my dreams 'n' expressions.....याने मेरे दिल से सीधा कनेक्शन.
मेरी डायरी का एक पन्ना....30/9/2011
चौवालिस देखे बसन्त, दो बच्चों की मातु |
खुश रहिये जीवन-पर्यन्त, बना रहे अहिवातु |
बना रहे अहिवातु, केमेस्ट्री बढ़िया हरदम |
नियमित लिखिए ब्लॉग, दिखाते रहिये दमखम |
संस्कार शुभ प्यार, मिले बच्चों को खालिस |
धुरी धार परिवार, चलो फिर से चौवालिस ||
खुश रहिये जीवन-पर्यन्त, बना रहे अहिवातु |
बना रहे अहिवातु, केमेस्ट्री बढ़िया हरदम |
नियमित लिखिए ब्लॉग, दिखाते रहिये दमखम |
संस्कार शुभ प्यार, मिले बच्चों को खालिस |
धुरी धार परिवार, चलो फिर से चौवालिस ||
फ़ुरसत में … चिठियाना का साक्षात्कार
मनोज कुमार
मनोज
चिचियाना की चतुरता, प्रश्नों में प्रगटाय |
चिठियाना की विकलता, आय दागती ठांय |
आय दागती ठांय, दिशा गाँवों में जाए |
बिन बिजली बहलाय, कहीं भी निपटा आये |
रविकर ब्लॉगर श्रेष्ठ, सुने न समालोचना |
मिठ्ठू मियां अकेल, करे खुरपेंच-कोंचना ||
मनोज
चिचियाना की चतुरता, प्रश्नों में प्रगटाय |
चिठियाना की विकलता, आय दागती ठांय |
आय दागती ठांय, दिशा गाँवों में जाए |
बिन बिजली बहलाय, कहीं भी निपटा आये |
रविकर ब्लॉगर श्रेष्ठ, सुने न समालोचना |
मिठ्ठू मियां अकेल, करे खुरपेंच-कोंचना ||
प्रेम के निष्कर्ष
(प्रवीण पाण्डेय)
न दैन्यं न पलायनम्
तरह तरह के प्रेम हैं, अपना अपना राग |
मन का कोमल भाव है, जैसे जाये जाग |
जैसे जाये जाग, वस्तु वस्तुत: नदारद |
पर बाकी सहभाग, पार कर जाए सरहद |
जड़ चेतन अवलोक, कहीं आलौकिक पावें |
लुटा रहे अविराम, लूट जैसे मन भावे |
सर झुकता है हृदय से, श्रद्धा सह विश्वास |
चारित्रिक उत्कृष्टता, होवें लक्षण ख़ास |
होवें लक्षण ख़ास, आज दुश्चिंता दीखे |
लाभ हानि का खेल, सतत यह दुनिया सीखे |
कार-बार सर कार, धार से बदला करते |
महत्वकांक्षा प्यार, मौत वे अपनी मरते ||
उल्लूक टाईम्स
स्वामी पर ऐतबार, याद जब भी करती हूँ |
आस-पास एहसास, सांस आहें भरती हूँ |
पति मज़बूरी समझ, स्वयं को समझा लेती |
बायाँ हाथ उठाय, दाहिने को दे देती ||
वाचस्पति के साथ में, मास्टर की आवाज |
मास्टर की आवाज, लूटने की तैयारी |
बँटती विद्या देख, हो रही मारा-मारी |
जमा हूर-लंगूर, अजब है धींगा-मुश्ती |
पहलवान का ज्ञान, बटोरो लड़ के कुश्ती ||
तरह तरह के प्रेम हैं, अपना अपना राग |
मन का कोमल भाव है, जैसे जाये जाग |
जैसे जाये जाग, वस्तु वस्तुत: नदारद |
पर बाकी सहभाग, पार कर जाए सरहद |
जड़ चेतन अवलोक, कहीं आलौकिक पावें |
लुटा रहे अविराम, लूट जैसे मन भावे |
"दोहे-बदलेंगे तकदीर" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
सर झुकता है हृदय से, श्रद्धा सह विश्वास |
चारित्रिक उत्कृष्टता, होवें लक्षण ख़ास |
होवें लक्षण ख़ास, आज दुश्चिंता दीखे |
लाभ हानि का खेल, सतत यह दुनिया सीखे |
कार-बार सर कार, धार से बदला करते |
महत्वकांक्षा प्यार, मौत वे अपनी मरते ||
श्रीमति जी की एक राय
सुशीलउल्लूक टाईम्स
वाह वाह क्या बात है, दखलंदाजी वाह |
कलम कहानी छोड़ के , जूते की परवाह |
जूते की परवाह, कीजिये पालिश हरदिन |
चलते चलते राह, झाड़िए गर्दा मुमकिन |
आदर पाओ खूब, रोब फिर देखो साजन |
ईर्ष्या में जन डूब , करेंगे दुश्मन रोदन ||
मैं फिर आऊँगा…
Maheshwari kaneri
संदेशे की शक्ति से, राह कंटीली पार |
चरैवेति का मन्त्र है, स्वामी पर ऐतबार |
चरैवेति का मन्त्र है, स्वामी पर ऐतबार |
स्वामी पर ऐतबार, याद जब भी करती हूँ |
आस-पास एहसास, सांस आहें भरती हूँ |
पति मज़बूरी समझ, स्वयं को समझा लेती |
बायाँ हाथ उठाय, दाहिने को दे देती ||
वाचस्पति के साथ में, मास्टर की आवाज |
मास्टर की आवाज, लूटने की तैयारी |
बँटती विद्या देख, हो रही मारा-मारी |
जमा हूर-लंगूर, अजब है धींगा-मुश्ती |
पहलवान का ज्ञान, बटोरो लड़ के कुश्ती ||
बहुत बढि़या..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (12-08-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
कहाँ-कहाँ से उड़ा लेते हो...?
ReplyDeleteआभार !
अच्छी प्रस्तुति।
ReplyDeleteकहाँ कहाँ से नहीं उड़ाता है
ReplyDeleteकहाँ कहाँ की ला कर उड़ाता है
पतंग बिना धागे की ढूँड लाता है
एक अलग किस्म है इस आदमी की
ईशारों इशारों में बहुत कुछ कह जाता है
पतंग दिखती है उड़ती हुई आसमान में
धागे का क्या करता है पता नहीं लग पाता है !!!
अच्छी प्रस्तुति।..मुझे शामिल करने के लिए आभार..
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रस्तुति आभार
ReplyDeleteतरह तरह के प्रेम हैं सबका अपना भाव ,
ReplyDeleteचेत सके तो चेत ले ,न चेते निर्भाव
बहुत बढ़िया प्रस्तुति सभी टिप्पणियाँ .