३ आलेख और आनें हैं .
ReplyDeleteवीरुभाई ,केंटन ,मिशगन .एक से बढ़के एक सेतुओं पर एक्स -रे टिपण्णी हैं आपकी .बधाई .
वाह,,, बहुत अच्छी प्रस्तुति,
ReplyDeleteईद मुबारक !
ReplyDeleteआप सभी को भाईचारे के त्यौहार की हार्दिक शुभकामनाएँ!
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इस मुबारक मौके पर आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल सोमवार (20-08-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
टिप्पणी , चर्चा और कविता सब एक साथ !
ReplyDeleteशानदार !
शुभकामनायें !
इस पर टिप्पणी करने आओ
ReplyDeleteतो ऎसा कुछ हो जाता है
जैसे फुटकर बेचने वाला कोई
माल गोदाम पहुंच जाता है!