सभ्यता शासन सुरक्षा क़ानून व्यवस्था दंड प्रक्रिया 2Er. Shilpa Mehta : शिल्पा मेहता
जली दिमागी बत्तियां, किन्तु हुईं कुछ फ्यूज ।
*शक्तिबरबस बस के हादसे, बनते प्राइम न्यूज । बनते प्राइम न्यूज, व्यूज एक्सपर्ट आ रहे । शब्द यूज कन्फ्यूज, गालियाँ साथ खा रहे । सड़ी-गली दे सीख, मिटाते मुंह की खुजली । स्वयंसिद्ध *सक सृज्य , गिरे उनपर बन बिजली ।। रेपिस्टों की सजा पर, दी दादी भी ठेल । दी दादी भी ठेल, कत्तई मत अजमाना । सही सजा है किन्तु, जमाना मारे ताना । जो भी औरत मर्द, रेप सम करे अधर्मा । चेंज करा के सेक्स, सजा दो जस्टिस वर्मा ।। |
पेशी ओ-वेशी भड़क, बोले न्यायाधीश -
पेशी ओ-वेशी भड़क, बोले न्यायाधीश ।
बके गालियाँ राम को, लेकिन देख खबीस । लेकिन देख खबीस, *राम दो दो हैं आये । दे दलील वे किन्तु, जमानत हम ठुकराए । नियमबद्ध अन्यथा, एक क्षण भी है वेशी । करदूं काम-तमाम, आखिरी होती पेशी ।। * दोनों वकीलों के नाम में राम |
दर्द दूसरे के उदर, तड़पे खुद बेकार | तड़पे खुद बेकार, लगा के भद्र मुखौटा | मक्खन लिया निकाल, दूध पी गया बिलौटा | वालमार्ट व्यवसाय, हुआ सम्पूरण कारज | जारकर्म संपन्न, तड़पती दर दर जारज || |
मानवाधिकारियों का दोहरा चरित्र
Saleem akhter Siddiqui
नक्सल मारे जान से, फाड़ फ़ोर्स का पेट। करवाता बम प्लांट फिर, डाक्टर सिले समेट । डाक्टर सिले समेट, कहाँ मानव-अधिकारी । हिमायती हैं कहाँ, कहाँ करते मक्कारी । चुप क्यूँ हो पापियों, कहाँ चरती है अक्कल ? शत्रु देश नापाक, कहाँ का है तू नक्सल ?? |
शब्द यूज कन्फ्यूज, गालियाँ साथ खा रहे -
जली दिमागी बत्तियां, किन्तु हुईं कुछ फ्यूज ।
बरबस बस के हादसे, बनते प्राइम न्यूज ।
बनते प्राइम न्यूज, व्यूज एक्सपर्ट आ रहे ।
शब्द यूज कन्फ्यूज, गालियाँ साथ खा रहे ।
सड़ी-गली दे सीख, मिटाते मुंह की खुजली ।
स्वयंसिद्ध *सक सृज्य , गिरे उनपर बन बिजली ।।
*शक्ति
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लिंक और लिक्खाड़ - दोनों मनभावन!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और सार्थक ....लोहड़ी और मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनायें!
ReplyDeleteमकर संक्रान्ति के अवसर पर
ReplyDeleteउत्तरायणी की बहुत-बहुत बधाई!
नये हैडर की भी बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
अच्छा लग रहा है!
बहुत सुन्दर !!
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