Thursday 24 January 2013

खान-दान का खूह, खुदा है, लगा डुबकियाँ -



अतिथि कविता : गिर गया गर हाथ से पुर्जा -डॉ .वागीश मेहता

Virendra Kumar Sharma 
ज्ञानपीठ लिक्खाड़ को, पुर्जे-पुर्जे ख़्वाब |
पुर्जा उड़ जाए अगर, हालत होय खराब |

हालत होय खराब, चढ़ा ले आस्तीन फिर |
आस्तीन के साँप, सफलता चढ़ती है सिर|

खान-दान का खूह, खुदा है, लगा डुबकियाँ | 
तृप्त हो चुकी रूह, भंजा ले मियाँ सुबकियाँ ||

अरुन शर्मा "अनंत"  
दास्ताँने - दिल (ये दुनिया है दिलवालों की)
 

हमेशा वजन में खरी हो गजल -
भरे भाव से हैं सभी शेर भी |



अरुण क्या कहें वाह रविकर करे-
कहें दोस्त अपने कहें गैर भी ||




ग्रीडी बा- शिंदे बहुत, सत्ता से है मोह |
आँके ना बलिदान को, करे हिन्दु से द्रोह |
करे हिन्दु से द्रोह, मगर हे संघी भाई |
नागपुरी-संतरे, यहाँ जो कलम लगाईं |
कांटे उगते देख, भला क्यूँ अपनी हाँके |
जाय गलत सन्देश, देश भी कमतर आँके ||



 रूपम से चैतन्य हो, संजीवनी समर्थ |
अरुण-प्रिया सपना सहज, अर्चनीय शुभ-अर्थ |
अर्चनीय शुभ-अर्थ, करें परमार्थ चिकित्सक |
ईश्वर का है रूप, दीन-दुखियों के रक्षक |
रविकर शुभ-आशीष, रहे खुश जोड़ी हरदम |
सुख-समृद्ध सौहार्द, होय यह युगल निरुपम |

ईश्वर कमज़ोर हो गया है ?

संतोष त्रिवेदी

आजादी अभिव्यक्ति की, चटुक चुटीले भाव |
ईश हुआ उन्नीस है, मत उसको उकसाव |
मत उसको उकसाव, भक्त ही बनते भगवन |
होता नहीं अघाव, भोग खाकर भी छप्पन |
वह ऊपर निश्चिन्त, बजे जनता का बाजा |
कहाँ सुने आवाज, धरा का बोले आ जा ||


शिंदे फंदे में फंसे, नाखुश हाइ-कमान |
निकला-तीर कमान से, है मुश्किल में जान |
है मुश्किल में जान, बयानी जान-बूझकर |
कई मर्तबा झूठ, करे गुल बिजली रविकर |
करते रहते बीट, विदेशी ढीठ परिंदे |
लगता वो तो मीठ, बुरे लगते बाशिंदे ||

भीगी बिल्ली बन्दियाँ, बन्दे बनते शेर -

 बन्दी-बन्दा मिल करें, कारस्तानी ढेर ।
भीगी बिल्ली बन्दियाँ, बन्दे बनते शेर ।
 बन्दे बनते शेर, दाग ना कोई धब्बा ।
बिन हर्रे फिटकरी, कहाता बन्दा अब्बा ।
जाय दशक इक बीत, शेरनी बनती बन्दी ।
गीदढ़ सा अब शेर, लगे लाखों पाबंदी ।।

हिमायती कम्युनिष्ट, बने कांग्रेसी ढर्रा-

देवि महाश्वेता नमन, नक्सल को अधिकार ।
स्वप्न देखने का मिला, उठा हाथ हथियार ।
उठा हाथ हथियार, पेट की खातिर उद्यम ।
चीर लाश का पेट, प्लांट कर देते हैं बम ।
हिमायती कम्युनिष्ट, बने कांग्रेसी ढर्रा ।
 आतंकी खुश होंय, सुनो शिंदे का *चर्रा ।
*चुटीली बातें 

