Wednesday, 30 January 2013

लाठी हत्या कर चुकी, चुकी छुरे की धार -




लाठी हत्या कर चुकी, चुकी छुरे की धार |
कट्टा-पिस्टल गन धरो, बम भी हैं बेकार |
बम भी हैं बेकार, नया एक अस्त्र जोड़िये |
सरेआम कर क़त्ल, देह निर्वस्त्र छोड़िए | 
नाबालिग ले  ढूँढ़, होय बढ़िया कद-काठी |
मरवा दे कुल साँप,  नहीं टूटेगी लाठी ||

साहित्यकार के विचारों पर कानूनी कारवाई कितनी उचित !!


पूरण खण्डेलवाल

जारी है जब बहस तो, कहते जा री भैंस |
हाई-टी का स्वाद ले, कर ले बन्दे ऐश |
कर ले बन्दे ऐश, नया सुनना क्या गुनना |
स्वेटर फिर फिर खोल, डिजाइन बढ़िया बुनना |
चुकता जाए धैर्य, समय की मारामारी |
नव-सिद्धांत नकार, वसूलो माल-गुजारी ||

"छाया चारों ओर उजाला" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण) 
जाला यह षड्यंत्र का, अंधियारे का जाल |
जला जमाना जलजला, दुष्ट ठोकते ताल |
दुष्ट ठोकते ताल, ज़माना है मुट्ठी में  |
सदा जमाना रंग, पिया माँ की घुट्टी में |
चेतो सज्जन वृन्द, करो मिल वार कराला |
काटे रविकर तमस, धरा पर होय उजाला ||

"दो मुक्तक" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

मुक्त हस्त से गढ़ रहे, मुक्तक गुरुवर आज |
नेह रोशनी का मिलन, पढ़ता चले समाज ||



अंबानी जी, एक तरफ आपका पैसा है दूसरी तरफ देश है


information2media

बानी बक्कुर फूटते, धन असबाब अथाह |
सदा असंभव ग्रोथ है, जदपि कुबेर सलाह |
जदपि कुबेर सलाह, दुकाने कांगरेस सी |
भाजप सहित तमाम, भ्रष्ट पार्टियां देश की |
जिंदल-बाद्रा किंग, कई हस्ती अनजानी |
लूट रहे हैं देश, बड़े छोटे अम्बानी ||

जनतंत्र रूपी चिलमन और (अ)धर्मनिर्पेक्षता !

अंधड़ !

शा'रुख का रुख साफ़ है, आय पी एल में पस्त ।
पाक खिलाड़ी ले नहीं, मौका-मस्त-परस्त ।
मौका-मस्त-परस्त, बने प्रेसर गौरी पर ।
कमल हसन अभ्यस्त, बना बेचारा तीतर ।
हैं बयान के वीर, बने पुस्तक के आमुख ।
नंदी बंदी पीर, कमल शिंदे से शा'रुख ।।
Virendra Kumar Sharma 
दिवालिया दिग्विजय दुर, दुर्भाषी दुर्मर्ष |
दो दिन में ही दे मिटा, सत्ता का संघर्ष |
सत्ता का संघर्ष, बड़ा बडबोलापन है |
गिरेअर्श से फर्श, शक्तिशाली जन-गन है |
खतरनाक दुर्वचन, बका जो अभी हालिया |
जो चुनाव आसन्न, हो कांग्रेस दिवालिया ||

कमल हासन की फिल्म का क्या होगा?

IRFAN  

देश छोड़कर भागता ,यह अदना इन्सान |
सीन हटाने के लिए , कैसे जाता मान |
कैसे जाता मान, सोच में यह परिवर्तन |
डाला जोर दबाव, करे या फिर से मंथन |
रविकर यह कापुरुष, करे समझौता भारी |
बदले अपनी सोच, ख़तम इसकी हुशियारी |
My ImageDr.Divya Srivastava




चूहे चाचा चतुर हैं, भ्रमित भतीजा भक्त ।
कुतर कुतर के तंत्र को, कर जनतंत्र विभक्त ।
 कर जनतंत्र विभक्त, रोटियां रहे सेकते ।
सान सान के रक्त, शान से उधर फेंकते ।
किन्तु निडर यह शेर, नहीं जनता को दूहे ।
सुदृढ़ करे जहाज, भागते देखो चूहे ।  

डर लगता सौन्दर्य से, वाह वाह रे मर्द |
हुआ नपुंसक आदमी, गर्मी में भी सर्द |
गर्मी में भी सर्द , दर्द करती है देंही |
करे बयानी फर्द, बना फिर रहा सनेही |
रविकर यह सौन्दर्य, बनाता दुनिया सुन्दर |
पूजो तुम पूर्वज, बनो लेकिन मत बन्दर ||





अंधी देवी न्याय की, चालें डंडी-मार |
पलड़े में सौ छेद हैं, डोरी से व्यभिचार |


डोरी से व्यभिचार, तराजू बबली-बंटी  |
देता जुल्म नकार, बजे खतरे की घंटी |

 
अमरीका इंग्लैण्ड, जुर्म का करें आकलन |
कड़ी सजा दें देश, जेल हो उसे आमरण ||

पञ्च करे सरपंच घर, `पार्टी बड़ी विशाल ।
पैदा होता आज ही, रखनी के घर लाल ।
रखनी के घर लाल, खाल जिसका वो खींचे  ।
आज जन्मती पूत, वृक्ष बंशी वह सींचे 
वह जुल्मी सरपंच, आज सर पर ले घूमे।
नालायक इस बार, चरण रखनी के चूमें ।।

 


रहम करो रहमान पर, रब का बन्दा नेक ।
बादशाह की रोटियां, रहा आग पर सेंक ।
रहा आग पर सेंक, बिचारा बड़ा अभागा ।
गौरी छिब्बर खान, किरण जस गोली दागा ।
 सौ करोड़ का प्यार, कलंकित आज करे है
  हाफिज तो मक्कार, हिफाजत के नखरे हैं ।।

5 comments:

  1. अच्छे लिंक ,मेरे लेख को शामिल करने के लिए आभार !!

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  2. गुप्ता जी --आप और आप के लिखने के अंदाज ...कोई सानी नहीं |
    बहुत बहुत बधाई | सभी मजेदार

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