फैजाबादी होकर के तुम डर जाते हो राम जी ।
किडनैपिंग मर्डर कामन था, जीवन रहा हराम जी ।
हनुमत का ही नाम जापकर, कितने बरस यहाँ काटे-
हंसी उड़ाना नहीं किसी की, यह सच्चा पैगाम जी ।।
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पीले पत्ते नीचे गिरते -
घाव आज भी हरे भरे हैं | परदे में क्या शक्ल धरे वे- बदकिस्मत हम मरे मरे हैं | हरियाली जो तनिक दिखी तो रविकर पशुता चरे धरे है | |
चिदंबरम साहब हिरन आपके ही दरवाजे रुकेगा!
वाहियात यह वित्तमंत्री, गृहमंत्री भी फेल है |
कीमत मत पूछो निर्दोषों, जान, जान ले खेल है- यह लुन्गीवाला मिल लूटे, राजा रानी साथ में संसद में स्थान नहीं है, सही जगह तो जेल है || |
चुलबुल बुलबुल ढुलमुला, घुलमिल चीं चीं चोंच |
बाज बाज आवे नहीं, हलकट निश्चर पोच |
हलकट निश्चर पोच, सोच के कहता रविकर |
तन-मन मार खरोंच, नोच कर हालत बदतर |
कर जी का जंजाल, सुधारे कौन बाज को |
बेहतर रखो सँभाल, स्वयं से प्रिये लाज को ||
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prerna argal
prerna ki kalpanayen -
नई रीति से प्रीति गीतिका, दादी अम्मा गौर कीजिये |
संसर्गों की होती आदी, याद पुराना दौर कीजिये | आँखों को पढना न जाने, पढ़ी लिखी अब की महिलाएं - वर्षों मौन यौन शोषण हो, किन्तु भरोसा और कीजिये |। कांडा कांदा परत दर परत, छील-छाल कर रहा चाबता- देह-यष्टि पर गिद्ध-दृष्टि है, हाथ मांसल कौर दीजिये |। अधमी उधमी चामचोर को, देंह सौंपते नहीं विचारा- दो पैसे घर वाले पाते, जालिम को सिरमौर कीजिये ।। मीठी मीठी बातें करके, मात-पिता भाई बहलाए - अनदेखी करते अभिभावक, क्यूँकर घर में ठौर दीजिये ?? व्यवसायिक सम्बंधो में कब, कोमल भाव जगह पा जाते - स्वामी स्वामी बना सकामा, क्यूँ मस्तक पर खौर दीजिये ?? |
प्रतिभा सक्सेना
अश्वश्थामा के सिर पर, इक ख़ूनी घाव बहा करता है | निरपराध बच्चों की हत्या, यह संताप सहा करता है | मामा श्री के कर कमलों से जीवन दान मिला था तुमको- ब्रह्मास्त्र का शेष चिन्ह है , जिससे व्यक्ति सदा मरता है || |
संतोष त्रिवेदी
दबा रखो आक्रोश को, इतना अधिक अधीर | मिर्ची खाकर दे रहे, किसके मुंह को पीर | किसके मुंह को पीर, दफ़न कर दुश्मन मन को | चल यमुना के तीर, साँस दे दे भक्तन को | यह कटाक्ष यह तीर, चीर देंगे वह छाती | मत मारो हे मीर, सहन अब न कर पाती || |
- अविवाहित व्यक्ति
अविवाहित के बड़े मजे हैं-रचना उत्तम ईश्वर की | जिम्मेदारी, बड़े बझे हैं, घनचक्कर सा बदतर की | लेकिन शादी बड़ी जरुरी, शान्ति व्यवस्था जग खातिर- *छड़ा बखेड़ा खड़ा कर सके, रहे ताक में अवसर की | पहले जैसे इक्के-दुक्के, बाबा विदुषी सन्यासिन करें क्रान्ति परिवर्तन बढ़िया, देश दिशा भी बेहतर की | गृहस्थी में फंसे लोग हैं, खुराफात का समय नहीं है- फुर्सत में होते हैं जब भी, खबर खूब लें रविकर की || |
बहुत बढिया
ReplyDeleteगहरी बात आसान और मनोरंजक तरीक़े से कहने के लिए बधाई .
ReplyDeleteबड़ा काम अंजाम देने का तरीक़ा
ReplyDeleteआम तौर पर लोग यह समझते हैं कि अविवाहित आदमी बड़े मज़े में है. वह हरेक घरेलू ज़िम्मेदारी से मुक्त है और वह अपनी सारी ताक़त और सारा समय जिस काम में चाहे लगा सकता है लेकिन हकीक़त इसके ख़िलाफ़ है. दुनिया में बड़े काम करने वाले ज़्यादातर व्यक्ति विवाहित थे. असल चीज़ व्यक्ति के हालात नहीं बल्कि उसका हौसला है. हरेक आदमी अपने हौसले के मुताबिक़ ही अपनी योग्यता से काम ले पाता है.
यदि आप कोई बड़ा काम अंजाम देना चाहते हैं तो
१- अपना मक़सद हर समय अपने सामने रखें.
२- उसे पूरा करने के लिए व्यवहारिक योजना बनाएं.
३- उसे पूरा करने के लिए समय सीमा मुक़र्रर करें.
४- समय समय पर उसका जायज़ा लेते रहें और अपनी कमज़ोरियाँ दूर करते रहें.
गृहस्थी में फंसे लोग हैं, खुराफात का समय नहीं है-
ReplyDeleteफुर्सत में होते हैं जब भी, खबर खूब लें रविकर की ...
Smilesssssssssssssssss....
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