 पूर्वी भारत में चले, नक्सल सिक्का मित्र ।
करें चिरौरी पार्टी, हालत बड़ी विचित्र ।
हालत बड़ी विचित्र, जीतना अगर इलेक्शन ।
सींचो नक्सल मूल,  करो इनसे गठबंधन ।
सत्ता सीखे पाठ, करे आतंकी को खुश ।
सांठ-गाँठ आरोप, लगा भाजप पर दुर्धुष ।।

गुड़ गुड़-कर के गुड़गुड़ी, गाय गुड़करी राग -

 पूर्ति करे या न करे, लगे चदरिया  दाग ।

  गुड़ गुड़-कर के गुड़गुड़ी, गाय गुड़करी राग ।


 गाय गुड़करी राग, मगर अब भी ना जागे ।

आय आयकर टीम, बोल-बम उन पर दागे ।


खटिया करके खड़ी, गया भाजप का बन्दा ।

बढ़ी और भी अकड़, व्यर्थ धमकाए गन्दा ।।

 लालित्यम् 

गुप्त कहीं गोदावरी, कहें गौतमी-गंग |
पञ्च नदी संगम विचित्र, ब्रह्मारण्या-अंग |


ब्रह्मारण्या-अंग, यही तो जीवन रेखा |
पूरा दक्षिण क्षेत्र, इन्हें श्रद्धा से देखा |


दीदी का आलेख, अनोखी चीजें लाया |
हिमगिरि का ननिहाल, हमें विधिवत समझाया ||

10 comments:

  1. आदरणीय गुरुदेव श्री प्रणाम, आपके खजाने से निकल कर बिखरे अनमोल मोती... सर दिल तो करता है की चुरा लूँ परन्तु हाँथ ही नहीं लगते. सादर.

    ReplyDelete
  2. चुनी हुई प्रविष्टियाँ ,ऊपर से आपके चरपरे बघार!
    एक-एक कर पढ़े जा रही हूँ.और आभारी हूँ मेरा आलेख चर्चित करने के लिए.

    ReplyDelete
  3. रूपम से चैतन्य हो, संजीवनी समर्थ |
    अरुण-प्रिया सपना सहज, अर्चनीय शुभ-अर्थ |
    अर्चनीय शुभ-अर्थ, करें परमार्थ चिकित्सक |
    ईश्वर का है रूप, दीन-दुखियों के रक्षक |
    रविकर शुभ-आशीष, रहे खुश जोड़ी हरदम |
    सुख-समृद्ध सौहार्द, होय यह युगल निरुपम |

    डॉ.चैतन्य और डॉ.रूपम को शुभ-कामनायेंब्लॉग जगत की भी वीरू हाई की भी .

    ReplyDelete
  4. खानदानी खूंटा हो या पुरखों की खोह ,

    चमचो का है ये, खुदा अल्लाह और मोह .

    खानदानी खूंटा हो या पुरखों की खोह ,

    चमचो का है ये, खुदा अल्लाह और मोह .

    बहुत बढ़िया भावानुवाद रविकर जी आप और वागीश जी दोनों धन्य हो हम धन्य भाग ,पढ़ते नित आपको .

    ReplyDelete
  5. सांठ-गाँठ आरोप, लगा भाजप पर दुर्धुष ।।
    गुड़ गुड़-कर के गुड़गुड़ी, गाय गुड़करी राग -
    पूर्ति करे या न करे, लगे चदरिया दाग ।

    गुड़ गुड़-कर के गुड़गुड़ी, गाय गुड़करी राग ।


    गाय गुड़करी राग, मगर अब भी ना जागे ।

    आय आयकर टीम, बोल-बम उन पर दागे ।


    खटिया करके खड़ी, गया भाजप का बन्दा ।

    बढ़ी और भी अकड़, व्यर्थ धमकाए गन्दा ।।

    जो हो सर पूर्ती समूह पर छापों का टाइमिंग कांग्रेस को कटहरे में तो लाता ही है अपने समर्थकों के बीच गडकरी अपने निर्दोष होने कॆ लिए सब कुछ कहेंगे .होने दो दूध का दूध पानी का पानी .तिहाड़ तीर्थ इंतज़ार करेगा दोषी का .

    ReplyDelete
  6. बहुत सुन्दर और सटीक...

    ReplyDelete
  7. बहुत ही सार्थक प्रस्तुती आज की,सादर आभार।

    ReplyDelete