Ved Quran: जब आरएसएस के पूर्व प्रमुख के. सी. सुदर्शन जी ईद की नमाज़ अदा करने के लिए चल दिए मस्जिद की ओर Tajul Masajid
Dr. Ayaz Ahmad  
परम पूज्य हैं सुदर्शन, हम अनुयायी एक । 
 उनके बौद्धिक सुन बढ़े, आडम्बर सब फेंक । 
आडम्बर सब फेंक, निराली सोच रखें वे । 
सबका ईश्वर एक,  वही जग-नैया खेवे ।    
मूर्ति पूज न पूज, पूजते पत्थर पुस्तक । 
 पद्धति बनी अनेक, पहुँचिये जैसे रब तक ।। 
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कहीं सुदर्शन इतना न भूल जायें!
हुवे भुलक्कड़ सुदर्शन, पागल भी हो जाँय । 
धरापुत्र  का ध्यान नित, हमलावर बिलगाय । 
हमलावर बिलगाय, पूर्वज कौन भूलता ?  
 है नमाज स्वीकार,   खुदा तो एक मूलत : । 
मस्जिद दे बनवाय, बाबरी में पर लक्कड़ । 
बने मस्जिद-ए-राम,   कहेंगे यही भुलक्कड़ ।। | 
 
स्मृति शिखर से–21 : हौ राजा, चढ़ाई है!
करण समस्तीपुरी 
नत मस्तक श्रद्धा हुई, उन्नत कर्म प्रधान |
हौ राजा बम बम बजे, लगे तान प्रिय कान |
लगे तान प्रिय कान, मान बढ़ जाय विलक्षण |
परम्परा निर्वाह, धर्म का कर संरक्षण |
नेक नियत आतिथ्य, पुजारी हूँ बाबा का |
वा री भिक्षा वृत्ति, कबहुँ पर धन न ताका ||
हौ राजा बम बम बजे, लगे तान प्रिय कान |
लगे तान प्रिय कान, मान बढ़ जाय विलक्षण |
परम्परा निर्वाह, धर्म का कर संरक्षण |
नेक नियत आतिथ्य, पुजारी हूँ बाबा का |
वा री भिक्षा वृत्ति, कबहुँ पर धन न ताका ||
ज्योतिष हो गया अखबारसुशील
उल्लूक टाईम्स  
अख़बारों की खबर यह, आखर आखर अखर । 
बारो फूंको फाड़ दो, छपती अब न प्रखर । 
छपती अब न प्रखर, लीक पर चलता जाए । 
प्रश्नपत्र हो लीक, नहीं विज्ञापन भाये । 
मनमोहन का चित्र, हाथ जोड़े  जन पथ  पर ।  
अन्ना बाबा मित्र,  रखाते छत पर छप्पर ।। | 
 
इक तबस्सुम में ये दम है ...
(दिगम्बर नासवा)स्वप्न मेरे................
छोटी छोटी पंक्तियाँ, बड़े बड़े हैं भाव |
मंहगाई के दौर में, हाव-भाव बदलाव |
हाव-भाव बदलाव , कदम दो साथ चले हैं |
समय समय की बात, आज तो बहुत खले हैं |
है तेरा एहसास, सांस न टूट सकेगी |
रोना धोना सीख, नहीं तो मौत हँसेगी |
किस मिटटी के हैं बने, तने रहे जब साथ |
ताने मारें तान के, धनुष-वाण ले हाथ |
धनुष-वाण ले हाथ, हमारी मिटटी काली |
नेत्र ज्योति लूँ देख, मने अपनी दीवाली |
रविकर कर दे लाल, लहू से सींचे बंधन |
होली नहीं बवाल, समझ के करती अनबन ||
मंहगाई के दौर में, हाव-भाव बदलाव |
हाव-भाव बदलाव , कदम दो साथ चले हैं |
समय समय की बात, आज तो बहुत खले हैं |
है तेरा एहसास, सांस न टूट सकेगी |
रोना धोना सीख, नहीं तो मौत हँसेगी |
किस मिटटी के हैं बने, तने रहे जब साथ |
ताने मारें तान के, धनुष-वाण ले हाथ |
धनुष-वाण ले हाथ, हमारी मिटटी काली |
नेत्र ज्योति लूँ देख, मने अपनी दीवाली |
रविकर कर दे लाल, लहू से सींचे बंधन |
होली नहीं बवाल, समझ के करती अनबन ||
लाठी और उँगली का सहारा !
संतोष त्रिवेदी  
कद-काठी छ: फुट दिखे, चुस्त पिताजी बेश । 
नाक नक्श तो एक से, तनिक अलहदा केश ।  
तनिक अलहदा केश, रेस करवाया करते । 
माँ न करे क्लेश, हाथ में ऊँगली धरते । 
मन रविकर भरजाय, आज वे टेके लाठी। 
चौथे पन में आय, रही वो कद न काठी ।।  | 
 
