Monday, 7 January 2013

आशा उगले राम, रोज खा कर जो छिच्छी -



एक अमीर बलात्कारी --


ZEAL 
  छी छी छी दारुण वचन, दारू पीकर संत ।
बार बार बकवास कर, करते पाप अनंत ।

करते पाप अनंत, कथा जीवन पर्यन्तम ।
लक्ष भक्त श्रीमन्त, अनुसरण करते पन्थम ।

रविकर बोलो भक्त, निगलते कैसे मच्छी । 
आशा उगले राम, रोज खा कर जो छिच्छी ।।


दामिनी का अपनों के नाम सन्देश !


संतोष त्रिवेदी 
  बैसवारी baiswari 

 मिनी इण्डिया जागता, सोया भारत देश |
फैली मृग मारीचिका, भला करे आवेश |

भला करे आवेश, रेस नहिं लगा नाम हित |
लगी मर्म पर ठेस, जगाये रखिये यह नित |

करिए औरत मर्द, सुरक्षित दिवस यामिनी |
रक्षित नैतिक मूल्य, बचाए सदा दामिनी ||




DR. ANWER JAMAL 

 Mushayera

शब्द शब्द अंगार है, धारदार हथियार |
नहीं दुश्मनी से भला, मित्र बांटिये प्यार |

मित्र बांटिये प्यार, भूख इक सी ही होवे |
बच्चों को अधिकार, कभी नहिं दुःख से रोवे  |

अपना अपना धर्म, नियम से अगर निभाओ |
हर बन्दे में ईश, सामने दर्शन पाओ || 

दोहे  
 इम्तिहान ले सिखा के, गुरुवर बेहद शख्त ।
इम्तिहान पहले लिया, बाद सिखाये वक्त ।|

ठोकर खाकर गिर गया, झाड़-झूड़ कर ठाढ़ ।
  गर सीखा फिर भी नहीं, पाए कष्ट प्रगाढ़ ।।

 लिए अमोलक निधि चले, रक्षा तंत्र नकार ।
उधर लुटेरे ताड़ते, कैसे हो उद्धार ??

   अनदेखी दायित्व की, खींच महज इक रेख ।
 लक्ष्मण की मजबूरियां, सिया-हरण ले देख ।।

सज्जन-चुप दुर्जन-चतुर, छले छाल नित राम  |
भक्त श्रमिक आसक्त अघ, रखे  काम से काम |

अघ=पापी
 काम=महादेव, विष्णु , कामदेव, कार्य, सहवास की इच्छा आदि

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