रिश्तों का गणित
संगीता स्वरुप ( गीत )
रहे खोलते रात-दिन, पहले बड़का पोट | पहले बड़का पोट, अंश हर वर्ग मूल थे | पड़े दशमलव विन्दु, वहाँ पर कुछ फिजूल थे | जोड़-गाँठ में दक्ष, किन्तु रिश्तों का अहमक | चक्रव्यूह के द्वार, भीम सा करता ठक ठक || |
नहीं दिखें बेटियां, बहन नहिं माता दीदी
दीदी दुनिया दग्ध-मन, दर-दर दम्भी-दुष्ट |
दकियानूसी दखल दे, दे *दंदारू कुष्ट | दे *दंदारू कुष्ट, अपाहिज दुनिया आधी | करे स्वार्थ की पुष्टि, स्वयंभू बनता गाँधी | पौरुष-मद मदहोश, आँख भी रहे उनीदी | नहीं दिखें बेटियां, बहन नहिं माता दीदी || *फफोला |
भारतीय सेना के वीर जवानों को नमन !!
पूरण खंडेलवाल
पुख्ता पावन वृत्तियाँ, न्यौछावर सर्वस्व |
कीर्ति पताका फहरती, धावति रविकर अश्व | धावति रविकर अश्व , मेध चाहे हो जाए | एक नहीं सैकड़ों, बार धड़ शीश कटाए | मम माता तव शान, चढ़ाएंगे सिर-मुक्ता | लेना आप पिरोय, गिनतियाँ रखना पुख्ता || |
जल मछली और मत्स्य पुरुष
Virendra Kumar Sharma
मानव *मत्सर मानिए, मत्स्य-नारि मजबूर |
दूर दर्द अनुभूति से, जुल्म सहे तब क्रूर | जुल्म सहे तब क्रूर, नारि को मत्स्य मानता | मच्छ-घातिनी डाल, फँसा के रहा तानता | छटपटाय-तड़पाय, भून कर खाता रविकर | हुई जागरुक किन्तु, सुधर रे मानव मत्सर ||
*डाह रखने वाला
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नौनिहालों में दमे के खतरे के वजन को बढ़ाता है कबाड़िया भोजन
अमां दमा एक्जिमा क्या, लेते कहाँ भकोस | |
मातृभूमि,,,
धीरेन्द्र सिंह भदौरिया
स्वामी जी की सीख प्रभु, कर दे सबको बाध्य ।
सर्वोपरि हो देश हित, मातृभूमि आराध्य ।
मातृभूमि आराध्य, धर्म से ऊपर दर्जा ।
जाति-पंथ की बात, करेगी अब नहिं परजा ।
कहें विवेकानंद, भरो तुम सारे हामी ।
जीवन भर आनंद, कहे कब का यह स्वामी ।।
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दान समझ कर डाल दे, हो जा हिन्दु रिलैक्स -डालो पैसे कुम्भ में, है नहिं मेला टैक्स । दान समझ कर डाल दे, हो जा हिन्दु रिलैक्स । हो जा हिन्दु रिलैक्स, फैक्स आया है भारी । हज पर अगली बार, सब्सिडी की तैयारी । अमरनाथ जय जयतु, नहीं इच्छा तुम पालो । नेकी कर ले भगत, दान दरिया में डालो ।। |
@ट्वीटर कमाल खान :अफज़ल गुरु के अपराध का दंड जानें .नहीं नहीं जल्दी नहीं, इक मौका दो और ।माना पाक-परस्त हैं, पर करिए ये गौर । पर करिए ये गौर, पुन: हमला हो जाए । करे सुरक्षा कर्म, आठ दस जन मर जाए । साथ मरें दस-बीस, रीस जिनपर है भारी । इन्तजार कर मित्र, कटे जब पारी पारी ।। |
महा कुंभ मेला-2013नागा बाबा योगि-हठ, पूस माघ का बाघ | पावन बेला कुम्भ की, सब मेलों में घाघ | सब मेलों में घाघ, राग रागिनी बजी है | त्रिवेणी सौन्दर्य, दिशा दस सजी-धजी है | धर्म आस्था तीव्र, आज जन जन में जागा | ईष्ट-मित्र संग पहुँच, नहीं कर भैया नागा || |
जामा मस्जिद का 'मातोश्री' !Saleem akhter Siddiqui
हक बात
सिद्दीकी साहब लिखें, एक राज पर राज | गड़बड़झाला देख के, उठा रहे आवाज | उठा रहे आवाज, बना कानून खिलौना | मिटा रहे बचपना, नियम हो जाता बौना | मातो श्री की ठाठ, यहाँ भी जय जिद्दी की | अपना अपना राज, बड़ा मसला सिद्दीकी || |
मनमोहनजी का आज कार्यक्रम !!
