Sunday, 19 August 2012

मिले सेवैंयाँ आज खुब, बस नमाज हो जाय-

अजय कुमार


 इन्तजार है हार को, आ बहार इस बार |
बार बार सूखे लड़ी, होय प्यार की हार |
होय प्यार की हार, लड़ी किस्मत से नजरें |
बदकिस्मत बदहाल, गुजरता ताकूँ गजरे |
*गटपट गजगामिनी, कहो अब क्या विचार है |
चाल तेज या नई, चाल का इन्तजार है ||
*संयोग

"ईद मुबारक़" (चर्चा मंच-977)

न्योता पाया है कई,  जीभ मचलती जाय |
मिले सेवैंयाँ आज खुब, बस नमाज हो जाय |
बस नमाज हो जाय, आज बस दुआ यही है |
अमन चैन बंधुत्व, इसी की कमी रही है |
हे रब दे सद्बुद्धि, देश की उन्नति होवे |
जनता हो खुशहाल, बुराई जड़ से खोवे ||

ईद मुबारक बंधुवर, होवे दुआ क़ुबूल

 ईद मुबारक बंधुवर, होवे दुआ क़ुबूल ।
प्यारे हिन्दुस्तान में, बैठे उडती धूल ।
बैठे उडती धूल, आंधियां अब थम जावें ।
द्वेष ईर्ष्या भूल, लोग न भगें-भगावें ।
 झंझट होवे ख़त्म, ख़तम हों  टंटा -कारक  ।
 दुनिया के सब जीव, सभी को ईद मुबारक ।
महिमा गायें पंथ सब, सभी सिखाते दान |
बांटो अपना खास कुछ, करो जगत उत्थान |
करो जगत उत्थान, फर्ज है समझदार का  |
मानवता का कर्ज, उतारो हर प्रकार का |
जो निर्बल मोहताज, करे कुछ गहमी गहमा |
होय मुबारक ईद, दान की हरदम महिमा ||


"ईद मुबारक़" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')




मधुमेह से होते ग्रसित, कि नेह का मीठा कमा है |
दूध में कर दी मिलावट, दाम से होता दमा है |

जोश पहले सा नहीं है, बर्फ रिश्तों पर जमा है |
बात है क्या बंधुवर जो, आज बुझती सी शमां है |

एक महिने की तपस्या, रमजान में रहता रमा है |
आपसी रिश्ते मुहब्बत, देश क्यूँ दिखता थमा है ??

6 comments:

  1. ईद की धूम...ईद मुबारक..

    ReplyDelete
  2. ईद मुबारक मिल गले ,प्यार सवैया खायँ
    आओ प्यारे प्यार से, प्यार बाँटते जायँ ||

    ReplyDelete
  3. आपकी इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा कल २१/८/१२ को http://charchamanch.blogspot.in/ पर चर्चाकारा राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका स्वागत है

    ReplyDelete
  4. बहुत सुंदर !
    हो गयी है नमाज अमन से
    सैवईंया भी खा लिये मन से !
    ईद मुबारक !

    ReplyDelete
  5. ईद की ढेरों मुबारकबाद क़ुबूल हो!

    ReplyDelete