नेता ,अभिनेता ,राजनीतिक सब्भी की जुबां पे एक लव्ज़ है केमिकल कास्टरेशन .
Virendra Kumar Sharma
केमिकल बधियाकरण की, चल निकली जब बात |
ऐरा-गैरा लपकता, नत्थू भी अभिजात | नत्थू भी अभिजात, लपक नेता अभिनेता | मतलब समझे बिना, व्यू अपना है देता | सुइयां दे हर माह, बनाना पड़े नपुंसक | पेचीदगी अपार, बात मत कर रे अहमक || |
सोच बदलने पर दिया, बड़ा आजकल जोर ।
कामुक अपराधी दनुज, खाएं किन्तु खखोर । खाएं किन्तु खखोर, कठिन है सोच बदलना । स्वयं कुअवसर टाल, संभलकर खुद से चलना । रहो सुरक्षित देवि, उन्हें तो जहर उगलना। मारक करो प्रहार, कठिन है सोच बदलना। |
मित्र-सेक्स विपरीत गर, रखो अपेक्षित ख्याल- रविकर
विनम्र श्रद्धांजलि
ताड़ो नीयत दुष्ट की, पहचानो पशु-व्याल |
मित्र-सेक्स विपरीत गर, रखो अपेक्षित ख्याल |
रखो अपेक्षित ख्याल, पिता पति पुत्र सरीखे।
बनकर सच्चा मित्र, हिफाजत करना सीखे || एक घरी का स्वार्थ, जिन्दगी नहीं उजाड़ो |
जोखिम चलो बराय, मुसीबत झटपट ताड़ो ||
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लम्पट सत्तासीन, कमीशन खोर विधाता-रविकर
करदाता के खून को, ले निचोड़ खूंखार |
रविकर बन्दर-बाँट से, होता दर्द अपार | होता दर्द अपार, बड़े कर के कर चोरी | भोगें धन-ऐश्वर्य, खींचते सत्ता डोरी | लम्पट सत्तासीन, कमीशन खोर विधाता | जीना है दुश्वार, मरे सच्चा करदाता || |
किसी के चले जाने से यह दुनिया भला कब रुकी है जो अब रुकेगी, वो कहते है न "द शो मस्ट गो ऑन"
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ReplyDeleteयथार्थ के करीब विचार और भाव की अभिव्यक्ति हुई है इस पोस्ट में सहज रूप .
सुन्दर प्रस्तुति ....रविकर जी
ReplyDeleteख्याल बहुत सुन्दर है और निभाया भी है आपने उस हेतु बधाई, सुन्दर प्रस्तुति .रविकर जी
ReplyDeleteबहुत बेहतरीन प्रस्तुति,,,,
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteतीखा कटाक्ष करता काव्य....
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