परदादा को याद करते हुए -माधवी शर्मा गुलेरी
सादर नमन श्रद्धेय को, जीवन परिचय नाम |
अल्पायु से क्या हुआ, किये अनोखे काम |
किये अनोखे काम, लिखा बुद्धू का कांटा |
हो सुखमय संसार, नहीं गीला हो आंटा |
उनके लेख विचार, हमारी घुट्टी प्यारी |
बचपन से पी रहे, सभी घुट्टी से न्यारी ||
अल्पायु से क्या हुआ, किये अनोखे काम |
किये अनोखे काम, लिखा बुद्धू का कांटा |
हो सुखमय संसार, नहीं गीला हो आंटा |
उनके लेख विचार, हमारी घुट्टी प्यारी |
बचपन से पी रहे, सभी घुट्टी से न्यारी ||
आपकी आँखों में हम डूबे हुए हैं साहिब -डॉ.आशुतोष मिश्र
चश्मे लेकर के चलें, तरह तरह के लोग |
सूखा कैसे खलेगा, हरा लगा के भोग ||
चेष्टा -नूतन
उद्यम करता आदमी, हरदम लागे नीक |
पूजा ही यह कर्म है, बाकी लगे अलीक |
बाकी लगे अलीक, बसा वह कण कण में हैं |
मंदिर मस्जिद ढूंढ़, स्वयं के अर्पण में हैं |
लैबोटरी में आज, लगाया जो सबने दम |
हुआ सार्थक देख, कई वर्षों का उद्यम ||
पूजा ही यह कर्म है, बाकी लगे अलीक |
बाकी लगे अलीक, बसा वह कण कण में हैं |
मंदिर मस्जिद ढूंढ़, स्वयं के अर्पण में हैं |
लैबोटरी में आज, लगाया जो सबने दम |
हुआ सार्थक देख, कई वर्षों का उद्यम ||
बलात्कार करो !...मैं हूँ न !.. मैं बचा लूंगी (क्योंकि मैं कांग्रेस हूँ )
ZEAL at ZEAL
राहुल की हुलकी गजब, चला रेप का केस |
देते सही दलील वह, जाने सारा देश |
जाने सारा देश, रेप वह कर न सकता |
रविकर सारा झूठ , तेवरिया जो भी बकता |
भारत लड्डू बाँट, ख़ुशी से रहा नाचता |
इक शाखा नि:शेष, पहाड़ा विकट बांचता ||
बच्चे मुंह में रख रहे, लगे हाथ जो चीज |
कोई भी सामान हो, जाय लार से भीज |
जाय लार से भीज, गहन संपर्क परस्पर |
फैले फ्लू अतिसार, बड़ी बीमारी रविकर |
तनिक बनो हुशियार, बचाओ नौनिहाल को ||
कीटाणु से मुक्त, करो हर एक माल को ||
सटीक निवेदन - पैरा क्रमांक -२
प्रसस्ति गान - पैरा क्रमांक -३
ईश्वर भैया सब देख रहा, अब बोलो कि तब बोलो |
पल में मासा पल में तोला, यह प्यार तुला पर नित तोलो |
पैरा क्रमांक -४
जाएं शौक से माल में लेकिन इस पर भी गौर करें ...
veerubhai at ram ram bhaiबच्चे मुंह में रख रहे, लगे हाथ जो चीज |
कोई भी सामान हो, जाय लार से भीज |
जाय लार से भीज, गहन संपर्क परस्पर |
फैले फ्लू अतिसार, बड़ी बीमारी रविकर |
तनिक बनो हुशियार, बचाओ नौनिहाल को ||
कीटाणु से मुक्त, करो हर एक माल को ||
प्रणय-गीत
संतोष त्रिवेदी at बैसवारी baiswari
पहले पैरा मैं नदिया में, कविता सविता से भेंट हुई |
इक कथरी नई सिलें बैठी, मिल पाने में यूँ लेट हुईं ||
अंध-हृदय- पैरा क्रमांक -१ इक कथरी नई सिलें बैठी, मिल पाने में यूँ लेट हुईं ||
सटीक निवेदन - पैरा क्रमांक -२
प्रसस्ति गान - पैरा क्रमांक -३
ईश्वर भैया सब देख रहा, अब बोलो कि तब बोलो |
पल में मासा पल में तोला, यह प्यार तुला पर नित तोलो |
पैरा क्रमांक -४
हमेशा की तरह खूबसूरत !
ReplyDeleteलिंक भी मिल जाते हैं, और लिंक बेहतरीन तो होती ही है, हों भी क्यों न जिन रचनाओं ने आपको त्वरित काव्य रचना के लिए प्रेरित किया हो उन्हें बेहतरीन तो होना ही है। साथ ही कई श्रेष्ठ कुंडलियां भी पढ़ने को मिल जाती हैं।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteसुन्दर चर्चा वही सजाए ,जो रविकर जी ,
ReplyDeleteबेहतर हो जाएं लिंक सजाएं जो रविकर जी .