Monday, 2 July 2012

निर्दोषों को जेल, हँसी बाहर शैतानी

बस में : एक

राजेश उत्‍साही
गुलमोहर  

 महिला सीटों पर जमे, मुस्टंडे दुष्ट लबार |
इसीलिए कर न सके, नारी कुछ प्रतिकार |

नारी कुछ प्रतिकार, ज़माना वो आयेगा |
जाय जमाना भूल, नहीं पछता पायेगा |

रविकर हक़ लो छीन, साथ है मेरा पहिला |
बढ़ो करो इन्साफ, अकेली अब न महिला ||

प्रतापगढ़ की रिपोर्ट -

सच्चित-सचिन 

हद दर्जे की दरिंदगी, कई दिनों तक रेप |
मारे कन्या कापुरुष, जाय मनुजता झेंप |


मानवता जाती झेंप, प्रशासन दु:शासन है |
भारी वहाँ तनाव, जले फिर घर आँगन है |

मुवावजा का खेल, करे शासन मनमानी |
निर्दोषों को जेल, हँसी बाहर शैतानी ||

प्रेमचन्द : संघर्षमय जीवन

मनोज कुमार
राजभाषा हिंदी

 कुआं खोद पीते रहे, जी ते लिखते लेख |
प्रेम-चन्द आदर्श मम, खींची लम्बी रेख |


खींची लम्बी रेख, जन्म का महिना पावन |
प्रस्तुत करें मनोज, कई रचना मनभावन |


मर्यादा सप्त-सरोज, हंस गोदान माधुरी |
कर्मठ छप्पन साल, उम्र में सांस आखिरी ||

Purchase Rs.20 Lakh Car from taxpayers Money UP CM Akhilesh Yadav tells to 403 MLAs

SM at From Politics To Fashion
माल हमारे बाप का, तेरा क्या है बोल ?
वाहन-चोरी का खतम, हुआ पुराना रोल |

हुआ पुराना रोल, समय पब्लिक की सेवा |
सेवा कर दिल खोल, तभी तो खाए मेवा |

पोलिटिक्स की ट्रिक्स, नहीं समझो बे मारे |
चाचा ताऊ सकल, मुलायम बाप हमारे | |

महंगाई की तपिश और मॉनसून के नखरे


खेती कर मैदान में, रोटी कठिन जुहात |
इक कपडा इक कोठरी, कृषक देश कहलात |


कृषक देश कहलात, मार मंहगाई डारे |
इसीलिए तो आज, युवा क्रिकेट पर वारे |


लाखों का मैदान,  कराता वारे न्यारे |
युवा वर्ग मस्तान, जाय क्यूँ खेत किनारे ||

My Image

 कान खोलकर सुन रहा, बिरादरी की बात |
हुक्का-पानी बंद हो, सुन कविवर अभिजात |

सुन कविवर अभिजात, बेच जीवन भर भाषण |
सोनी माया बोथ,  हमेशा ली प्रीकाशन |

जाती यू पी हार, हकाले भरी दुपहरी |
इसीलिए अविनाश, कवि संग लेते तफरी ||

सूरज की साजिश !

संतोष त्रिवेदी
बैसवारी baiswari

दोहा दोहाई भरे, धरे नहीं अब धीर |
मेघावरि न शोभते, बिन बरसाये नीर ||

सुखा सुखा के तन-बदन, सारा रक्त निचोड़ |
घड़े भरे ले घूमते, देंगे रविकर फोड़ ||

रविकर खान अवैध, माफिया कई खानते

खान खानते खामखा, खालिस है खटराग ।
जान जाय जोखिम जबर, झरिया झन्झट आग ।

झरिया झन्झट आग, मुहाना बंद पड़ा है ।
खनिकों जाओ जाग, उधर यमदूत खड़ा है |

रविकर खान अवैध, माफिया कई खानते |
जाय आम इंसान, जान से खूब जानते |



Women  carry baskets of coal back to their village for sale, after having scavenged the coal illegally from an open-cast coal mine in the village of Jina Gora on February 09, 2012 near Jharia, India. Villagers in India's Eastern State of Jharkhand scavenge coal illegally from open-cast coal mines to earn a few dollars a day. Claiming that decades old underground burning coal seams threatened the homes of villagers, the government has recently relocated over 2300 families to towns like Belgaria. Villagers claim they were promised schools, hospitals and free utilities for two years, which they have not received. As the world's power needs have increased, so has the total global production of coal, nearly doubling over the last 20 years according to the World Coal Association.

10 comments:

  1. कोयला-खदान की व्यथा...सही कहा है !

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  2. बढ़िया प्रस्तुति |

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    1. क्या बात है भाई-
      आज सब तरफ खान खान ही गूंज रहा है -
      यह देखिये-

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    2. http://allindiabloggersassociation.blogspot.in/

      मुझे पहचानो

      देखो मैं हूँ कौन

      आ रहा हूँ पलट के

      मैं हूँ सलीम ख़ान, ख़ान, ख़ान....!

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  3. बहुत बडि़या खोदा है खान को ।

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  4. बहुत बढ़िया प्रस्तुति |

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  5. रविकर खान अवैध, माफिया कई खानते |
    जाय आम इंसान, जान से खूब जानते

    इनकी व्यथा कों समझा और जाना है आपने ...
    सभी छंद कमाल के लिखे हैं भाई जी ...

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  6. खेती कर मैदान में, रोटी कठिन जुहात |
    इक कपडा इक कोठरी, कृषक देश कहलात |
    शानदार प्रस्तुति व्यापक कलेवर लिए प्रेमचन्द से लिखाड़ी गधे तक .

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  7. आज आपकी कुंडली में हम भी आए हैं
    और आप तो चहुं ओर बादल से छाए हैं

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  8. बहुत सुन्दर , बहुत बढ़िया ..

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