वेब-पत्रिकाओं और ब्लॉग से चोरी हो रही हैं रचनाएँ : मुंबई से प्रकाशित 'संस्कार' पत्रिका का कारनामा
संस्कार यह राक्षसी, पर नारी को छीन |
अंत:पुर में कैदकर, करे जुल्म संगीन |
करे जुल्म संगीन, कहो कमलेस कहानी |
सजा स्वयं तदबीज, दर्ज कर फर्द बयानी |
करता लेख हरण, नाम अपने छपवाते |
आओ रविकर शरण, आज ही पाठ पढ़ाते ||
अंत:पुर में कैदकर, करे जुल्म संगीन |
करे जुल्म संगीन, कहो कमलेस कहानी |
सजा स्वयं तदबीज, दर्ज कर फर्द बयानी |
करता लेख हरण, नाम अपने छपवाते |
आओ रविकर शरण, आज ही पाठ पढ़ाते ||
बेनी प्रसाद के विवादास्पद बयान पर कड़ी निंदा.
वरिष्ठ मंत्री यह कहता है कि वह महंगाई से खुश है और इससे किसानों को फायदा ही हुआ है
बेनी दरियाबाद के, है पड़ोस मम ग्राम |
उपजा गुंडे खेत में, बेंचें ऊंचे दाम | बेंचें ऊंचे दाम, कभी गन्ना बोते थे | बड़ा मुलायम नाम, ख़ास नेता होते थे | अब तो नाम किसान, शान से लोहा बोवें | लेगा लोहा कौन, शत्रु सरयू में धोवें || |
अपने ये गोविन्द जी, रहे कबड्डी खेल |
शाखा पर खेले बहुत, उलटबासियाँ पेल | उलटबासियाँ पेल, कहें पाले में घुसकर | नीति नियम अंदाज, एक तो रहिये मिलकर | दोनों का सिरदर्द, टूट जायेंगे सपने | मिलकर लड़ो चुनाव, नतीजे भुगतो अपने || |
पूरी बातसुशीलउल्लूक टाईम्स नंगों को नंगा किया, बड़ा भला अंदाज | एक पैग से लुढ़कता, आ दूजे से बाज | आ दूजे से बाज, राज है इसमें गहरा | हैं नेता के अंश, लगा के रखना पहरा | पहरा गांधी टोप, बदलता है रंगों को | देता है टरकाए, पोटता है नंगों को || |
छिपकली - डूबते को तिनके का सहारा
G.N.SHAW
cha छिपकलियों ने कई की, हालत रखी बिगाड़ | छिपकलियों की ले रहे, बड़े खिलाड़ी आड़ | बड़े खिलाड़ी आड़, पुराना रद्दी राशन | मध्याहन का भोज, बांटता यही प्रशासन | यह संक्रमित अनाज, राज इनका न खोले | छिप जाते दुष्कर्म, नहीं छिपकलियाँ बोले || |
मैंने कब किसी को कहा ब्लागरा या ब्लॉग वालियां!?(Arvind Mishra)
क्वचिदन्यतोSपि..
"अब खुश न" का अर्थ क्या, ख़तम हो गया दर्प | प्राकृत है फुफकारना, सदा सर्पिणी - सर्प | सदा सर्पिणी - सर्प, हर्प पर झंझट कर लो | डसने को तैयार, सामने से ही टर लो | बिना द्वेष बिन प्यार, करेंगे गुरु ब्लॉगरी | गरियाये घनघोर, लगा के चले हाजिरी || |
ज़िंदा है माँ जानता, इसका मिला सुबूत ।
आज पौत्र को पालती, पहले पाली पूत ।
पहले पाली पूत, हड्डियां घिसती जाएँ ।
करे काम निष्काम, जगत की सारी माएं ।
किन्तु अनोखेलाल, कभी तो हो शर्मिन्दा ।
दे दे कुछ आराम, मान कर मैया ज़िंदा ।।
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Watch the video on life Murder of Satyaprakash Dubey murdered for honestyFrom Politics To Fashionझूठे लोगो ने किया, एक सत्य का क़त्ल | दर्दनाक विवरण दिया, सही दिखाई शक्ल | सही दिखाई शक्ल , अक्ल पर पत्थर पड़ते | दुस्साहसी ये दुष्ट, कहानी कैसी गढ़ते | सादर नमन प्रकाश, उजाला तो फैलेगा | अब भी जिन्दा आस, न्याय ईश्वर कर देगा || |
त्रिलोक सिंह ठकुरेला की पांच कुंडलियाँ
Abnish Singh Chauhan
ठकुरेला की कुण्डली, डली यहाँ पर श्रेष्ठ ।
कष्ट निखारे गुणों को, चरित्रवान ही ज्येष्ठ ।
चरित्रवान ही ज्येष्ठ, काम कुछ नहीं असंभव ।
करिए उद्यम नित्य, खुदी का करिए अनुभव ।
कार्य सफल हो सिद्ध, नहीं कुछ यहाँ झमेला ।
शिक्षा प्रद कुंडली, गुरु जी हैं ठकुरेला ।
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साब !! ये रहा मेरा हिसाब !!
अब्बू अस्सी की पियें, चिकेन-चिली बादाम |
सकल दिहाड़ी दें लुटा, जाय गली बदनाम |
जाय गली बदनाम, मुझे नुक्कड़ पर देखें |
गाली नमकहराम, हरामी उनके लेखे |
तीन चाय का खर्च, रामलीला का नायक |
मांगे सुबह हिसाब, बता खर्चा नालायक ||
सकल दिहाड़ी दें लुटा, जाय गली बदनाम |
जाय गली बदनाम, मुझे नुक्कड़ पर देखें |
गाली नमकहराम, हरामी उनके लेखे |
तीन चाय का खर्च, रामलीला का नायक |
मांगे सुबह हिसाब, बता खर्चा नालायक ||
जब ओवर दी काउंटर, मेडीसिन मिल जाय |
उदर शूल की फ़िक्र क्या, देता तुरत मिटाय | देता तुरत मिटाय, मिटाता जाए काया | बचपन की वह चोट, आज तक अति तड़पाया | काइरोप्रेक्टर जांच, रीढ़ संरेखण बिगड़ा | लगे इसी की आंच, लगा फिर झटका तगड़ा || |
गज़ब !
ReplyDeleteबहुत बढि़या..
ReplyDeleteचाणक्य गोविंदाचार्य ने,रखे अहमं सवालात
ReplyDeleteक्या दोनों के मिल पायेगे,आपस में ख्यालात ,,,,,,
बेहतरीन प्रस्तुति।
ReplyDeleteG.S.SHAW -
ReplyDeleteहोनी तो होके रहे, अनहोनी न होय
जाको राखे साइयां मार सके न कोय,,,,,
Awesome..
ReplyDeleteकुंडलियों का बाउंसर
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