व्हिस्की का पैसा लगे, दो हजार का भोज ।
दो हजार का भोज, गरीबी वो क्या जानें ।
आइसक्रीम का रेट, प्रेस में खूब बखाने ।
पानी बोतल अगर, गरीबी ले पंद्रह में ।
राशन कैसे आय, बताओ फिर सत्तरह में ??
यह तो ऐसा ही सखे, मगर मच्छ से बैर |
मानसून में बच गई, मछली की कुल खैर |
मछली की कुल खैर, सैर पर वह भागेगी |
नदी नदी हो पार, समंदर तक लांघेगी |
ऐसा अंतर्जाल, मगर भी फंस जायेगा |
राजनीति जंजाल, नहीं वह खा पायेगा ||
राजनीति,तेरे रूप अनेक,...
dheerendra at काव्यान्जलि ...
यह तो ऐसा ही सखे, मगर मच्छ से बैर |
मानसून में बच गई, मछली की कुल खैर |
मछली की कुल खैर, सैर पर वह भागेगी |
नदी नदी हो पार, समंदर तक लांघेगी |
ऐसा अंतर्जाल, मगर भी फंस जायेगा |
राजनीति जंजाल, नहीं वह खा पायेगा ||
रचनाओं को दुह गए, दोहे बेहद खास |
बरस झमाझम है रहा, यह सावन शिव मास |
यह सावन शिव मास, कृपा गुरुवर की होती |
हुई स्नेहसिक्त आज, जलाया पावन ज्योति |
बहुत बहुत आभार, कृपा कुछ और बढाओ |
धन्य हो गई आज , गीत गाओ रचनाओं ||
बरस झमाझम है रहा, यह सावन शिव मास |
यह सावन शिव मास, कृपा गुरुवर की होती |
हुई स्नेहसिक्त आज, जलाया पावन ज्योति |
बहुत बहुत आभार, कृपा कुछ और बढाओ |
धन्य हो गई आज , गीत गाओ रचनाओं ||
उनका जन्मदिन,मेरा उपहार !
संतोष त्रिवेदी at बैसवारी baiswari
हार गले में डाल के, इंतजार सप्ताह |
अब पहुंचे उपहार ले, कौन कहेगा वाह |
कौन कहेगा वाह, आह तो निकलेगी ही |
नहीं बची कुछ राह, "बहनिया" उखड़ेगी ही |
छोड़ेगी इक माह, डलेगा नमक जले में |
ठीक समय उपहार, समय से हार गले में ||
संतोष जी ने फोन कर बताया कि
सही समय पर ही गिफ्ट कर दिया था |
अब पहुंचे उपहार ले, कौन कहेगा वाह |
कौन कहेगा वाह, आह तो निकलेगी ही |
नहीं बची कुछ राह, "बहनिया" उखड़ेगी ही |
छोड़ेगी इक माह, डलेगा नमक जले में |
ठीक समय उपहार, समय से हार गले में ||
संतोष जी ने फोन कर बताया कि
सही समय पर ही गिफ्ट कर दिया था |
फिकरे बजी की फिकर, नहीं करे यशवंत |
किस सर का सर है सखे, कौन चाँद श्रीमंत ||
कन्फ्यूजन अपने लिए, समलैंगिक सामान्य |
धीरे धीरे ही सही, कई जगह पर मान्य |
कई जगह पर मान्य, एक से दोनों हमदम |
महिलाओं का जोड़, गर्भ-धारण में सक्षम |
कर खुद का एहसास, करें बच्चे का सृजन |
अगर हुवे दो मर्द, करे क्या है कन्फ्यूजन |
विज्ञान ने यह भी संभव कर दिया है वैसे तो ||
हाथी के पर निकलते, पर हथिनी हुशियार ।
कुर्सी-तोड़ मुलाजिमी, नत मस्तक हो जाय |
श्रद्धा का सैलाब जो, हर हर बम बम गाय |
हर हर बम बम गाय , विवेकी तर्क हारता |
अनुशासन में भक्त, पुष्प जल-दुग्ध ढारता |
हठयोगी भी मस्त, हुवे हैं धूल धूसरित |
बाबा का आशीष, प्रसन्न हैं चकित थकित ||
किस सर का सर है सखे, कौन चाँद श्रीमंत ||
कितने नैचुरल ये अननैचुरल रिश्ते.
shikha varshney at स्पंदन SPANDANकन्फ्यूजन अपने लिए, समलैंगिक सामान्य |
धीरे धीरे ही सही, कई जगह पर मान्य |
कई जगह पर मान्य, एक से दोनों हमदम |
महिलाओं का जोड़, गर्भ-धारण में सक्षम |
कर खुद का एहसास, करें बच्चे का सृजन |
अगर हुवे दो मर्द, करे क्या है कन्फ्यूजन |
विज्ञान ने यह भी संभव कर दिया है वैसे तो ||
"हाथी के निकलते अगर पर "
सुशील at "उल्लूक टाईम्स "हाथी के पर निकलते, पर हथिनी हुशियार ।
केश और नाखून सा, देती उसे संवार ।
देती उसे संवार, बड़ा हाथी त्रिवेदी ।
ममता कैंची धार, दिखाई झट बलिवेदी ।
दिल्ली का इतिहास, गौर से देखो साथी ।
समय समय पर आय , कई कटवाए हाथी ।। बाबा भोलेनाथ का दर्शन
(Arvind Mishra) at क्वचिदन्यतोSपि...कुर्सी-तोड़ मुलाजिमी, नत मस्तक हो जाय |
श्रद्धा का सैलाब जो, हर हर बम बम गाय |
हर हर बम बम गाय , विवेकी तर्क हारता |
अनुशासन में भक्त, पुष्प जल-दुग्ध ढारता |
हठयोगी भी मस्त, हुवे हैं धूल धूसरित |
बाबा का आशीष, प्रसन्न हैं चकित थकित ||
फिकरे बजी की फिकर, नहीं करे यशवंत |
ReplyDeleteकिस सर का सर है सखे, कौन चाँद श्रीमंत ||
बहुत खूब कहा है आपने -
वीरुभाई ,
Hotel Travelodge ,Traverse City ,Room no .134,Michigun .USA
हाथी लाया उसे भी कटवा डाला
ReplyDeleteहाय रविकर ये तूने क्या कर डाला
हाथी है भैंस नहीं हुई अच्छा हुवा
नहीं तो कहना पड़ता पानी में क्यों डाला ।
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ReplyDeleteअरे अरे ये क्या दिखाई दे रहा है
कमैंट भी तोल के लगाया जायेगा
पता नहीं कितना उसमें से काट खायेगा?
सुंदर टिप्पणी के लिए आभार ,,,,,,
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