"ग़ज़ल-खेल समय का बहुत अजब" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
चैन सजा के होंठ पर, सजा सजा सा सैन |
सजा सजा सा सैन, कहाँ रक्खी बत्तीसी |
हास्य-व्यंग पर कसक, कसक निकलेगी खीसी |
माना उम्रदराज, देह घेरे बीमारी |
फिर भी करिए नाज, अभी भी बची खुमारी ||
चुटकी का बजना सार्थक होता है !!!
सदा
SADA
SADA
उड़ा चुटकियों पर रहा, चालू चुटकी बाज |
करूँ चुटकियों में ख़तम, तेरी यह आवाज |
तेरी यह आवाज, चुटकना चुटकी भरना |
समझौते का साज, तोड़ के व्यर्थ अकड़ना |
है मेरा यह स्नेह, गेह रूपी यह नौका |
खेती बिन संदेह, कहो जब दूँगी चौका |
करूँ चुटकियों में ख़तम, तेरी यह आवाज |
तेरी यह आवाज, चुटकना चुटकी भरना |
समझौते का साज, तोड़ के व्यर्थ अकड़ना |
है मेरा यह स्नेह, गेह रूपी यह नौका |
खेती बिन संदेह, कहो जब दूँगी चौका |
पंडित श्री लालकृष्ण आडवाणी!!
अड़-डंडा झुकता गया, अड़-वाणी की नाव ।
हिचकोले खाने लगी, ठगी खड़ी इस गाँव ।
ठगी खड़ी इस गाँव, *अड़डपोपो अड़ियल की |
पी एम् होगा वहीँ , पार्टी जो मरियल सी |
पी एम् होगा वहीँ , पार्टी जो मरियल सी |
*शुभाशुभ बताने वाला |
कांग्रेस दो अंक, किन्तु चुप्पी भाजप पर |
पाए ना दो सीट, आस अन्ना की बेहतर ||
जियो जिन्दगी धीर धर, नीति-नियम से युक्त |
परहितकारी कर्म शुभ, हंसों ठठा उन्मुक्त ||
वक्त वक्त की बात है, बढ़िया था वह दौर |
समय बदलता जा रहा, कुछ बदलेगा और |
कुछ बदलेगा और, आग से राख हुई जो |
पानी धूप बयार, प्यार से तनिक छुई जो |
मिट जायेगा दर्द, सर्द सी सिसकारी में |
ढक जाएगा गर्द, और फिर लाचारी में |
महत्वकांक्षा चाव, प्रेम खुब मात-पिता से |
किन्तु डुबाती नाव, कहूँ मैं दुखवा कासे |
करे फिजा बन व्याह, कब्र रविकर इक खोदो |
दो जलाय दफ़नाय, तड़पती चाहें दो-दो ||
परहितकारी कर्म शुभ, हंसों ठठा उन्मुक्त ||
पता न था वक्त ऐसे बदल जाएगा
Maheshwari kaneri
वक्त वक्त की बात है, बढ़िया था वह दौर |
समय बदलता जा रहा, कुछ बदलेगा और |
कुछ बदलेगा और, आग से राख हुई जो |
पानी धूप बयार, प्यार से तनिक छुई जो |
मिट जायेगा दर्द, सर्द सी सिसकारी में |
ढक जाएगा गर्द, और फिर लाचारी में |
आत्महत्याएं
दो दो हरिणी हारती, हरियाणा में दांव |
हरे शिकारी चतुरता, महत्वकांक्षा चाव |
हरे शिकारी चतुरता, महत्वकांक्षा चाव |
महत्वकांक्षा चाव, प्रेम खुब मात-पिता से |
किन्तु डुबाती नाव, कहूँ मैं दुखवा कासे |
करे फिजा बन व्याह, कब्र रविकर इक खोदो |
दो जलाय दफ़नाय, तड़पती चाहें दो-दो ||
अरे वाह...!
ReplyDeleteअब पता लगा कि मुँह पर चेन लगाने के क्या फायदे हैं।
सुन्दर कुण्डलियों में बाँधा है आपने सबको!
कुण्डलियों में बाँधा समा,मुख पर चैन लगाय
ReplyDeleteरविकरजी है टीपते,पढकर सबका मन भरमाय,,,,,
आभार रविकर जी,,,,
RECENT POST...: जिन्दगी,,,,
बहुत सुन्दर रविकर जी,,,, मुझे शामिल करने के लिए आप का आभार..
ReplyDeleteबहुत - बहुत आभार
ReplyDeleteअच्छे लिंक पढवाए ,ऐसे आप टिपियाए .
ReplyDeleteठगी खड़ी इस गाँव, *अड़डपोपो अड़ियल की |
पी एम् होगा वहीँ , पार्टी जो मरियल सी |