फ़ुरसत में … चिठियाना का साक्षात्कार
मनोज कुमारमनोज
चिचियाना की चतुरता, प्रश्नों में प्रगटाय |
चिठियाना की विकलता, आय दागती ठांय |
आय दागती ठांय, दिशा गाँवों में जाए |
बिन बिजली बहलाय, कहीं भी निपटा आये |
रविकर ब्लॉगर श्रेष्ठ, सुने न समालोचना |
मिठ्ठू मियां अकेल, करे खुरपेंच-कोंचना ||
Nihar Ranjan
परम प्रतीक्षा में प्रिये, रत रहिये दिन-रात |
धीरज रखिये हृदय में, सुधरेंगे हालात |
धीरज रखिये हृदय में, सुधरेंगे हालात |
सुधरेंगे हालात, मिलेगी सबको रोटी |
पर नेता की जात, नोचती बोटी बोटी |
खोटापन भी जाय, यही करना है हिकमत|
नहीं देश बिक जाय, खुदा की होवे रहमत ||
धूम मच गई आज तो, महारथी सब आय |
तरकश खाली कर रहे, तीखे तीर चलाय |
तरकश खाली कर रहे, तीखे तीर चलाय |
तीखे तीर चलाय, आज कृष्णा के चर्चे |
राजनीति पर व्यंग, प्यार पर मरे अगरचे-
रविकर का न दोष, बड़ा मौसम बेढंगा |
मुंह देखे का प्यार, वासनामय अधनंगा ||
दोहे गीता ज्ञान के, बढ़ी पोस्ट की शान |
व्यवहारे जो मान के, प्रगति करे इंसान ||
प्रेम के निष्कर्ष
(प्रवीण पाण्डेय)
न दैन्यं न पलायनम्
तरह तरह के प्रेम हैं, अपना अपना राग |
मन का कोमल भाव है, जैसे जाये जाग |
जैसे जाये जाग, वस्तु वस्तुत: नदारद |
पर बाकी सहभाग, पार कर जाए सरहद |
जड़ चेतन अवलोक, कहीं आलौकिक पावें |
लुटा रहे अविराम, लूट जैसे मन भावे |
आई नवमी भाद्रपद, हर मंदिर आगार |
कृष्णा पैदा हो चुके, अब आये अभिसार |
अब आये अभिसार, वही आसार दिखाते |
पाए पूरा प्यार, जगत को पूरे भाते |
जय जय मंगल काज, आज कृष्णा जो आया |
कीर्ति-पताका ताज, मिले उसका सरमाया ||
चौवालिस देखे बसन्त, दो बच्चों की मातु |
खुश रहिये जीवन-पर्यन्त, बना रहे अहिवातु |
बना रहे अहिवातु, केमेस्ट्री बढ़िया हरदम |
नियमित लिखिए ब्लॉग, दिखाते रहिये दमखम |
संस्कार शुभ प्यार, मिले बच्चों को खालिस |
धुरी धार परिवार, चलो फिर से चौवालिस ||
तरह तरह के प्रेम हैं, अपना अपना राग |
मन का कोमल भाव है, जैसे जाये जाग |
जैसे जाये जाग, वस्तु वस्तुत: नदारद |
पर बाकी सहभाग, पार कर जाए सरहद |
जड़ चेतन अवलोक, कहीं आलौकिक पावें |
लुटा रहे अविराम, लूट जैसे मन भावे |
माखनचोर !
आई नवमी भाद्रपद, हर मंदिर आगार |
कृष्णा पैदा हो चुके, अब आये अभिसार |
अब आये अभिसार, वही आसार दिखाते |
पाए पूरा प्यार, जगत को पूरे भाते |
जय जय मंगल काज, आज कृष्णा जो आया |
कीर्ति-पताका ताज, मिले उसका सरमाया ||
my dreams 'n' expressions.....याने मेरे दिल से सीधा कनेक्शन.
मेरी डायरी का एक पन्ना....30/9/2011
चौवालिस देखे बसन्त, दो बच्चों की मातु |
खुश रहिये जीवन-पर्यन्त, बना रहे अहिवातु |
बना रहे अहिवातु, केमेस्ट्री बढ़िया हरदम |
नियमित लिखिए ब्लॉग, दिखाते रहिये दमखम |
संस्कार शुभ प्यार, मिले बच्चों को खालिस |
धुरी धार परिवार, चलो फिर से चौवालिस ||
जय हो !
ReplyDeleteआपकी छटा ही निराली है।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अतिउत्तम बधाई आपको
ReplyDeleteसारे मलाईदार ब्लागों का रस है निचोड़ता
ReplyDeleteटिप्पणी भारी भारी करता है किसी और
के कहने के लिये कुछ नहीं है छोड़ता !
दोहों में समझा दी सबको ज्ञान की बात !
ReplyDeleteरोचक !