साथी *पहली बार जिसे पकड़ा था,वह था मेरा हाथ।और कहा था ,
पगले को सब ध्यान है, मिलन-विछोह *अनीह ।
जागृति हर एहसास है, पागल बना मसीह ।
पागल बना मसीह, छुड़ाकर हाथ गए जो ।
बाकी अब भी **सीह, डूब कर स्वयं गया खो ।
साठ वर्ष का साथ, मिलो फिर जीवन अगले ।
पकडूँ फिर से हाथ, मसीहा हम हैं पगले ।।
*बिन चेष्टा
**खुश्बू
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न्यूज चैनलों में तन गए तोप !
महेन्द्र श्रीवास्तव
चै-चै चैनल पर शुरू, कमर्शियल के संग | सुषमा ने भर ही दिया, जन-गन-मन में जंग | जन-गन-मन में जंग, रंग में आया भारत | लेकिन सत्ता दंग, अंग सब बैठ विचारत | उधर पाक में कूच, विपक्षी कूचें धै-धै |
हो जाए अब वार, मची चैनल पर चै चै ||
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पा जी राजी तब हुवे, समझ सके जब फिल्म ।
आठ दिनों तक था नहीं, घटना का भी इल्म ।
घटना का भी इल्म, कराना था एडमीशन ।
नातिन को नर्सरी, और राहुल को ट्यूशन ।
कोई भी इस्कूल, नहीं ना दिग्गी राजी ।
रहा इधर मशगूल, उधर सिर काटे पाजी ।।
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काली-कलुषित नजर से, रहे सुरक्षित नारि |
बने सुरक्षित तंत्र अब, धरे ध्यान परिवारि | धरे ध्यान परिवारि, विसारो पिछली बातें | दुर्घटना से सीख, परख ले रिश्ते नाते | ले उत्तर जह खोज, बनी हर नारि सवाली | अगर करोगे देर, बनेगी ज्वाला काली || |
पूरी की पूरी ख़तम, विरादरी यह धूर्त |
धोखा छल कर-वंचना, करें गलत आपूर्त | करें गलत आपूर्त, खर्च विज्ञापन पर कर | लेते अधिक वसूल, फंसे जब रविकर गुरुवर | रहिये सदा सचेत, बना कर रखो दूरी | खाओ रोटी-दाल, तलो मत पापड़-पूरी | |
घटना का भी इल्म, कराना था एडमीशन ।
ReplyDeleteनातिन को नर्सरी, और राहुल को ट्यूशन
Wah-wah :)
लाजबाब टिप्पणियाँ,,,
ReplyDeleteवाह वाह आदरणीय सर मज़ा आ गया सुबह-सुबह आपके ब्लॉग पर आना बेहद सुखदाई होता है. हार्दिक बधाई सादर
ReplyDeleteसुन्दर !!
ReplyDeleteबढिया लिंक्स
ReplyDeleteबहुत सुंदर
आपकी टिप्पणियों से ऊर्जा मिलती है!
ReplyDelete--
सार्थक लेखन!
चै-चै चैनल पर शुरू, कमर्शियल के संग |
ReplyDeleteसुषमा ने भर ही दिया, जन-गन-मन में जंग |
जन-गन-मन को जंग, रंग में आया भारत |
लेकिन सत्ताधीश, बैठ के रहे विचारत |
परेशान उत पाक, विपक्षी कूचें धै धै |
है आतंकी धाक, इधर चैनल की चै चै ||
बढ़िया है चैनल की चें चें .उत्कृष्ट प्रस्तुति .
इसे कहते हैं जयपुर जूता ,जयपुर टांग -
ReplyDeleteपी सी गोदियाल
पा जी राजी तब हुवे, समझ सके जब फिल्म ।
आठ दिनों तक था नहीं, घटना का भी इल्म ।
घटना का भी इल्म, कराना था एडमीशन ।
नातिन को नर्सरी, और राहुल को ट्यूशन ।
कोई भी इस्कूल, नहीं ना दिग्गी राजी ।
रहा इधर मशगूल, उधर सिर काटे पाजी ।।
प्रभावशाली ,
ReplyDeleteजारी रहें।
शुभकामना !!!
आर्यावर्त (समृद्ध भारत की आवाज़)
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बहुत सुन्दर मेरी रचना को शामिल करने के लिए आभार..
ReplyDeleteबहुत सटीक टिप्पणियां....
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