१७ प्रतिशत हैं खरे, २२ बड़े मुलायम |
३५ प्रतिशत दोगले, शेष धर्म पर कायम |
३५ प्रतिशत दोगले, शेष धर्म पर कायम |
शेष धर्म पर कायम, थाम के झंडा बैठे
शक्ति करे संगठन, प्रेम से कान उमेठें |
आ जाएँ इक साथ, पूर्वज एक हमारे |
उच्च देश का भाल, दिखाएँ आदर सारे ||
अपना अपना आनंद
मनोज कुमार
विचार -
विचार -
1
कोलकाता की गर्म से, कुछ तो मिला निजात ।
मंसूरी सह दून की, गर्मी भी मन-भात ।
गर्मी भी मन-भात, मुबारक फुर्सत के दिन ।
मौसम किन्तु सुहात, कहाँ अर्धांगिन बिन ।
रहिये तनिक सचेत, यहाँ मौसम गर्माता ।
बरसे सावन घोर, घूम के आ कोलकाता ।
2
माहिर हैं हम स्वांग में, अपने ही आनंद ।
नहीं पर्यटक आज के, नीति नियम पाबन्द ।
नीति नियम पाबन्द, छोड़ न पावें वृत्ती ।
वहाँ वही छल छंद, फर्क न दीखे रत्ती ।
प्राकृतिक सौन्दर्य, मगन मन करते जाहिर ।
ताके चीजें वर्ज्य, दवा दारु के माहिर ।।
काफी है गंभीरता, बाबा बातें गूढ़ ।
छोड़ प्लास्टिक दीजिये, सुन ले मानव मूढ़ ।
सुन ले मानव मूढ़, प्लास्टिक कचड़ा कप का।
रैपर कई प्रकार, पैक करता हर तबका ।
दारू पानी दूध, मसाला बिस्कुट टाफी ।
करते खड़े पहाड़, प्रदूषण बढ़ता काफी ।
गंगा चित्र-8 (गंगा घाट के खेल)
देवेन्द्र पाण्डेय
बेचैन आत्मा
बेचैन आत्मा
अकल रही पगुराय, निगल के काला पैसा ।
हड़बड़ करके खाय, शुरू में काला भैंसा ।
हल न पाय चलाय, फील्ड में हल हो जाता।
युवा आज का आय, फील्ड में रंग जमाता।
गंगा तट पर खुब जमाते, गुल्ली-डंडा लाय के ।
मोबाइल के गेम भूलता, जाता मन बहलाय के ।।
Life is incomplete without Plastic. प्लास्टिक बिना जीवन सूना
दीपक बाबा की बक बक -काफी है गंभीरता, बाबा बातें गूढ़ ।
छोड़ प्लास्टिक दीजिये, सुन ले मानव मूढ़ ।
सुन ले मानव मूढ़, प्लास्टिक कचड़ा कप का।
रैपर कई प्रकार, पैक करता हर तबका ।
दारू पानी दूध, मसाला बिस्कुट टाफी ।
करते खड़े पहाड़, प्रदूषण बढ़ता काफी ।
(प्रवीण पाण्डेय)
(1) गूढ़ प्रश्न ।
संजीवनी कहीं तो होगी, खड़ी व्यवस्था हो जाएगी ।
धरे हाथ पर हाथ रहे तो, दिशा स्वयं को भटकाएगी ।।
(2) संसय
लीक छोड़ कर वीर चले हैं, शंकाओं को दूर भगाते ।
झंझावातों में भी अपनी, करनी से इतिहास बनाते ।।
(3) आशा
(3) आशा
सूरज निकले आसमान में, विश्वास-धूप चमकाए धरती ।
प्रकृति स्वयं में बड़ी नियामक, सब कुछ सही संतुलित करती ।।
(4) स्वार्थ
नीति दोगली स्वार्थ सिद्धि में, वैसे हरदम लगी रही है ।
सच्चाई का जोर लगेगा, देखोगे सब सही सही है ।।
अष्टावक्र
आमिर बेडा गर्क हो, तुझे पड़े क्या फर्क |
सत्ता का खर्चा चले, जाय व्यवस्था दर्क |
