Friday, 10 August 2012

मुंह देखे का प्यार, वासनामय अधनंगा-

फ़ुरसत में … चिठियाना का साक्षात्कार

मनोज कुमार
मनोज

चिचियाना की चतुरता, प्रश्नों में प्रगटाय |
चिठियाना की विकलता, आय दागती ठांय |

 
आय दागती ठांय, दिशा गाँवों में जाए |
बिन बिजली बहलाय, कहीं भी निपटा आये |

 
रविकर ब्लॉगर श्रेष्ठ, सुने न समालोचना  |
मिठ्ठू मियां अकेल, करे खुरपेंच-कोंचना ||

मैं प्रतीक्षा में खड़ा हूँ
 Nihar Ranjan
परम प्रतीक्षा में प्रिये, रत रहिये दिन-रात |
धीरज रखिये हृदय में, सुधरेंगे हालात |

सुधरेंगे हालात, मिलेगी सबको रोटी |
पर नेता की जात, नोचती बोटी बोटी |

खोटापन भी जाय, यही  करना है हिकमत|
नहीं देश बिक जाय, खुदा की होवे रहमत || 


धूम मच गई आज तो, महारथी सब आय |
तरकश खाली कर रहे, तीखे तीर चलाय |
 
तीखे तीर चलाय, आज कृष्णा के चर्चे  |
राजनीति पर व्यंग, प्यार पर मरे अगरचे-
 
रविकर का न दोष, बड़ा मौसम बेढंगा |
मुंह देखे का प्यार, वासनामय अधनंगा ||



दोहे गीता ज्ञान के, बढ़ी पोस्ट की शान |
व्यवहारे जो मान के, प्रगति करे इंसान ||

प्रेम के निष्कर्ष

  (प्रवीण पाण्डेय) 
 न दैन्यं न पलायनम्
तरह तरह के प्रेम हैं, अपना अपना राग |
मन का कोमल भाव है, जैसे जाये जाग |


जैसे जाये जाग, वस्तु वस्तुत: नदारद |
पर बाकी सहभाग, पार कर जाए सरहद |


जड़ चेतन अवलोक, कहीं आलौकिक पावें |
लुटा रहे अविराम, लूट जैसे मन भावे |

माखनचोर !

  अभिसार का जन्म दिन 
संतोष त्रिवेदी
मैं चित्रकार हूँ !  

आई नवमी भाद्रपद, हर मंदिर आगार |
कृष्णा पैदा हो चुके, अब आये अभिसार |


अब आये अभिसार, वही आसार दिखाते |
पाए पूरा प्यार, जगत को पूरे भाते | 


जय जय मंगल काज, आज कृष्णा जो आया |
कीर्ति-पताका ताज, मिले उसका सरमाया ||


my dreams 'n' expressions.....याने मेरे दिल से सीधा कनेक्शन.

मेरी डायरी का एक पन्ना....30/9/2011



चौवालिस देखे बसन्त, दो बच्चों की मातु |
खुश रहिये जीवन-पर्यन्त, बना रहे अहिवातु |

 
बना रहे अहिवातु, केमेस्ट्री बढ़िया हरदम |
नियमित लिखिए ब्लॉग, दिखाते रहिये दमखम |

 
संस्कार शुभ प्यार, मिले बच्चों को खालिस |
धुरी धार परिवार, चलो फिर से चौवालिस ||

5 comments:

  1. आपकी छटा ही निराली है।

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  2. बहुत सुन्दर अतिउत्तम बधाई आपको

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  3. सारे मलाईदार ब्लागों का रस है निचोड़ता
    टिप्पणी भारी भारी करता है किसी और
    के कहने के लिये कुछ नहीं है छोड़ता !

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  4. दोहों में समझा दी सबको ज्ञान की बात !
    रोचक !

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