करे बहाना आलसी, अश्रु बहाना काम |
होय दुर्दशा देह की, जब से लगी हराम ।।
अन्न पकाना छोड़ दी, कान पकाना रोज |
सास-बहू में पिस रहा, अभिनेता मन खोज ।।
दही जमाना भूलती, रंग जमाना याद |
करे माडलिंग रात-दिन, बढ़ी मित्र तादाद ||
पुत्र खिलाना भाय ना, निकल शाम को जाय |
सदा खिलाना गुल नया, नया कजिन मुसकाय ||
होय दुर्दशा देह की, जब से लगी हराम ।।
अन्न पकाना छोड़ दी, कान पकाना रोज |
सास-बहू में पिस रहा, अभिनेता मन खोज ।।
दही जमाना भूलती, रंग जमाना याद |
करे माडलिंग रात-दिन, बढ़ी मित्र तादाद ||
पुत्र खिलाना भाय ना, निकल शाम को जाय |
सदा खिलाना गुल नया, नया कजिन मुसकाय ||
Waah...Great satire...
ReplyDeleteबढ़िया !
ReplyDeleteक्या बात है,जम क रबरस रहे हैं महिलाओं पर?
ReplyDeleteवाह ... बेहतरीन
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