सर्द अहसास !
पी.सी.गोदियाल "परचेत"
जीना बन देता चढ़ा, दस मंजिल मजबूत |
है जीना किस हेतु तब, प्रश्न पूछता पूत | प्रश्न पूछता पूत, पिता जी मकसद भूला | भूल गया वह सीख, आज हूँ लंगडा लूला | बढ़ी विश्व रफ़्तार, जाय दुत्कार सही ना | अंधड़ गया उजाड़, कठिन है ऐसे जीना || जीना= सीढ़ी |
राम के भक्त कहाँ, बन्दा-ए- रहमान कहाँ
DR. ANWER JAMAL
शब्द शब्द अंगार है, धारदार हथियार |
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"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-27
रही कतरती कल्पनी, शुभ्र-कल्पना-पंख |
मानहुँ अब कल्पांत का, कल्कि बजाये शंख |
कल्कि बजाये शंख, दंश गहरे अति गहरे |
दुष्ट कुतर्की लंठ, कल्कि के सम्मुख ठहरे |
रविकर कर संकल्प, बचाए पावन धरती |
बदले काली सोच, पंख जो रही कतरती ||
मानहुँ अब कल्पांत का, कल्कि बजाये शंख |
कल्कि बजाये शंख, दंश गहरे अति गहरे |
दुष्ट कुतर्की लंठ, कल्कि के सम्मुख ठहरे |
रविकर कर संकल्प, बचाए पावन धरती |
बदले काली सोच, पंख जो रही कतरती ||
कल्पनी=कैंची
दामिनी का अपनों के नाम सन्देश !संतोष त्रिवेदी
बैसवारी baiswari
मिनी इण्डिया जागता, सोया भारत देश | फैली मृग मारीचिका, भला करे आवेश | भला करे आवेश, रेस नहिं लगा नाम हित | लगी मर्म पर ठेस, जगाये रखिये यह नित | करिए औरत मर्द, सुरक्षित दिवस यामिनी | रक्षित नैतिक मूल्य, बचाए सदा दामिनी ||
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रहा सुलगता प्यार, धुँआ परदे दर परदे -परदे पर लगती हवा, हुआ कलेजा चाक ।
लट्टू-कंचा खेलते, ताक-झाँक आवाक ।
ताक-झाँक आवाक, श्याम-पट चित्र उकेरा ।
चाक लिए रंगीन, लगाया करता फेरा ।
हुई निगाहें चार, पीर कोई क्यों हर दे ।
रहा सुलगता प्यार, धुँआ परदे दर परदे ।।
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लड़कियों को बचपन से ही आत्मरक्षा की ट्रेनिंग अनिवार्य रूप से दी जाये। हर जगह पुलिस का पहरा नहीं लगाया जा सकता .
ReplyDeletebadhiya soch.
...आभार कविवर !
ReplyDeleteदामिनी के दोस्त का बयान और शर्मशार मानवता !!
ReplyDelete(पूरण खंडेलवाल)
शंखनाद -
दुनिया भागमभाग में, घायल पड़ा शरीर |
सुने नहीं कोई वहां, करे बड़ी तकरीर |
करे बड़ी तकरीर, सोच क्या बदल चुकी है |
नहीं बूझते पीर, निगाहें आज झुकी हैं |
सामाजिक कर्तव्य, समझना होगा सबको |
अरे धूर्तता छोड़, दिखाना है मुँह रब को ||
सार्थक द्रुत सन्देश देती रचना .आभार .
badhiya links
ReplyDeleteबहुत खूब, आभार आपका !
ReplyDeletedr.anwar ji se poorntaya sahmat .बहुत सार्थक भावनात्मक अभिव्यक्ति हार्दिक आभार @मोहन भागवत जी-अब और बंटवारा नहीं
ReplyDeleteअनुपम लिंक्स संयोजित किये हैं आपने ... आभार
ReplyDeleteप्रभावी,
ReplyDeleteशुभकामना,
जारी रहें !!
आर्यावर्त (समृद्ध भारत की आवाज)