बीता जनसंख्या दिवस ( चर्चा - 938 )
>> Thursday, July 12, 2012 –
चर्चाकार ----- दिलबाग विर्क
एकाकी काकी न बनती, माँ की झंझट में क्या उलझे?
स्वार्थ पूरिता सुख अपना ही, जब जीवन का बने उसूल -
कैसे उस जीवन की मुश्किल, कठिन समय पर भ्राता सुलझे ।
नई कलम - उभरते हस्ताक्षर
लेकिन उस आधुनिकता का क्या , जो इसको ही बोझा समझे ।एकाकी काकी न बनती, माँ की झंझट में क्या उलझे?
स्वार्थ पूरिता सुख अपना ही, जब जीवन का बने उसूल -
कैसे उस जीवन की मुश्किल, कठिन समय पर भ्राता सुलझे ।
राम राम भाई
सरकारें तो आती जाती, यह किस्सा बड़ा आलमी है |
सकारात्मक रहें हमेशा, खाम -ख्याल जालिमी है ||
संसाधन जोखिम की कुव्वत , हो निवेश मुस्तैद दिमाग-
सकारात्मक रहें हमेशा, खाम -ख्याल जालिमी है ||
संसाधन जोखिम की कुव्वत , हो निवेश मुस्तैद दिमाग-
झटके सहने की ताकत भी, होना बहुत लाजिमी है ।
दोहे लगते *दोहली , गुरुवर का आभार ।
शोक मिटे इस वाटिका, आओ बारम्बार ।
*अशोक वृक्ष
स्पंदन
नैचरुल - अन नैचरुल
नैचरुल - अन नैचरुल
कन्फ्यूजन अपने लिए, समलैंगिक सामान्य |
धीरे धीरे ही सही, कई जगह पर मान्य |
कई जगह पर मान्य, एक से दोनों हमदम |
महिलाओं का जोड़, गर्भ-धारण में सक्षम |
कर खुद का एहसास, करें बच्चे का सृजन |
अगर हुवे दो मर्द, करे क्या है कन्फ्यूजन |
विज्ञान ने यह भी संभव कर दिया है वैसे तो ||
धीरे धीरे ही सही, कई जगह पर मान्य |
कई जगह पर मान्य, एक से दोनों हमदम |
महिलाओं का जोड़, गर्भ-धारण में सक्षम |
कर खुद का एहसास, करें बच्चे का सृजन |
अगर हुवे दो मर्द, करे क्या है कन्फ्यूजन |
विज्ञान ने यह भी संभव कर दिया है वैसे तो ||
बेगाने बैगनी को, नीला भी समुदाय ।
लाल रक्त से खेलता, पीला को अपनाय ।
पीला को अपनाय, भला जीवन नारंगी ।
आसमान का रंग, हरा भगवा भी संगी ।
मेरे तेरे स्वप्न, चले जो सरपट चक्का ।
निर्मल शुद्ध सफ़ेद, सहे न भारत धक्का ।।
ये भारत है मेरे दोस्त
अच्छी बुरी - हमारी मान्यताएं
अच्छी बुरी - हमारी मान्यताएं
इक अच्छा उद्देश्य है, लेखक का आभार ।
नई चेतना के लिए, होना है तैयार ।
होना है तैयार, मिटाना है यह शंका ।
पर्यावरण अन्यथा, फूंक देगी यह लंका ।
चलो करें शुरुवात, नई पीढ़ी तो जागे ।
आदत से मजबूर, जागते नहीं अभागे ।।।
स्वास्थ्य
खाइए चाकलेट , बढ़ाइए याददाश्त
हरी सब्जियों में होती है फोलिक एसिड की भरमार ।
पागलपन से दूर रखे यह, कमी से दिखते हैं आसार ।
दुहराना रात्रि बेला में, किये और करणीय काज को
आयु बाधा से निपटेगा, ढल जाओ इनके अनुसार ।।
चिट्ठी आंसू से भीग गई , लालटेन से तप्त हुई फिर ।
समय सड़ाता गया खाद सा, उर्वरा शक्ति तुमने पाई ।
कर गए किन्तु तुम अधमाई ।
यह कसक मौत सी रास आई ।
फिकरे बजी की फिकर, नहीं करे यशवंत |
किस सर का सर है सखे, कौन चाँद श्रीमंत ||
अपनी बात
समाज न समझे अन्नदाता की वेदना
समाज न समझे अन्नदाता की वेदना
देने खातिर अन्न उगाता, रक्त पसीने से सींचे है ।
खुद की बिगड़ी हुई दशा पर, होंठ स्वयं के जब भींचे है-
कैसे देगा श्राप जगत को, अपनी कठिनाई को झेले -
खुला गगन है बिन बादल का, सूखी धरती जब नीचे है ।
सोने पे सुहागा
जानिए ब्लागिंग को इंटरवल के बाद लोग जब, कथा समझने आते हैं ।
एक पक्ष की बातें अक्सर, नहीं समझ वे पाते हैं ।
खलनायक नायक से केवल, पिक्चर आगे नहीं बढ़े है -
कुछ पात्र सकारण आ जाते, मुश्किल में घिर जाते हैं ।
आधा सच
आइस मिलती फ्री में, चिदंबरम को रोज ।
व्हिस्की का पैसा लगे, दो हजार का भोज ।
दो हजार का भोज, गरीबी वो क्या जानें ।
आइसक्रीम का रेट, प्रेस में खूब बखाने ।
पानी बोतल अगर, गरीबी ले पंद्रह में ।
राशन कैसे आय, बताओ फिर सत्तरह में ??
वाह: बहुत खूब..
ReplyDeleteआपका निराला अंदाज़ लाजवाब लाजवाब ... शुक्रिया मुझे भी शामिल करने का ...
ReplyDeleteचर्चा सार सब सेतुओं का ढाले जो कुंडलियों में रविकर कहलाए .बेहतरीन चर्चा सार .
ReplyDeleteचर्चा सार सब सेतुओं का ढाले जो कुंडलियों में रविकर कहलाए .बेहतरीन चर्चा सार .
ReplyDeleteज़रूर रहें आशावादी लेकिन खामख्याली में न जिएँ
ज़रूर रहें आशावादी लेकिन खामख्याली में न जिएँ
राम राम भाई
खामख्याली में न रहना जनाब
सरकारें तो आती जाती, यह किस्सा बड़ा आलमी है |
सकारात्मक रहें हमेशा, खाम -ख्याल जालिमी है ||
संसाधन जोखिम की कुव्वत , हो निवेश मुस्तैद दिमाग-
झटके सहने की ताकत भी, होना बहुत लाजिमी है ।
-दिनेश फैजाबादी उर्फ़ कुंडली माहिर .
प्रणाम शत शत कुंडली माल को .
ReplyDeleteप्रणाम शत शत कुंडली माल को .
ReplyDeleteसार्थक प्रस्तुति .आभार ऐसा हादसा कभी न हो
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