ये बरसाती बीमारियां
कुमार राधारमण
स्वास्थ्य
स्वास्थ्य
वर्षा ऋतु में मौज की, हद करिए न पार ।
आँखों की बीमारियाँ, अपनी त्वचा संवार ।
अपनी त्वचा संवार, उंगलियाँ गल न जाएँ ।
डेंगू-फ्लू बुखार, सफाई खूब कराएं ।
मच्छर लेते जान, पेट गड़बड़ भी होता ।
डायरिया पर ध्यान, स्वास्थ्य जल्दी ही खोता ।।
सामाजिक सरोकारों से जुड़ कर कैसे काम करें?masum@payameamn.com
अबला रगड़ी जा रही, मुंह पर पट्टी तान ।
आँखों से आनंद लें, वाह वाह बलवान ।
वाह वाह बलवान , सड़क पर घायल लोटे ।
कटे हुए ज्यों हाथ, खिसकते खोते खोटे ।
कटा हुआ इक कान, सुने हद ऊंची बातें ।
श्वान रूप इंसान, पाद दो उमर बिताते ।।
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food myths & facts
veerubhai
ram ram bhai
लहसुन खाने से नहीं, मच्छर भागें पार्थ |
माशूका खिसके मगर, रविकर यही यथार्थ ||
अम्ल अमीनो सोडियम, दिल को रखे दुरुस्त |
पोटेशियम तरबूज से, मिले यार इक मुश्त || चिकनाई शक्कर बढे, बिगड़े भला सलाद | |
हिंदी तो अंग्रेजों का कुत्ता भी लिख लेता है -रविकर चर्चा मंच 953
अच्छी यादों को सदा, दुहराते हम लोग |
हंसी ख़ुशी उत्साह का, सर्वोत्तम उद्योग ||
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तुम पुष्प भाँति मुस्कान लिये
प्रतुल वशिष्ठ
दर्शन-प्राशन
दर्शन-प्राशन
धीर धरा सा धारो |
मन-व्यग्र सँभालो यारो |
इक रेखा ऐसी पारो-
जिससे हृदय न हारो ||
मन-व्यग्र सँभालो यारो |
इक रेखा ऐसी पारो-
जिससे हृदय न हारो ||
निद्रा गहन उबारो |
सपने सरल सँवारो |
मद का बोझ उतारो |
तो नैना मिलते चारो ||
मोदीजी !!... संभलकर !!हाय हाय हिंदुत्व हठ, हाथ होय जो सिद्ध | फांसी पर देना चढ़ा, खुश हों सुनकर गिद्ध | खुश हों सुनकर गिद्ध, मांस मोदी का मीठा | प्रेक्टिस में जल्लाद, बाँध कर खींचे गीठा | प्रतिभा करती क्षमा, प्रणव के स्वर भर्राने | मोदी का अज्ञान, राष्ट्रपति गए पुराने || |
हाँ कुछ कुत्ते भी लिख लेते हैं !
ReplyDeleteक्या महफूज को छोड़ना नहीं है-
Deleteलहसुन खाने से नहीं, मच्छर भागें पार्थ |
ReplyDeleteमाशूका खिसके मगर, रविकर यही यथार्थ ||
अम्ल अमीनो सोडियम, दिल को रखे दुरुस्त |
पोटेशियम तरबूज से, मिले यार इक मुश्त ||
पोषक तत्व बचाइये, भूलो सज्जा स्वाद |
चिकनाई शक्कर बढे, बिगड़े भला सलाद |
बहुत सुन्दर भावानुवाद है भाई साहब ,रविकर करते रहतें है सब का ही कल्याण .
बेहतरीन कमेंट्स देने के लिए,,,,बधाई
ReplyDeleteRECENT POST,,,इन्तजार,,,
बहुत रोचक टिप्पणियां...
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