Tuesday 1 January 2013

जोखिम से बच मूर्ख, मार नहिं मुंह चौतरफा -




Virendra Kumar Sharma 
 कीड़ा जब वासना का, लेता उनको काट |
पीड़ा लेते हैं मिटा, इधर उधर सब चाट |
इधर उधर सब चाट, हाथ साबुन से धोते |
भोगें किसिंग डिजीज, जिंदगी भर फिर रोते  | |
जोखिम से बच मूर्ख, मार नहिं मुंह चौतरफा |
काम काम से काम, अन्यथा जीवन तल्फा ||


हिम्मत जुटा जटायु, बजा दे घंटी रविकर -

दुर्जन निश्चर पोच अघ, फेंकें काया नोच ।
विकृतियाँ जब जींस में, कैसे बदले सोच ?
कैसे बदले सोच, नहीं संकोच करे हैं ।
है क़ानूनी लोच, तनिक भी नहीं डरे हैं ।
हिम्मत जुटा जटायु, बजा दे घंटी रविकर ।
करके रावण दहन, मिटा दे दुर्जन निश्चर ।।

  सोच बदलने पर दिया, बड़ा आजकल जोर ।
कामुक अपराधी दनुज, खाएं किन्तु खखोर ।
खाएं किन्तु खखोर, कठिन है सोच बदलना ।
स्वयं कुअवसर टाल, संभलकर खुद से चलना ।
रहो सुरक्षित देवि, उन्हें तो जहर उगलना।
मारक करो प्रहार, कठिन है सोच बदलना। 
सोच बदलने की भला, उससे को कह पाय । 
उससे को कह पाय, दंड ही एक रास्ता ।
करिए ठोस उपाय, सुता का तुझे वास्ता ।
फांसी कारावास, बचाए दुनिया आधी ।
फास्ट ट्रैक पर न्याय, बचे न अब अपराधी ।।  

9 comments:

  1. प्रासंगिक लेखा जोखा देश के हालात का हरारत ज़ज्बात का .

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  2. बे -शक जीवन आगे की ओर है पीछे रुका पानी है लेकिन आइना है परछाईं दुर्घटनाओं की ,ज़रूरी है आगे ठेलने के लिए दुश्शासन को दफन करना सामाजिक अलाव में .

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  3. भावुक करती रचना.सुन्दर प्रस्तुति.

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  4. बहुत खूब ... सामयिक ...

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  5. बहुत खूब सूरत अर्थ मय ,भाव पूर्ण प्रस्तुति .

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  6. मंगलवार, 1 जनवरी 2013

    "आचार की बातें करें" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

    साधना, आराधना उपहार की बातें करें।।
    प्यार का मौसम है, आओ प्यार की बातें करें।

    नेह की लेकर मथानी, सिन्धु का मन्थन करें,
    छोड़ कर छल-छद्म, कुछ उपकार की बातें करें।

    आस का अंकुर उगाओ, दीप खुशियों के जलें,
    प्रीत का संसार है, संसार की बातें करें।

    भावनाओं के भँवर में, छेड़ दो वीणा मधुर,
    घर सजायें स्वर्ग सा, मनुहार की बातें करें।

    कदम आगे तो बढ़ाओ, सामने मंजिल खड़ी,
    जीत के माहौल में, क्यों हार की बातें करें।

    बेचना मत आबरू को, "रूप" के बाज़ार में,
    आओ हम परिवार में, आचार की बातें करें।

    सार्थक सामयिक सन्देश देती खूब सूरत रचना है भाई साहब .

    टिपण्णी स्पेम से निकालें रविकर भैया .

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  7. सामयिक सुन्दर प्रस्तुति.बढ़िया..

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  8. अर्थपूर्ण लेख और कुंडलियाँ !!

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  9. आदरणीय सर नमस्कार आप आये और छा गए उम्दा प्रस्तुति ढेरों बधाइयाँ

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