Thursday, 5 July 2012

बीस लाख की लाटरी, लक्ष्मीपति अखिलेश-

दौर उदारीकरण का, हो वापस आदेश ।
बीस लाख की लाटरी, लक्ष्मीपति अखिलेश।

लक्ष्मीपति अखिलेश, खफा क्यूँ हो जाते हो ?
रुख कठोर अति घोर, मुलायम बिसराते हो ।

माया का उपहास, अगर यूँ और करोगे ।
दो करोड़ कुल साफ़, मियाँ फिर आह भरोगे ।।

7 comments:

  1. मस्त है भाई...अब तो आदेश भी वापिस हो गया है.

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  2. अखिलेश जब नाम हमारा
    क्यों करें परवाह तुम्हारा

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  3. करोड़ खा जाने वाले
    बीस को क्या जाने ?

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  4. बहुत बढिया व्यंग्य मुलामियत पे ,मुलामियत के वंशजों पे ..

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  5. बीस लाख की कार का, निरस्त हुआ आदेश,
    यह सुनकर विधायकों का, बिगड गया है फेस
    बिगड गया है फेस, बिपक्ष ने ऐसा डाला डंडा
    चित्तपड़े अखिलेश, भूले विधायकनिधि का फंडा
    विधायकनिधि की राशि का सही करो उपयोग
    जनहित में खर्च करो, खुद मत करो उपभोग

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  6. bilkul sahi kaha aur bahut hi sundar shabdon me.nice

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  7. रविकर जी बहुत बेहतरीन कुंडली

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