घृणित-मानसिकता गई, असम सड़क पर फ़ैल ।
भीड़ भेड़ सी देखती, अपने मन का मैल ।
अपने मन का मैल, बड़ा आनंद उठाती ।
करे तभी बर्दाश्त, अन्यथा शोर मचाती ।
भेड़ों है धिक्कार, भेड़िये सबको खाये ।
हो धरती पर भार , तुम्हीं तो नरक मचाये ।।
बेनामी
बेनामी कुछ चिट्ठियां, वेद ज्ञान भरपूर ।
अन्सुय्या माँ की कृपा, रायचूर अति दूर ।
रायचूर अति दूर, देख "कर-नाटक" देवा ।
नंगे हैं त्रिदेव, कराये मातु कलेवा ।
शर्माए त्रिदेव , जान न जाँय पत्नियाँ ।
गर कह दोगी बात, हंसी हो जाय शर्तिया ।।
जमी हुई संतोष हैं , जंतर मंतर आय |
अनशन पर बैठे हुवे, है जिन्दा बतलाय |
है जिन्दा बतलाय, बड़े जालिम ससुरारी |
मृत घोषित कर हड़प, रहे संपत्ति हमारी |
राहुल सुनो गुहार, करो शादी बेटी से |
दूंगी तुम्हें दहेज़, करोड़ चौदह पेटी से ||
जंतर मंतर दिल्ली से
जमी हुई संतोष हैं , जंतर मंतर आय |
अनशन पर बैठे हुवे, है जिन्दा बतलाय |
है जिन्दा बतलाय, बड़े जालिम ससुरारी |
मृत घोषित कर हड़प, रहे संपत्ति हमारी |
राहुल सुनो गुहार, करो शादी बेटी से |
दूंगी तुम्हें दहेज़, करोड़ चौदह पेटी से ||
टिप्पणियां ही टिप्पणियां
सूर्पनखा की नाक का, था उनको अफ़सोस
कविता : बारिश, किताब और गुलाब
धर्मेन्द्र कुमार सिंह
एक दूसरे का विषय , भाव जानते मित्र ।
इसीलिए प्रोफेसरों, सही खिंचा है चित्र ।।
सावन के इस मौसम में
विचार
बारिश की सजती रहे, रंगोली हर शाम ।
धरती की शोभा बढे, कृषक कर सके काम ।।
आज खिंचाई हो गई, पति की क्यों उल्लूक |
निविदा को कर दो विदा, भरी चूक ही चूक |
भरी चूक ही चूक, पार्टी एक अकेली |
तीन लिफ़ाफ़े डाल, छीनता सत्ता डेली |
बड़े बड़े संस्थान, खुले विद्वानों खातिर |
रहें उसी में कैद, नहीं तो होंगे शातिर ||
"निविदा खुलने का समय है आया "
सुशील at "उल्लूक टाईम्स "आज खिंचाई हो गई, पति की क्यों उल्लूक |
निविदा को कर दो विदा, भरी चूक ही चूक |
भरी चूक ही चूक, पार्टी एक अकेली |
तीन लिफ़ाफ़े डाल, छीनता सत्ता डेली |
बड़े बड़े संस्थान, खुले विद्वानों खातिर |
रहें उसी में कैद, नहीं तो होंगे शातिर ||
वाह ...बहुत बढिया।
ReplyDeleteबारिश की सजती रहे, रंगोली हर शाम ।
ReplyDeleteधरती की शोभा बढे, कृषक कर सके काम ।।
वाह बढ़िया कलेवर की पोस्ट और संदर्भित कुंडलियाँ .बधाई .
aapka andaaje bayaan wakai nirala hai...sadar bahdhayee ke sath
ReplyDeleteसुशील जी कमेंट्स पर,,,,,
ReplyDeleteनिविदा को कर बिदा,समझे पति उल्लूक
निविदा के इस खेल में, हो जायेगी चूक,,,,,,
बहुत सुन्दर..
ReplyDelete