Wednesday, 16 January 2013

चिंतित अंतरजाल, कौन ले बदला गिन-गिन ?

(मूल पोस्ट से टिप्पणी हटा दी गई )

'आहुति'

तुम कहो तो....!!!

 

उद्धव लेकर चल पड़े,  रो के रोके गोपि ।

मथुरा की धुन में किशन, झिड़के करके कोपि ।

झिड़के करके कोपि, सयानी गोपी बोली ।

शब्द रंग कुछ ख़्वाब, हस्त-रेखाएँ  खोली ।

लम्हे रखी संजोय, बनाई राहें रविकर ।

कहिये तो हम चलें, चले ज्यों उद्धव लेकर ।।




पा जी राजी तब हुवे, समझ सके जब फिल्म ।
आठ दिनों तक था नहीं, घटना का भी इल्म ।
घटना का भी इल्म, कराना था एडमीशन ।
नातिन को नर्सरी, और राहुल को ट्यूशन ।
कोई भी इस्कूल, नहीं ना दिग्गी राजी ।
रहा इधर मशगूल, उधर सिर काटे पाजी ।।



अभिव्यंजना

काली-कलुषित नजर से, रहे सुरक्षित नारि |
बने सुरक्षित तंत्र अब, धरे ध्यान परिवारि |
धरे ध्यान परिवारि, विसारो पिछली बातें |
दुर्घटना से सीख, परख ले रिश्ते नाते |
ले उत्तर जह खोज, बनी हर नारि सवाली |
अगर करोगे देर, बनेगी ज्वाला काली ||

नौनिहालों की निरर्थक तारीफ़ करना भी ठीक नहीं है

Virendra Kumar Sharma 
 हुल्लड़ यू पी में किया, लौंडा नक्शेबाज |
अतिश्योक्ति है जुबाँ पर, शहजादा अंदाज |
शहजादा अंदाज, बड़ा शातिर यह नेता |
जन्मसिद्ध अधिकार, डोर सत्ता की लेता |
लेकिन घोड़े सभी, नहीं पाले है काबुल |
क्रिकेट में भी गधे, ठीक तो है ना राहुल ||


तोबा-तोबा !

पी.सी.गोदियाल "परचेत" 
इत्तिफाक से मिल गयी, नंगा झोरी होय ।
फोटो-कॉपी से मिला, यो ही छोरी होय ।
यो ही छोरी होय, रखे दिल-बड़ी तिजोरी ।
रही रोज अब धोय, पुलिस ने पकड़ी चोरी ।
यह अंधड़ घनघोर, झरे अब अश्रु आँख से ।
 बसी कहाँ प्रियतमा, डरूं इस इत्तिफाक से ।।


Some more Inhumane and Barbaric act by Pakistan

sanjay rai 
घर की मुर्गी नोन है, घर का भेदी पाल ।
पेट फाड़ के बम रखे, काटे गला हलाल ।
काटे गला हलाल, उछाले जाते हर दिन ।
चिंतित अंतरजाल, कौन ले बदला गिन-गिन ?
पहला दुश्मन पाक,  दूसरे नक्सल ठरकी ।
मरने दो यह पुलिस, बात आखिर है घर की ।।


बता ... क्या करूं ...

 (दिगम्बर नासवा) 
पुत्तर ! दायें हाथ से, ले पोती को साथ ।
पकड़ाओ उँगली बड़ी, पकड़ो उसका हाथ । 
पकड़ो उसका हाथ, अनोखा लगता है ना ।
किसको पकड़े कौन, बोलिए मधुरिम बैना ।
माँ का आशिर्वाद, यही तो माँ का उत्तर ।
सदा रहे आबाद, हमारा प्यारा पुत्तर ।।




न्यूज चैनलों में तन गए तोप !


महेन्द्र श्रीवास्तव  
 
चै-चै चैनल पर शुरू,  कमर्शियल के संग |
सुषमा ने भर ही दिया, जन-गन-मन में जंग |
जन-गन-मन को जंग, रंग में आया भारत |
लेकिन सत्ताधीश, बैठ के रहे विचारत |
परेशान उत पाक, विपक्षी कूचें धै  धै |
है आतंकी धाक, इधर चैनल की चै चै ||



4 comments:

  1. बहुत सुन्दर लिक्स..मेरी रचना को शामिल करने के लिए आभार..

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  2. बढिया, सभी लिंक्स एक से बढकर एक
    मुझे शामिल करने के लिए आभार

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  3. सुन्दर प्रस्तुति | शुभकामनायें हार्दिक आभार हम हिंदी चिट्ठाकार हैं

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  4. सार्थक और सटीक लेखन!
    बहुत सुन्दर प्रस्तुति!

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