Thursday, 3 January 2013

सुइयां दे हर माह, बनाना पड़े नपुंसक-रविकर




नेता ,अभिनेता ,राजनीतिक सब्भी की जुबां पे एक लव्ज़ है केमिकल कास्टरेशन .

Virendra Kumar Sharma 
केमिकल बधियाकरण की, चल निकली जब बात |
ऐरा-गैरा लपकता, नत्थू भी अभिजात |

नत्थू भी अभिजात, लपक नेता अभिनेता |
मतलब समझे बिना, व्यू अपना है देता |

सुइयां दे हर माह, बनाना पड़े नपुंसक |
पेचीदगी अपार, बात मत कर रे अहमक ||


  सोच बदलने पर दिया, बड़ा आजकल जोर ।
कामुक अपराधी दनुज, खाएं किन्तु खखोर ।

खाएं किन्तु खखोर, कठिन है सोच बदलना ।
स्वयं कुअवसर टाल, संभलकर खुद से चलना ।

रहो सुरक्षित देवि, उन्हें तो जहर उगलना।
मारक करो प्रहार, कठिन है सोच बदलना।

मित्र-सेक्स विपरीत गर, रखो अपेक्षित ख्याल- रविकर

विनम्र श्रद्धांजलि 
ताड़ो नीयत दुष्ट की,  पहचानो पशु-व्याल |
मित्र-सेक्स विपरीत गर, रखो अपेक्षित ख्याल |
रखो अपेक्षित ख्याल, पिता पति पुत्र सरीखे
 बनकर सच्चा मित्र,
हिफाजत करना सीखे ||


एक घरी का स्वार्थ, जिन्दगी नहीं उजाड़ो |
जोखिम चलो बराय, मुसीबत झटपट ताड़ो ||

लम्पट सत्तासीन, कमीशन खोर विधाता-रविकर

 करदाता के खून को, ले निचोड़ खूंखार |
 रविकर बन्दर-बाँट से, होता दर्द अपार |

होता दर्द अपार, बड़े कर के कर चोरी |
भोगें धन-ऐश्वर्य, खींचते सत्ता डोरी |

लम्पट सत्तासीन, कमीशन खोर विधाता |
जीना है दुश्वार, मरे सच्चा करदाता ||

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7 comments:

  1. किसी के चले जाने से यह दुनिया भला कब रुकी है जो अब रुकेगी, वो कहते है न "द शो मस्ट गो ऑन"

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  2. यथार्थ के करीब विचार और भाव की अभिव्यक्ति हुई है इस पोस्ट में सहज रूप .

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  3. सुन्दर प्रस्तुति ....रविकर जी

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  4. ख्याल बहुत सुन्दर है और निभाया भी है आपने उस हेतु बधाई, सुन्दर प्रस्तुति .रविकर जी

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  5. बहुत बेहतरीन प्रस्तुति,,,,

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  6. सुन्दर प्रस्तुति

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  7. तीखा कटाक्ष करता काव्य....

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