बता ... क्या करूं ...
(दिगम्बर नासवा)
पुत्तर ! दायें हाथ से, ले पोती को साथ ।
पकड़ाओ उँगली बड़ी, पकड़ो उसका हाथ ।
पकड़ो उसका हाथ, अनोखा लगता है ना ।
किसको पकड़े कौन, बोलिए मधुरिम बैना ।
माँ का आशिर्वाद, यही तो माँ का उत्तर ।
सदा रहे आबाद, हमारा प्यारा पुत्तर ।।
Some more Inhumane and Barbaric act by Pakistan
sanjay rai
घर की मुर्गी नोन है, घर का भेदी पाल ।
पेट फाड़ के बम रखे, काटे गला हलाल ।
काटे गला हलाल, उछाले जाते हर दिन ।
चिंतित अंतरजाल, कौन ले बदला गिन-गिन ?
पहला दुश्मन पाक, दूसरे नक्सल ठरकी ।
मरने दो यह पुलिस, बात आखिर है घर की ।।
रश्मि
कृष्णा जादूगर बड़े, हो मीरा को भ्रान्ति ।
अजब गजब अंदाज है, रश्मि-मान संक्रांति।
रश्मि-मान संक्रांति, नहीं विश्रांति किया है ।
हरदम आठो-याम, हृदय से याद किया है ।
विष का प्याला देख, जगी थी तब भी तृष्णा ।
पर मीरा का मोक्ष, नहीं कुछ बोले कृष्णा ।।
तोबा-तोबा !
पी.सी.गोदियाल "परचेत"
इत्तिफाक से मिल गयी, नंगा झोरी होय ।
फोटो-कॉपी से मिला, यो ही छोरी होय ।
यो ही छोरी होय, रखे दिल-बड़ी तिजोरी ।
रही रोज अब धोय, पुलिस ने पकड़ी चोरी ।
यह अंधड़ घनघोर, झरे अब अश्रु आँख से ।
बसी कहाँ प्रियतमा, डरूं इस इत्तिफाक से ।।
नौनिहालों की निरर्थक तारीफ़ करना भी ठीक नहीं है
Virendra Kumar Sharma
हुल्लड़ यू पी में किया, लौंडा नक्शेबाज |
अतिश्योक्ति है जुबाँ पर, शहजादा अंदाज |
शहजादा अंदाज, बड़ा शातिर यह नेता |
जन्मसिद्ध अधिकार, डोर सत्ता की लेता |
लेकिन घोड़े सभी, नहीं पाले है काबुल |
क्रिकेट में भी गधे, ठीक तो है ना राहुल ||
बता ... क्या करूं ...
(दिगम्बर नासवा)
पुत्तर ! दायें हाथ से, ले पोती को साथ ।
पकड़ाओ उँगली बड़ी, पकड़ो उसका हाथ ।
पकड़ो उसका हाथ, अनोखा लगता है ना ।
किसको पकड़े कौन, बोलिए मधुरिम बैना ।
माँ का आशिर्वाद, यही तो माँ का उत्तर ।
सदा रहे आबाद, हमारा प्यारा पुत्तर ।।
Some more Inhumane and Barbaric act by Pakistan
sanjay rai
घर की मुर्गी नोन है, घर का भेदी पाल ।
पेट फाड़ के बम रखे, काटे गला हलाल ।
काटे गला हलाल, उछाले जाते हर दिन ।
चिंतित अंतरजाल, कौन ले बदला गिन-गिन ?
पहला दुश्मन पाक, दूसरे नक्सल ठरकी ।
मरने दो यह पुलिस, बात आखिर है घर की ।।
रश्मि
कृष्णा जादूगर बड़े, हो मीरा को भ्रान्ति ।
अजब गजब अंदाज है, रश्मि-मान संक्रांति।
रश्मि-मान संक्रांति, नहीं विश्रांति किया है ।
हरदम आठो-याम, हृदय से याद किया है ।
विष का प्याला देख, जगी थी तब भी तृष्णा ।
पर मीरा का मोक्ष, नहीं कुछ बोले कृष्णा ।।
तोबा-तोबा !
पी.सी.गोदियाल "परचेत"
इत्तिफाक से मिल गयी, नंगा झोरी होय ।
फोटो-कॉपी से मिला, यो ही छोरी होय ।
यो ही छोरी होय, रखे दिल-बड़ी तिजोरी ।
रही रोज अब धोय, पुलिस ने पकड़ी चोरी ।
यह अंधड़ घनघोर, झरे अब अश्रु आँख से ।
बसी कहाँ प्रियतमा, डरूं इस इत्तिफाक से ।।
नौनिहालों की निरर्थक तारीफ़ करना भी ठीक नहीं है
Virendra Kumar Sharma
हुल्लड़ यू पी में किया, लौंडा नक्शेबाज |
अतिश्योक्ति है जुबाँ पर, शहजादा अंदाज |
शहजादा अंदाज, बड़ा शातिर यह नेता |
जन्मसिद्ध अधिकार, डोर सत्ता की लेता |
लेकिन घोड़े सभी, नहीं पाले है काबुल |
क्रिकेट में भी गधे, ठीक तो है ना राहुल ||
अतिश्योक्ति है जुबाँ पर, शहजादा अंदाज |
शहजादा अंदाज, बड़ा शातिर यह नेता |
जन्मसिद्ध अधिकार, डोर सत्ता की लेता |
लेकिन घोड़े सभी, नहीं पाले है काबुल |
क्रिकेट में भी गधे, ठीक तो है ना राहुल ||
वो होती क्या.....
