तार-तार संसार, खार खा रहा नपुंसक-
कामोत्तेजक सीनरी, द्रव्य, धूम्र सहकार।
भ्रष्ट-आचरण, स्वार्थ, दम, तार-तार संसार ।
तार-तार संसार, खार खा रहा नपुंसक ।
पाद रहा अंगार, हुआ जाता है हिंसक ।
नैतिक बंटाधार, थाम सकते तो थामो ।
डूबे देश-समाज, मरोगे सब नाकामो ।।
SM
शादी कच्ची उम्र में, लाद रहे ड्रेस कोड ।
नए नए प्रतिबंध नित, नारी तन-मन गोद ।
नारी तन-मन गोद, गोद में जिनके खेले ।
कब्र रहे वे खोद, खड़े कर रहे झमेले ।
सृष्टि खड़ी भयभीत, मजे लेते प्रतिवादी ।
जहाँ तहाँ ले घेर, बनाते जबरन शादी ।।
इक नारी को घेर लें, दानव दुष्ट विचार ।
शक्ति पुरुष की जो बढ़ी, अंड-बंड व्यवहार ।
अंड-बंड व्यवहार, करें संकल्प नारियां ।
होय पुरुष का जन्म, हाथ पर चला आरियाँ ।
काट रखे इक हाथ, बने नहिं अत्याचारी ।
कर पाए ना घात, पड़े भारी इक नारी ।।
Kulwant Happy
ओ वेशी मत बकबका, सह ले सह अस्तित्व ।
जीवन की कर बात रे, क्यूँकर घेरे मृत्यु ।
क्यूँकर घेरे मृत्यु , बात कर सौ करोड़ की ।
लानत सौ सौ बार, बंद कर बन्दर घुड़की ।
कन्वर्टेड इंसान, पूर्वज तेरे देशी ।
कर डी एन ए मैच, बकबका मत ओ वेशी ।।
तार-तार संसार, खार खा रहा नपुंसक-
कामोत्तेजक सीनरी, द्रव्य, धूम्र सहकार।
भ्रष्ट-आचरण, स्वार्थ, दम, तार-तार संसार ।
तार-तार संसार, खार खा रहा नपुंसक ।
पाद रहा अंगार, हुआ जाता है हिंसक ।
नैतिक बंटाधार, थाम सकते तो थामो ।
डूबे देश-समाज, मरोगे सब नाकामो ।।
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SM
शादी कच्ची उम्र में, लाद रहे ड्रेस कोड ।
नए नए प्रतिबंध नित, नारी तन-मन गोद ।
नारी तन-मन गोद, गोद में जिनके खेले ।
कब्र रहे वे खोद, खड़े कर रहे झमेले ।
सृष्टि खड़ी भयभीत, मजे लेते प्रतिवादी ।
जहाँ तहाँ ले घेर, बनाते जबरन शादी ।।
इक नारी को घेर लें, दानव दुष्ट विचार ।
शक्ति पुरुष की जो बढ़ी, अंड-बंड व्यवहार ।
अंड-बंड व्यवहार, करें संकल्प नारियां ।
होय पुरुष का जन्म, हाथ पर चला आरियाँ ।
काट रखे इक हाथ, बने नहिं अत्याचारी ।
कर पाए ना घात, पड़े भारी इक नारी ।।
Kulwant Happy
ओ वेशी मत बकबका, सह ले सह अस्तित्व ।
जीवन की कर बात रे, क्यूँकर घेरे मृत्यु ।
क्यूँकर घेरे मृत्यु , बात कर सौ करोड़ की ।
लानत सौ सौ बार, बंद कर बन्दर घुड़की ।
कन्वर्टेड इंसान, पूर्वज तेरे देशी ।
कर डी एन ए मैच, बकबका मत ओ वेशी ।।
Nice Post
ReplyDeleteप्रासंगिक कटाक्ष बे -हूदा चुतियापे के प्रस्तावों पर .
ReplyDeleteबहुत बढ़िया..
ReplyDeleteये मंद बुद्धि बालक शिकारी कुत्तों की तरह जहां से भी वोट की खुशबू आती है वहीँ पहुँच जाता है .
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ReplyDeleteलगता है देश एक बार फिर से किसी भयानक हादसे से गुजरने वाला है। देश के हुकमरान एक बार फिर किसी को पनपने की वो हर परिस्थिति मुहैया करवा रहे हैं, जो आज से कुछ साल पहले कुछ समुदाय नेताओं की दी गई एवं अंत तो पूरा विश्व जानता है। मगर अफसोस यह गलती एक ही परिवार बार बार कर रहा है। *कथित तौर पर* लिट्टे को जन्म देना वाला। पंजाब में सिखों के अलग राज की मांग करने वाले संत। सभी को उभरने के लिए गांधी परिवार ने अपना पूरा सहयोग दिया। मगर जब इन्होंने गांधी परिवार से आगे जाकर अपनी खुद की पैठ बनानी शुरू की तो गांधी परिवार को बुरा लगा। अफसोस इसमें नुकसान आम आदमी को भुगताना पड़ा। अब एक बार फिर गां... अधिक »
ये शहजादा असल मुद्दों से भागा रहता है हिम्मत नहीं हुई इस नेहरुवीयन चूहे की युवजनों के बीच इंडिया गेट आने की ये ओवैशि की तरह ही विषैला है .सेकुलर है साला .
bahut sateek tippaniyan !
ReplyDeleteबेहतरीन सटीक प्रस्तुति,,,
ReplyDeleterecent post: वह सुनयना थी,
बेहतरीन प्रस्तुति
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