Tuesday, 29 January 2013

जाय बसों ना' पाक, भरे हैं वहाँ फरारी-



इस देश की जनता दिग्विजय के उत्तर की प्रतीक्षा में है

Virendra Kumar Sharma 

दिवालिया दिग्विजय दुर, दुर्भाषी दुर्मर्ष |
दो दिन में ही दे मिटा, सत्ता का संघर्ष |
सत्ता का संघर्ष, बड़ा बडबोलापन है |
गिरेअर्श से फर्श, शक्तिशाली जन-गन है |
खतरनाक दुर्वचन, बका जो अभी हालिया |
जो चुनाव आसन्न, हो कांग्रेस दिवालिया ||

"छाया चारों ओर उजाला" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण) 

जाला यह षड्यंत्र का, अंधियारे का जाल |
जला जमाना जलजला, दुष्ट ठोकते ताल |
दुष्ट ठोकते ताल, ज़माना है मुट्ठी में  |
सदा जमाना रंग, पिया माँ की घुट्टी में |
चेतो सज्जन वृन्द, करो मिल वार कराला |
काटे रविकर तमस, धरा पर होय उजाला ||


पूरण खण्डेलवाल 




अंधी देवी न्याय की, चालें डंडी-मार |
पलड़े में सौ छेद हैं, डोरी से व्यभिचार |
डोरी से व्यभिचार, तराजू बबली-बंटी  |
देता जुल्म नकार, बजे खतरे की घंटी |
अमरीका इंग्लैण्ड, जुर्म का करें आकलन |
कड़ी सजा दें देश, जेल हो उसे आमरण ||

 वो धमकी दे रहा है।

लाठी हत्या कर चुकी, चुकी छुरे की धार |
कट्टा-पिस्टल गन धरो, बम भी हैं बेकार |
बम भी हैं बेकार, नया एक अस्त्र जोड़िये |
सरेआम कर क़त्ल, देह निर्वस्त्र छोड़िए | 
नाबालिग ले  ढूँढ़, होय बढ़िया कद-काठी |
मरवा दे कुल साँप,  नहीं टूटेगी लाठी ||

रहम करो रहमान पर, रब का बन्दा नेक ।
बादशाह की रोटियां, रहा आग पर सेंक ।
रहा आग पर सेंक, बिचारा बड़ा अभागा ।
गौरी छिब्बर खान, किरण जस गोली दागा ।
 सौ करोड़ का प्यार, कलंकित आज करे है
  हाफिज तो मक्कार, हिफाजत के नखरे हैं ।।

अंबानी जी, एक तरफ आपका पैसा है दूसरी तरफ देश है

information2media

बानी बक्कुर फूटते, धन असबाब अथाह |
सदा असंभव ग्रोथ है, जदपि कुबेर सलाह |
जदपि कुबेर सलाह, दुकाने कांगरेस सी |
भाजप सहित तमाम, भ्रष्ट पार्टियां देश की |
जिंदल-बाद्रा किंग, कई हस्ती अनजानी |
लूट रहे हैं देश, बड़े छोटे अम्बानी ||
 भुट्टो को फाँसी मिली, बेनजीर का क़त्ल |

ख्वाहिश तेरी गर दिली, नहीं लगाओ अक्ल |

नहीं लगाओ अक्ल, शक्ल के बड़े पुजारी |

जाय बसों ना' पाक, भरे हैं वहाँ फरारी |

कुछ दिन लोगे झेल, किन्तु जब जाओ हूरे |

आना वापस भाग, अधूरे करने पूरे  ||

जनतंत्र रूपी चिलमन और (अ)धर्मनिर्पेक्षता !

अंधड़ !

शा'रुख का रुख साफ़ है, आय पी एल में पस्त ।
पाक खिलाड़ी ले नहीं, मौका-मस्त-परस्त ।
मौका-मस्त-परस्त, बने प्रेसर गौरी पर ।
कमल हसन अभ्यस्त, बना बेचारा तीतर ।
हैं बयान के वीर, बने पुस्तक के आमुख ।
नंदी बंदी पीर, कमल शिंदे से शा'रुख ।।
  ओ-वेशी मत बकबका, मुहाजिरों को देख |
सर्वाइव कैसे करें, शिया मियां कुल शेख |
शिया मियां कुल शेख, पाक की हालत बदतर |
इत मुस्लिम खुशहाल, किसी से हैं क्या कमतर ?
विश्लेषण अनुसार, हिन्दु है बड़ा हितैषी  |
पुरखे जाते बाट, बाट मत अब ओबेशी ||

साहित्यकार के विचारों पर कानूनी कारवाई कितनी उचित !!


पूरण खण्डेलवाल

जारी है जब बहस तो, कहते जा री भैंस |
हाई-टी का स्वाद ले, कर ले बन्दे ऐश |
कर ले बन्दे ऐश, नया सुनना क्या गुनना |
स्वेटर फिर फिर खोल, डिजाइन बढ़िया बुनना |
चुकता जाए धैर्य, समय की मारामारी |
नव-सिद्धांत नकार, वसूलो माल-गुजारी ||

दामि‍नी.....नहीं मि‍लेगा तुम्‍हें न्‍याय

रश्मि शर्मा 
बालिग़ जब तक हो नहीं, चन्दा-तारे तोड़ ।
मनचाहा कर कृत्य कुल, बाहें रोज मरोड़ ।
बाहें रोज मरोड़, मार काजी को जूता ।
अब बाहर भी मूत, मोहल्ले-घर में मूता ।
चढ़े वासना ज्वार, फटाफट हो जा फारिग ।
फिर चाहे तो मार, अभी तो तू नाबालिग ।।



7 comments:

  1. आदरणीय गुरुदेव श्री प्रणाम, कुंडलियों का सुन्दर समां बांधा है हार्दिक बधाई

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  2. इन्साफ को तरसती दामिनी को मिल पायेगा इन्साफ !!
    पूरण खण्डेलवाल
    शंखनाद -


    अंधी देवी न्याय की, चालें डंडी-मार |
    पलड़े में सौ छेद हैं, डोरी से व्यभिचार |
    डोरी से व्यभिचार, तराजू बबली-बंटी |
    देता जुल्म नकार, बजे खतरे की घंटी |
    अमरीका इंग्लैण्ड, जुर्म का करें आकलन |
    कड़ी सजा दें देश, जेल हो उसे आमरण ||

    बेहतरीन काव्यात्मक वरण विडंबनाओं का ,अंधे लूले अपंग क़ानून का

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  3. बहुत सार्थक रूप से टिपियाया है आपने!
    आभार रविकर जी!
    अभी ब्रॉडबैंड का कनक्शन नहीं चल रहा है!

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  4. बहुत ही सार्थक संयोजन,समां निराली है।

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  5. जन-जन के आक्रोश को साझा करते छंद -रविकर जी सम-सामयिक धारदार छंद -बहुत बढ़िया

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  6. आपकी पोस्ट 31 - 01- 2013 के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
    कृपया पधारें ।
    --

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  7. |
    उम्दा लिंक्स

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