Bamulahija dot Com
नौटंकी का दृश्य है, इक सैनिक बिन माथ |
युद्ध क्षेत्र में है पड़ा, तू भी उसके साथ | तू भी उसके साथ, हाथ तेरा कट जाए | लेकर उसका हाथ, बोल तू कसक लगाए | होंवे जब दो हाथ, हाथ दो-दो कर लेना | यही आखिरी सीन, विदाई रविकर देना || |
बढ़िया लिक्स..आभार..
ReplyDeleteसुन्दर प्रयास ”ऐसी पढ़ी लिखी से तो लड़कियां अनपढ़ ही अच्छी .”
ReplyDeleteआप भी जाने @ट्वीटर कमाल खान :अफज़ल गुरु के अपराध का दंड जानें .
बेहतरीन लिंक्स ...
ReplyDeleteआभार सहित
सादर
लिंकों को आप अपनी काव्य रचनाओं के साथ बहुत खूबसूरत तरीके से सजा देते है , आभार !!
ReplyDeleteपुख्ता पावन वृत्तियाँ, न्यौछावर सर्वस्व |
ReplyDeleteकीर्ति पताका फहरती, धावति रविकर अश्व |
धावति रविकर अश्व , मेध चाहे हो जाए |
एक नहीं सैकड़ों, बार धड़ शीश कटाए |
सर इन दिनों आप अपनी रचनात्मकता के शिखर पर हैं बधाई .
मम माता तव शान, चढ़ाएंगे सिर-मुक्ता |
लेना आप पिरोय, गिनतियाँ रखना पुख्ता ||
पुख्ता पावन वृत्तियाँ, न्यौछावर सर्वस्व |
कीर्ति पताका फहरती, धावति रविकर अश्व |
धावति रविकर अश्व , मेध चाहे हो जाए |
एक नहीं सैकड़ों, बार धड़ शीश कटाए |
मम माता तव शान, चढ़ाएंगे सिर-मुक्ता |
लेना आप पिरोय, गिनतियाँ रखना पुख्ता ||
नौटंकी का दृश्य है, इक सैनिक बिन माथ |
ReplyDeleteयुद्ध क्षेत्र में है पड़ा, तू भी उसके साथ |
तू भी उसके साथ, हाथ तेरा कट जाए |
लेकर उसका हाथ, बोल तू कसक लगाए |
होंवे जब दो हाथ, हाथ दो-दो कर लेना |
यही आखिरी सीन, विदाई रविकर देना ||
ये अस्वीकार की मुद्रा में रहने वाले वली हैं कल को कह सकतें हैं सर कलम पाक ने नहीं हाफ़िज़ सईद ने कराए हैं .पाक हमारा मित्र है .(भले उसके इरादे नापाक रहे आयें ).
भाई साहब इन दिनों आपकी रचनात्मकता शिखर पर है .
ReplyDeleteस्पेम बोक्स टिपण्णी दबाके भकोस रहा है .निकालें टिपण्णी
ReplyDeleteरविकर जी ,
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया ।
बेहतरीन लिंक्स.... रविकर जी
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