हमें वक्तव्य नहीं चार सिर चाहिए .
Virendra Kumar Sharma
अमर सिंह राठौर का, मिले शर्तिया शीश |
सुनो भतीजे रामसिंह, चाची को है रीस | चाची को है रीस, बिना सिर की यह काया | जाने पापी कौन, आज हमको बहकाया | जो भी जिम्मेदार, काट उसका सिर लाओ | नहीं मिले *मकु ठौर, नहीं राठौर कहाओ || *कदाचित |
नरेन्द्र मोदी के लिए एक कविता अलबेला खत्री के दिल से ...............
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बेलाग बोध बेलौस बल, ब्यौरा शपथ सटीक |
मोठस मोटा-भाय का, मंसूबा मन नीक ||
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घोंघा
देवेन्द्र पाण्डेय
यत्र-तत्र घुसपैठ कर, कवच-सुरक्षा ओढ़ | कवच-सुरक्षा ओढ़, चढ़ा है रंग बसंती | वय हो जाती गौण, रचूँ मैं एक तुरंती | यह है सुख का मूल, चला चल धीमा धीमा | घोंघा बने उसूल, चैन की फिर क्या सीमा ??
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माता ऐसे पूत को, कर देना तू माफ़ | तेरा पोत करेगा, जल्दी ही इन्साफ | जल्दी ही इन्साफ, करो स्पांसर पोता | कर हिसाब कुल साफ़, पूत को छोडो रोता | रक्त दूध सुख नींद, सुरक्षा शिक्षा पाता | संस्कार को भूल, सताता फिर ना माता || |
भाषा इन गूंगो की -सतीश सक्सेना
सतीश सक्सेना
कथा मार्मिक मातु की, करे मार्मिक प्रश्न | लेकिन हमको क्या पड़ी, जगत मनाये जश्न | जगत मनाये जश्न, सोच उनकी आकाशी | करते बंटाधार, चाल है सत्यानाशी | मारक होती माय, किन्तु बस में नहिं उसके | थी भोजन में व्यस्त, कुचल के पशुता खिसके | |
बढ़िया रविकर जी !
ReplyDeleteबहुत ही अच्छे लिंक्स ...
ReplyDeleteआभार आपका चयन एवं प्रस्तुति के लिये
सादर
बहुत बढ़िया लिंक्स लेकर सुन्दर प्रस्तुति ....
ReplyDeleteबहुत खुबसूरत लिक संयोजन,सटीक टिप्पणियों के बधाई,,,
ReplyDeleterecent post : बस्तर-बाला,,,
बेहतरीन लींको के सुन्दर एव सार्थक प्रस्तुती। पोस्ट चयन के लिए आभार।
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