जाय व्यवस्था दर्क, अर्थ बिन सत्ता कैसी |
बिना पिए ही दर्प, उठा ली लाठी भैंसी |
सरकारी व्यापार, ज़रा ठप तो करवाना |
बहुत बहुत आभार, हमें आकर समझाना ||
बीबी की सहते रहो, हरदम हरदिन धौंस |
आफत आमिर दे बढ़ा, कह रविकर बेलौस |
कह रविकर बेलौस, कतरनी किच किच करती |
रहूँ अगर मदहोश, तभी वह थोडा डरती |
अल्कोहल एब्यूज, दिया है नंबर जबसे |
कर दी पूरा फ्यूज, डराती रहती तबसे ||
दवे दलित दारू दवा, पीता कम्बल ओढ़ |
अंग्रेजी आमिर अमर, धन दौलत से पोढ़ |
धन-दौलत से पोढ़, तोड़ते हाड़ खेत में |
फटे बिवाई गोड़, निकाले तेल रेत में |
दर्द देह चित्कार, रात में सो न पाए |
कैसा पैसा प्यार, देह के काम न आये ||
अंतरमन अंतर पड़ा, न पहले सी बात |
लोग खोखले हो चुके, जाते नित हलकात |
जाते नित हलकात, आत्मा हलकानी है |
फुर्र करे उड़ जात, जात में बेइमानी है |
आती न आवाज, लुकाये अंतरात्मा |
आत्मीय की मौज, मनुजता मौत खात्मा ||
बेड़ा गर्क हो आमिर खान का
Arunesh c daveअष्टावक्र
आमिर बेडा गर्क हो, तुझे पड़े क्या फर्क |
सत्ता का खर्चा चले, जाय व्यवस्था दर्क |
जाय व्यवस्था दर्क, अर्थ बिन सत्ता कैसी |
बिना पिए ही दर्प, उठा ली लाठी भैंसी |
सरकारी व्यापार, ज़रा ठप तो करवाना |
बहुत बहुत आभार, हमें आकर समझाना ||
बीबी की सहते रहो, हरदम हरदिन धौंस |
आफत आमिर दे बढ़ा, कह रविकर बेलौस |
कह रविकर बेलौस, कतरनी किच किच करती |
रहूँ अगर मदहोश, तभी वह थोडा डरती |
अल्कोहल एब्यूज, दिया है नंबर जबसे |
कर दी पूरा फ्यूज, डराती रहती तबसे ||
दवे दलित दारू दवा, पीता कम्बल ओढ़ |
अंग्रेजी आमिर अमर, धन दौलत से पोढ़ |
धन-दौलत से पोढ़, तोड़ते हाड़ खेत में |
फटे बिवाई गोड़, निकाले तेल रेत में |
दर्द देह चित्कार, रात में सो न पाए |
कैसा पैसा प्यार, देह के काम न आये ||
अंतरमन अंतर पड़ा, न पहले सी बात |
लोग खोखले हो चुके, जाते नित हलकात |
जाते नित हलकात, आत्मा हलकानी है |
फुर्र करे उड़ जात, जात में बेइमानी है |
आती न आवाज, लुकाये अंतरात्मा |
आत्मीय की मौज, मनुजता मौत खात्मा ||
शक्ति करे संगठन'
ReplyDeleteशाश्वत सत्य
वाह ... बहुत ही बढिया ।
ReplyDeleteवाह: बहुत सुन्दर...
ReplyDeleteप्रसंगानुकूल काव्यात्मक टिप्पणियाँ हैं आपकी .बढिया ,बहुत बढ़िया .बड़े फलक की बढ़िया प्रस्तुति .
ReplyDelete.
ReplyDelete१७ प्रतिशत हैं खरे, २२ बड़े मुलायम |
३५ प्रतिशत दोगले, शेष धर्म पर कायम..
बहुत सटीक लिखते हैं आप। गजब की टिप्पणियां...
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