veerubhai
कबीरा खडा़ बाज़ार में -
कबीरा खडा़ बाज़ार में -
माहिर बनते जा रहे, नव-दंपत्ति महान |
रविकर बामुश्किल हुई, एक अदद संतान |
एक अदद संतान, अगर सर्दी-ज्वर आता |
खोल मेडिसिन बॉक्स, रिस्क पर सिरप पिलाता |
बच्चा मारक कष्ट, नहीं गर करता जाहिर |
ऐंठन,मूर्छा, मृत्यु, कहें हो सकती माहिर ||
खून के रिश्ते पानी होते हमने देखे .
शिखा कौशिक at भारतीय नारी
खून-पानी एक करके धर दिया है ।
गाँव को भी लाश से ही भर दिया है ।
हर जगह अब चल रही खूनी हुकूमत -
खून के आंसू रुला सब हर लिया है ।
खूं-पसीना एक करके बाप पाले-
पड़ा लथ-पथ खून घर में कर दिया है ।
लोथड़े को खून से सींची महीनों -
प्राण पाकर पुत्र ने नौकर किया है ।
"अब तो समझ "
सुशील at "उल्लूक टाईम्स "तितली उड़ कौआ उड़ा, उल्लू उड़ा बताय |
आज उड़ाते पेड़ भी, धरा सफा हो जाय |
धरा सफा हो जाय, पेड़ पर नंबर ज्यादा |
पक्षी सारे आज, बदलने लगे इरादा |
वैसे उड़ते लोग, उड़ाते बाप कमाई |
बच्चों का यह खेल, बड़ी बेईमानी लाई ||
लोथड़े को खून से सींची महीनों -
ReplyDeleteप्राण पाकर पुत्र ने नौकर किया है ।
मार्मिक प्रस्तुति .सर चढ़ बैठी हैं आपकी कुंडली .शुक्रिया .
लोथड़े को खून से सींची महीनों -
ReplyDeleteप्राण पाकर पुत्र ने नौकर किया है । मार्मिक प्रस्तुति .सर चढ़ बैठी हैं आपकी कुंडली .शुक्रिया .
मशीन में डाली
ReplyDeleteऔर एक कुंडली बनाली !!!
सार्थक प्रस्तुति .आभार ऐसा हादसा कभी न हो
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