Sunday 1 July 2012

सुनी सुनाई से सभी, सनसनाय शंकाय-

veerubhai
ram ram bhai  
नकारात्मक सोच से, यह दुनिया भरमाय |
सुनी सुनाई से सभी, सनसनाय शंकाय |

सनसनाय शंकाय , हकीकत जानो भाई |
दर्द नहीं बढ़ पाय, प्रसव पीड़ा की नाईं |

बंजारन को देख, प्रसव निपटाती  कैसे |
है सटीक सन्देश, काफिला चलता ऐसे ||

ऐसा भी होता है कभी-कभी ...


विषय बड़ा गंभीर है, गृहणी का सम्मान |
धन अर्जन से जोड़ के, देखे शिशु नादान |

देखे शिशु नादान, चलो मूल्यांकन करते |
बिस्तर बस्ता केश, रोज ड्रेस टिफिन संवरते |

ममतामयी स्पर्श, व्यवस्थित कमरा पाता |
होमवर्क बिग-मार्ट, जरुरत पर लिपटाता ||


वयस का भार

आशा जोगळेकर
स्व प्न रं जि ता 
अनुभव से भरपूर आयु है, हैं अनमोल धरोहर |
समय-खजाना दादा दादी, स्वर्ण रजत की मोहर |
चुटकी में हल करें समस्या, नहीं समस्या हैं खुद-
हंसी ख़ुशी सम्मान करो तो, घर-आँगन में सोहर ||  


मेरी कविताएं या तुम?????

छलिया को पहचान के, होते क्यूँ मजबूर ?
शंका की गुंजाइशें, है भैया भरपूर |


है भैया भरपूर, लगे रचना निज प्यारी |
किन्तु हकीकत क्रूर, विरह में रचती सारी |


ले सुकून की सांस, ढूँढ़ते गोकुल गलियां |
मिल जाता वो काश, वही तो असली छलिया ||

पहली फुहार

Asha Saxena
Akanksha  
 वर्षा पर प्रस्तुति गजब, बड़ा मनोहर रूप |
त्राहिमाम करवा गई, तीखी-जलती धूप |

तीखी-जलती धूप, बदन का सूखा पानी |
सर सरिता नल कूप, करें नित गलत-बयानी |

सूखे अरब शरीर, बने वो पानी बदरा |
हरे हमारी पीर, नहीं वो खारा सगरा || 

चुटकी भर सिन्दूर

Smart Indian - स्मार्ट इंडियन 

विश्लेषण उत्कृष्ट अति, साधुवाद गंभीर  |
सजना सजना के लिए, पे  बढ़िया तकरीर |


पे  बढ़िया तकरीर,बिबिधता को समझाया |
पुरुष पराई पीर, समझ अब तक न पाया |


सौन्दर्य उपासक मर्म, करे खुद नव अन्वेषण |
हो नारी पर गर्म, नकारे निज विश्लेषण ||

"ढाई आखर प्रेम का" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')


समझाते हैं प्यार से, कई अनोखे भेद |
हार-जीत के खेल में, बहता काफी स्वेद |


बहता काफी स्वेद, खेद आलस सब दीजै |
कठिन परिश्रम रोज, संग में मिलकर कीजै |


सौ प्रतिशत संयोग, किन्तु ना लेना हल्का |
बड़े चतुर हैं लोग, जरुरी दिन है कल का ||
 

शोभा सिंह/भगत सिंह 
पर  
शोभा बढे दलाल की, छाय चांदनी चौक |
भारत माँ के भगत पर, रहा जोर से भौंक |
रहा जोर से भौंक, आज सम्मान पा रहा |
भगत शहादत तुच्छ, देश का ध्यान ना रहा |
मरी खेत में माय, पुत्र फांसी पर झूला |
देश भूलता जाय, घूमता पापी फूला ||


सुरजीत के जासूस के बयान पर पाक बिदेश मंत्री 
द्वारा भारत से माफ़ी मांगने को कहने पर -

शर्त रखी सुरजीत पर, करते हैं आजाद |
 
अल-बल बोलेगा वहाँ, रखना बच्चू याद |
 
रखना बच्चू याद, हाथ लम्बे हैं पाकी |
 
मैं तो हूँ जासूस, बड़ी साजिश थी रा की |
 
जाते हमको भूल, बड़े धंधे करवाए |
 
पाए माल वसूल, भाड़ में भारत जाए |

 

6 comments:

  1. वाह ... बेहतरीन

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  2. आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल के चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आकर चर्चामंच की शोभा बढायें

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  3. बहुत सुन्दर।...

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  4. बेहतरीन......

    खास तौर पर हमारी रचना पर की गयी टिप्पणी ने मन मोह लिया...
    आपका शुक्रिया रविकर जी.

    सादर
    अनु

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  5. आपकी टिप्पणी तो कविता पर भी भारी होती है |बहुत अच्छी टिप्पणियों के लिए हार्दिक बधाई |
    आशा

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