veerubhai
ram ram bhai
ram ram bhai
नकारात्मक सोच से, यह दुनिया भरमाय |
सुनी सुनाई से सभी, सनसनाय शंकाय |
सुनी सुनाई से सभी, सनसनाय शंकाय |
सनसनाय शंकाय , हकीकत जानो भाई |
दर्द नहीं बढ़ पाय, प्रसव पीड़ा की नाईं |
बंजारन को देख, प्रसव निपटाती कैसे |
है सटीक सन्देश, काफिला चलता ऐसे ||
ऐसा भी होता है कभी-कभी ...
Pallavi saxena
मेरे अनुभव (Mere Anubhav)
मेरे अनुभव (Mere Anubhav)
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhrvFPt4SCkHpNZx0xUXK9KsCCtMqw9BLTMO3OSRyeD7kL2y83FBGAl-k-uwXa5_1gOh67TJNjUdKjqMd-cgFuRYFVKqI1akgcbjqmsiah4rUVdW7E-HTGVCVeEXj5XGr6oct9jZdUtOmE/s1600/I-M-THINKING.jpg)
विषय बड़ा गंभीर है, गृहणी का सम्मान |
धन अर्जन से जोड़ के, देखे शिशु नादान |
धन अर्जन से जोड़ के, देखे शिशु नादान |
देखे शिशु नादान, चलो मूल्यांकन करते |
बिस्तर बस्ता केश, रोज ड्रेस टिफिन संवरते |
ममतामयी स्पर्श, व्यवस्थित कमरा पाता |
होमवर्क बिग-मार्ट, जरुरत पर लिपटाता ||
वयस का भार
आशा जोगळेकर
स्व प्न रं जि ता
स्व प्न रं जि ता
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समय-खजाना दादा दादी, स्वर्ण रजत की मोहर |
चुटकी में हल करें समस्या, नहीं समस्या हैं खुद-
हंसी ख़ुशी सम्मान करो तो, घर-आँगन में सोहर ||
मेरी कविताएं या तुम?????
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शंका की गुंजाइशें, है भैया भरपूर |
है भैया भरपूर, लगे रचना निज प्यारी |
किन्तु हकीकत क्रूर, विरह में रचती सारी |
ले सुकून की सांस, ढूँढ़ते गोकुल गलियां |
मिल जाता वो काश, वही तो असली छलिया ||
पहली फुहार
Asha Saxena
Akanksha
Akanksha
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjGBLqmva7MWFEYHOxILtMIWw6Cij331MU5Xj-RzB_a72z7NBPyFvpPhzYchyDt3qu71xUhu5ez8ThQ3ps8b7S90Nj6CNgiMtjCtS30Htb4_wNNAgNc4NFhqp1rYxZIlU6XnIXoy77qzS0/s1600/images.jpg)
वर्षा पर प्रस्तुति गजब, बड़ा मनोहर रूप |
त्राहिमाम करवा गई, तीखी-जलती धूप |
त्राहिमाम करवा गई, तीखी-जलती धूप |
तीखी-जलती धूप, बदन का सूखा पानी |
सर सरिता नल कूप, करें नित गलत-बयानी |
सूखे अरब शरीर, बने वो पानी बदरा |
हरे हमारी पीर, नहीं वो खारा सगरा ||
चुटकी भर सिन्दूर
Smart Indian - स्मार्ट इंडियन
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विश्लेषण उत्कृष्ट अति, साधुवाद गंभीर |
सजना सजना के लिए, पे बढ़िया तकरीर |
पे बढ़िया तकरीर,बिबिधता को समझाया |
पुरुष पराई पीर, समझ अब तक न पाया |
सौन्दर्य उपासक मर्म, करे खुद नव अन्वेषण |
हो नारी पर गर्म, नकारे निज विश्लेषण ||
"ढाई आखर प्रेम का" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgM09bFAzMDdA8if8_I8Yh8hiAKgVwIMR3ZZH9CRO4mXe1guK-CS8i65E1csDvINXc09jjRDrUDErOPq1DY5I4CdRECdSdnfaLsY3IXBTIRF6IkImCt9mOsKEZdhtT9EO5L1_KGwxXMtJli/s400/break-glass.jpg)
समझाते हैं प्यार से, कई अनोखे भेद |
हार-जीत के खेल में, बहता काफी स्वेद |
बहता काफी स्वेद, खेद आलस सब दीजै |
कठिन परिश्रम रोज, संग में मिलकर कीजै |
सौ प्रतिशत संयोग, किन्तु ना लेना हल्का |
बड़े चतुर हैं लोग, जरुरी दिन है कल का ||
शोभा सिंह/भगत सिंह
पर शोभा बढे दलाल की, छाय चांदनी चौक |
भारत माँ के भगत पर, रहा जोर से भौंक |
रहा जोर से भौंक, आज सम्मान पा रहा |
भगत शहादत तुच्छ, देश का ध्यान ना रहा |
मरी खेत में माय, पुत्र फांसी पर झूला |
देश भूलता जाय, घूमता पापी फूला ||
सुरजीत के जासूस के बयान पर पाक बिदेश मंत्री
द्वारा भारत से माफ़ी मांगने को कहने पर -
शर्त रखी सुरजीत पर, करते हैं आजाद |
अल-बल बोलेगा वहाँ, रखना बच्चू याद |
रखना बच्चू याद, हाथ लम्बे हैं पाकी |
मैं तो हूँ जासूस, बड़ी साजिश थी रा की |
जाते हमको भूल, बड़े धंधे करवाए |
पाए माल वसूल, भाड़ में भारत जाए |
बहुत सुन्दर।
ReplyDeleteवाह ... बेहतरीन
ReplyDeleteआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल के चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आकर चर्चामंच की शोभा बढायें
ReplyDeleteबहुत सुन्दर।...
ReplyDeleteबेहतरीन......
ReplyDeleteखास तौर पर हमारी रचना पर की गयी टिप्पणी ने मन मोह लिया...
आपका शुक्रिया रविकर जी.
सादर
अनु
आपकी टिप्पणी तो कविता पर भी भारी होती है |बहुत अच्छी टिप्पणियों के लिए हार्दिक बधाई |
ReplyDeleteआशा