पाकी दो सैनिक हते, इत नक्सल इक्कीस ।
रविकर इन पर रीस है, उन पर दारुण रीस ।
उन पर दारुण रीस, देह क्षत-विक्षत कर दी ।
सो के सत्ताधीश, गुजारे घर में सर्दी ।
बाह्य-व्यवस्था फेल, नहीं अन्दर भी बाकी ।
सीमोलंघन खेल, बाज नहिं आते पाकी ।।
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फा़यदे का सौदा !!!
सदा
अपनों को गर दे ख़ुशी, सह लेना फिर कष्ट |
माँ की यह शुभ सीख भी, सदा सदा सुस्पष्ट |
सदा सदा सुस्पष्ट, *सदागम सदाबहारी |
मेरा मोहन मस्त, मातु मैं हूँ आभारी |
रविकर का आनंद, आज आंसू मत रोको |
दिखा सदा हे मातु, रास्ता शुभ अपनों को ||
*अच्छा सिद्धांत
माँ की यह शुभ सीख भी, सदा सदा सुस्पष्ट |
सदा सदा सुस्पष्ट, *सदागम सदाबहारी |
मेरा मोहन मस्त, मातु मैं हूँ आभारी |
रविकर का आनंद, आज आंसू मत रोको |
दिखा सदा हे मातु, रास्ता शुभ अपनों को ||
*अच्छा सिद्धांत
प्यार के बोल
Madan Mohan Saxena
चैन अमन हो जहाँ में, है बढ़िया हथियार | है बढ़िया हथियार, अहिंसा से जय होती | बापू बोले सत्य, दुश्मनी अहम् बिलोती | प्यार प्यार बस प्यार, बढ़ाये भाई चारा | मिल बैठें हम चार, लगे माता को प्यारा || |
हे राम ! क्या बोल गए आसाराम ...
- महेन्द्र श्रीवास्तव
छी छी छी दारुण वचन, दारू पीकर संत ।
बार बार बकवास कर, करते पाप अनंत ।
करते पाप अनंत, कथा जीवन पर्यन्तम ।
लक्ष भक्त श्रीमन्त, अनुसरण करते पन्थम ।
रविकर बोलो भक्त, निगलते कैसे मच्छी ।
आशा उगले राम, रोज खा कर जो छिच्छी ।।
- महेन्द्र श्रीवास्तव
छी छी छी दारुण वचन, दारू पीकर संत ।
बार बार बकवास कर, करते पाप अनंत ।
करते पाप अनंत, कथा जीवन पर्यन्तम ।
लक्ष भक्त श्रीमन्त, अनुसरण करते पन्थम ।
रविकर बोलो भक्त, निगलते कैसे मच्छी ।
आशा उगले राम, रोज खा कर जो छिच्छी ।।
अपराध विज्ञान : हड्डियां भी बतला सकतीं है अपराधी की संभावित उम्र नस्ल और लिंग
Virendra Kumar Sharma
आगे दारुण कष्ट दे, फिर काँपे संसार |
नाबालिग को छोड़ते, जिसका दोष अपार | जिसका दोष अपार, विकट खामी कानूनी | भीषण अत्याचार, करेगा दुष्ट-जुनूनी | लड़-का-नूनी काट, कहीं पावे नहिं भागे | श्रद्धांजली विराट, तख़्त फांसी पर आगे || |
रविकर सर प्रणाम बहुत ही बढ़िया मज़ा आ गया वाह क्या कहने सच है की कोई आपसा दूजा नहीं, एक से बढ़कर एक हार्दिक बधाई.
ReplyDeleteवाह जी वाह ... आपके छंद पोस्ट में चार चाँद लगा देते हैं ...
ReplyDeleteबाह्य-व्यवस्था फेल, नहीं अन्दर भी बाकी ।
ReplyDeleteसीमोलंघन खेल, बाज नहिं आते पाकी ।।
प्रासंगिक मार्मिक व्यंग्य .
sabhi links behad rochak.......
ReplyDeleteप्रभावशाली ,
ReplyDeleteजारी रहें।
शुभकामना !!!
आर्यावर्त (समृद्ध भारत की आवाज़)
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छी छी छी दारुण वचन, दारू पीकर संत ।
ReplyDeleteबार बार बकवास कर, करते पाप अनंत ।
Bahut khoob !