रश्मि
शक्ति बड़ी है सोच में, गर्म गर्म एहसास |
बर्फ पिघलनी चाहिए, किन्तु करे नहिं नाश | किन्तु करे नहिं नाश, कहीं कुछ छोटे इग्लू | बर्फ देख मासूम, सोचती रह रह पिघलूं | पर इग्लू को देख, सोच में आज पड़ी है | मिला अभी सन्देश, नारि में शक्ति बड़ी है || |
सत्ता के व्यक्तव्य , सख्त हर दिन आते हैं
हाय हाय रे मीडिया, देश-देश का भक्त ।
टी आर पी की दौड़ सह, विज्ञापन आसक्त ।
विज्ञापन आसक्त, आज तक पूजा बेदी ।
बलि बेदी पर शीश, मस्त है घर का भेदी ।
लगा दिया आरोप, विपक्षी भड़काते हैं ।
सत्ता के व्यक्तव्य , सख्त देखो आते हैं ।। |
गर चर्चा का दौर, रखो विज्ञापन बाहर -
विज्ञापन मछली बड़ी, आँख देखता पार्थ ।
आँख देखता पार्थ, अर्थ में दीवाना है ।
रहे बेंचता दर्द, मर्ज से अनजाना है ।
सकारात्मक त्याज्य, लगे खुब जोर मिर्चियाँ ।।
|
जामा मस्जिद का 'मातोश्री' !Saleem akhter Siddiqui
हक बात
सिद्दीकी साहब लिखें, एक राज पर राज | गड़बड़झाला देख के, उठा रहे आवाज | उठा रहे आवाज, बना कानून खिलौना | मिटा रहे बचपना, नियम हो जाता बौना | मातो श्री की ठाठ, यहाँ भी जय जिद्दी की | अपना अपना राज, बड़ा मसला सिद्दीकी || |
बहुत धन्यवाद रविकर जी ... मुझे शामिल करने के लिए ...
ReplyDeleteआप रचना का मान बढा देते हैं ...
यह अंधड़ घनघोर, झरे अब अश्रु आँख से ।
ReplyDeleteबसी कहाँ प्रियतमा, डरूं इस इत्तिफाक से ।।
हा-हा..... आभाए सर जी !
सुन्दर प्रयास दामिनी की मूक शहादत
ReplyDeleteआप भी जाने @ट्वीटर कमाल खान :अफज़ल गुरु के अपराध का दंड जानें .
रविकर सर प्रणाम बहुत ही सुन्दर रचना रची है हार्दिक बधाई स्वीकारें.
ReplyDeleteउम्दा लिंक !!
ReplyDeleteबहुत उम्दा लिंकों सहित कमाल की टिप्पणियाँ,,,
ReplyDeleterecent post: मातृभूमि,
बढिया लिंक्स
ReplyDeleteभाई साहब सार्थक और प्रासंगिक टिप्पणियाँ आपकी मूल आलेख की सटीक व्याख्या बन जाती हैं .अब देख लो एक मंद बुद्धि बालक को सूचना प्रसारण नुमा प्रवक्ता कांग्रेस मनीष तिवाई जी कह रहें हैं -
ReplyDelete,वह (मंद मति
)हमारे नेता हैं ,2014 की कमान वही संभालेंगे . जब इस बालक की कुछ
समझ नहीं आता ,तब यह पहले हकलाता है ,कोई गलती करता है बोलते बोलते फिर बाजू चढ़ा लेता है .
हुल्लड़ यू पी में किया, लौंडा नक्शेबाज |
अतिश्योक्ति है जुबाँ पर, शहजादा अंदाज |
शहजादा अंदाज, बड़ा शातिर यह नेता |
जन्मसिद्ध अधिकार, डोर सत्ता की लेता |
लेकिन घोड़े सभी, नहीं पाले है काबुल |
क्रिकेट में भी गधे, ठीक तो है ना राहुल ||
बहुत बढ़िया लिंक-लिक्खाड़ लगाते हैं आप...अर्थ उभरकर सामने आता है..और आज तो मेरी दो कविताएं शामिल है...शुक्रिया आपका
ReplyDeleteप्रभावशाली ,
ReplyDeleteजारी रहें।
शुभकामना !!!
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