  लो क सं घ र्ष !
निरपेक्ष भाव से लेख पर, साधुवाद आभार |
खरी खरी बातें कहीं, पाकी दुर्व्यवहार |
पाकी दुर्व्यवहार, आइना उन्मादी को |
करे आज बदनाम, मिली इस आजादी को |
अल्प-संख्यको झाँक, पाक के कुल अल्प-संख्यक |
रहे यहाँ जस भोग, मिलेगा उनको कब हक़ ??
खरी खरी बातें कहीं, पाकी दुर्व्यवहार |
पाकी दुर्व्यवहार, आइना उन्मादी को |
करे आज बदनाम, मिली इस आजादी को |
अल्प-संख्यको झाँक, पाक के कुल अल्प-संख्यक |
रहे यहाँ जस भोग, मिलेगा उनको कब हक़ ??
स्त्री की पहचान उसका पति है...?ZEAL
निजता सह पहचान की, सबमें अंतर्द्वंद । 
नई सदी इक्कीस में, तीव्र तीव्रतर मंद । 
तीव्र तीव्रतर मंद, सभी पहचान बनाते । 
क्या संयुक्त परिवार, अकेले भी रह जाते । 
हुआ बड़ा ही नाम, गर्व का मद भी भारी । 
लूट लिए क्या मौज,  पुरुष जो अत्याचारी ।। | 
 
प्यार का सपना,,,,
dheerendra  
मन की फुहार....   
ऐतबार निज प्यार पर, त्याग ललक पर-प्यार । 
करना अपने बस बसे, मिलना कष्ट अपार । 
मिलना कष्ट अपार, बड़ा नाजुक मिजाज है । 
कैसे हो उद्धार, यहाँ बेवफा राज है । 
धड़कन धक् धक् धीर, धमकते यहाँ अचानक । 
परबस होय शरीर, किन्तु बढ़ जाती रौनक ।। | 
 
"भोजन सदा खिलाना" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
हरे हरे पत्ते खिला, हरे राम हो जाय । 
बकरे की माँ रोज ही, बैठी खैर मनाय ।  
बैठी खैर मनाय, बढे हैं मांसाहारी । 
तनातनी विद्वेष, हर तरफ मारामारी । 
कत्लगाह सौ खोल, ताल ठोके है सत्ता । 
रखे छुपाकर पान,  ट्रम्प का काला पत्ता  ।। | 
 
स्नेह की छांव में ...सदाsada-srijan घर पर रहना शाम को, बिटिया रखना ख्याल । दे देना माँ की दवा, लेना उन्हें संभाल । लेना उन्हें संभाल , रात में आ जाऊँगा । लिखी लिस्ट है पास, एक गुड्डा लाऊंगा । हो जाये गर देर, जरा हिम्मत तुम रखना । पापा रविकर पास, नहीं तुम कहीं सुबकना ।।  | 
 
 मैया दारुखोर
मैया दारुखोर को, मिले साल की जेल |
बच्चे को पाले नहीं, दारु पेलम्पेल |
दारु पेलम्पेल, भरी हर ओर गन्दगी |
दे औलाद धकेल, नशे में बसे जिंदगी |
भूल गई जब फर्ज, हाय दैया रे दैया |
भारत की इक माय, एक लन्दन की मैया ||
बच्चे को पाले नहीं, दारु पेलम्पेल |
दारु पेलम्पेल, भरी हर ओर गन्दगी |
दे औलाद धकेल, नशे में बसे जिंदगी |
भूल गई जब फर्ज, हाय दैया रे दैया |
भारत की इक माय, एक लन्दन की मैया ||
ब्रेकिंग न्यूज : यमलोक में हंगामा !
महेन्द्र श्रीवास्तव  
आधा सच...   शोर-शराबे शोरबे, व शराब का नाम | सुरा जहाँ पर ढेर हो, होती चाय हराम | होती चाय हराम, बड़ा ही चांय - चांय है | भाषा का यह भेद, रहे तुम क्यूँ बकाय है | मन मोहन भी गए, लौट कर आये लेकिन | चन्द्रगुप्त हो गये, सोनिया के बहुरे दिन ||  | 
 


 
काबिले तारीफ़ प्रसंग है .. .कृपया यहाँ भी पधारें -
ReplyDeleteram ram bhai
बुधवार, 22 अगस्त 2012
रीढ़ वाला आदमी कहलाइए बिना रीढ़ का नेशनल रोबोट नहीं .
What Puts The Ache In Headache?
bahut bahut shukriya.
ReplyDeleteगुप्ताजी सभी लाजबाब पोस्ट | बधाई
ReplyDeleteबहुत सुन्दर..
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी प्रस्तुति।
ReplyDeleteआप तो कविता लिखने की मशीन हैं। हमारे ब्लॉग की रचना को भी सम्मान दिया ... आभार आपका।
ReplyDeleteलिंकों पर काव्यमयी टिप्पणियाँ बहुत आनन्द देतीं हैं।
ReplyDeleteआभार!