Saturday 14 July 2012

हास्य-रस जैसा "बना रस" था मगर

(1)हरे रंग का है अगर, भागे भगवा मित्र-

(2)एक छमाही दिल्ली रहती पुत्र पास वो- दूजा पुत्री संग बटी है अलबेली ।

(3)

दो ब्लॉगर, दो कवि और एक काव्य गोष्ठी।

देवेन्द्र पाण्डेय
बेचैन आत्मा  

आदमी की आँख में बनता जहर ।
पान पर भी  टूटता जुल्मी कहर-

अंदाज बदला आज चूना यूँ लगा -
पानी पिला के कैंचियाँ दें पर क़तर ।

हास्य-रस जैसा "बना रस" था मगर 
स्वाद सड़ते सोरबे सा हर शहर ।

प्रेम रस में व्यस्तता का लवण ज्यादा 
बस पसीने से हुवे सब तर-बतर ।। 

अब इसी में खोजना है जिन्दगी 
चारो दिशाओं ने दिया उलझा मगर ।।

"टिप्पणी के लिए ....comments पर क्लिक कीजिए!" ( चर्चा मंच - ९४१ )




पूरब में अब बाढ़ ने , ढाया कहर अजीब |
वर्षा रानी से हुआ, ज्यादा त्रस्त गरीब |

पश्चिम में सावन घटा , ठीक ठाक संतोष |
कवि हृदयों में है बढ़ा, ज्यादा जोश-खरोश ||

मेरे यहाँ अथाह जल, जल ना दिल्ली वीर |
दिल ही की तो है कही, तेरी मेरी पीर || 






निर्झर झरने गिर रहे, नीचे नीचे नीच ।
फिर भी निर्मल कर रहे, सब कुछ आँखें मीच ।
 सब कुछ आँखें मीच, सींचते हैं जीवन को ।
जाते सबके बीच, खींच मन-कलुष मगन हो ।
बाँध अगर शैतान, रास्ता रोके उसका ।
ऊर्जा करे प्रदान, तनिक रो-के फिर मुस्का ।।

मौन और मौन !

रेखा श्रीवास्तव at hindigen
मौन रहे निर्दोष गर, दोष सिद्ध कहलाय ।
अपराधी खुब जोर से, झूठे शोर मचाय ।

झूठे शोर मचाय,  सुने जो हल्ला गुल्ला ।

मौन मान संकेत, फैसला  देता  मुल्ला ।

पर काजी की पहल, शर्तिया करे फैसला ।

  मौन तोड़ ऐ सत्य, तोड़ मत कभी हौसला ।।


सरहद पे आज आँखों का तारा चला गया

Dr.Ashutosh Mishra "Ashu" 
My Unveil Emotions
सरहद पर हुवे शहीदों का
यूँ मातम न करते माई |
हर हिदुस्तानी एहसान मंद
पूजे तुझको माँ की नाईं ||

देश के अन्दर सुख-शान्ति
सब मगन हैं अपने धंधों में-
चरण बंदना करता रविकर-
नमन करे वह तरुणाई ||


नुस्खे सौन्दर्य के

veerubhai at ram ram bhai  

उनके चेहरे की रंगत, आकर्षण यह काया का |
कॉफ़ी-बेरी से आया या, तरकारी रविकर की खाई ||
फल जैसा पहले धोई थी, छिलके के संग ही काट दिया-
कांटे से टुकड़े फंसा फंसा , तब तो यह रौनक पाई ||

 

9 comments:

  1. सुन्दर प्रस्तुति .
    चित्रों संग , कवितायेँ बहुत कुछ कह रही हैं .
    सामायिक प्रस्तुति .

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  2. निर्झर राग सुना रहे ये सुन्दर सा चित्र
    बाधाओं से मत घबराओ बता रहेहै मित्र,,,,,,,

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  3. क्या बात है वाह!
    आपकी यह ख़ूबसूरत प्रविष्टि दिनांक 16-07-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-942 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ

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  4. बहुत बढ़िया।
    आपकी ग़ज़ल बहुत पसंद आयी।

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  5. बहुत बढ़िया ..
    सुंदर संकलन ....
    साभार !!

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  6. हास और परिहास का, संगम है बेजोड़।
    बनारहे इतिहास ये, सारे मानक तोड़।।

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  7. सबसे कठिन काम होता है
    इस गुरु के चेले के ब्लाग पर जाना
    टिप्पणी लिखने के लिये कुछ सोच पाना
    लिखता है क्या धमाल का रविकर
    मन करता है बस पढ़ते ही चले जाना !!!!

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    1. गुरुवर का परताप है, पर सुशील अंदाज |
      करें टिप्पणी गजब की, है क्या इसमें राज |
      है क्या इसमें राज, रात भर जागा जागा |
      देता चर्चा साज, सुबह ही आता भागा |
      रविकर यह हड़बड़ी, आजकल क्यूँ भरमाये |
      घटा सूर्य का तेज, घटा सावन की छाये ||

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  8. लाजबाब टिप्पणियों की,बेजोड बनी ये पोस्ट
    इसी तरह लिखते रहो, करते रहो तुम रोस्ट,,,,

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