डॉ शिखा कौशिक ''नूतन ''
पुत्री पर प्रतिबन्ध क्यों, करती हो खिलवाड़ |
करती हो खिलवाड़, हमें है सोच बदलनी | भेदभाव यह छोड़, पुत्र सम पुत्री करनी | होकर के गंभीर, ध्यान देना है मित्रों | अपनी चाल सुधार, बाप बनना है पुत्रों | |
रश्मि
वाह वाह क्या बात है, मुलाक़ात मुस्काय | नयनों में मधुमास है, चीं चीं चुप चुबलाय | चीं चीं चुप चुबलाय, भरोसा आश्वासन है | सर्वश्रेष्ठ यह युगल, वृक्ष भी इन्द्रासन है | दोनों एकाकार, स्वयं के छवि की ख्वाहिश | बहती प्रेमाधार, हुई है कसके बारिश || |
लेख लिखाते ढेर से, पढ़िए सहज उपाय ।
रेप केस में सेक्स ही, पूरा बदला जाय ।
पूरा बदला जाय, भ्रूण हत्या से बचकर ।
भेदभाव से उबर, करे सर्विस जब पढ़कर ।
दुर्जन से घबराय, छोड़ दिल्ली जो जाते ।
भरपाई हो मित्र, रहो फिर लेख लिखाते ।।
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पुरुषों से दोस्ती करें अथवा ना करें ?
ZEAL
ZEAL
आशा मिलती राम में, नर नारी संजोग |
आये आसाराम से, जाने कितने लोग | जाने कितने लोग, भोग की गलत व्याख्या | नित आडम्बर ढोंग, बड़ी भारी है संख्या | नारी नहिं गलनीय, नहीं वह मीठ बताशा | सुता सृष्टि माँ बहन, सदा दुनिया की आशा || |
"पत्थर दिल कब पिघलेंगे?" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')आई मौनी अमाँ है, तमा तमीचर तीर | नारी मरती सड़क पर, सीमा पर बलवीर | सीमा पर बलवीर, देश में अफरा तफरी | सत्ता की तफरीह, जेब लोगों की कतरी | बेलगाम है लूट, समंदर पार कमाई | ढूँढ़ दूज का चाँद, अमाँ यह लम्बी आई || |
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बहुत खूब.
ReplyDeletemoonche ho to "azaad" jaisi! jabardast looks papa!!
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteबढिया लिंक्स
वाह ,,,,क्या बात है नया लुक अच्छा लगा,,,,
ReplyDeleterecent post : जन-जन का सहयोग चाहिए...
बहुत खूब गुरुदेव बढ़िया सुन्दर अति सुन्दर रचनायें, हार्दिक बधाई
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