सैकिंड-हैण्ड देह-नीलामी !
पी.सी.गोदियाल "परचेत"
गई पुरानी मालिकिन, ओनर-बुक ले साथ ।
पड़ा कबाड़ी के यहाँ, खपा रहा क्यूँ माथ ।
खपा रहा क्यूँ माथ, भाव डीजल का बढ़ता ।
अगर चढ़ाई पड़े, नहीं तू उस पर चढ़ता ।
अरे खटारा वैन, ख़तम अब हुई कहानी ।
चला लड़ाने नैन, गई क्या मैम पुरानी ??
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ब्लाग : क्या भूलूं क्या याद करुं !
महेन्द्र श्रीवास्तव
आधा सच हमने लिख, आधा जाने लोग |
ब्लॉगर बहुतेरे यहाँ, होय सही उपयोग | होय सही उपयोग, दिशा से दशा सुधारें | मिलें देश-हित बन्धु, अहम् को अपने मारें | सही शक्ति उपयोग, नहीं है कोई बाधा | करो सधी शुरुवात, सिद्ध हो जाए आधा || |
पूरी होवे रश्मि की, भगवन शीघ्र तलाश | बांचे जो यह पंक्तियाँ, खोवे होश-हवाश | खोवे होश-हवाश, गजब दीवानापन है | भरे-पुरे अहसास, चलो स्वाति सावन है | मिले बूंद को सीप, रहे ना बात अधूरी | रविकर का यह तेज, बनाए मोती पूरी || |
दास्ताँने - दिल (ये दुनिया है दिलवालों की)
कहे बात मन की खरामा खरामा | जमाने वतन की खरामा खरामा || अरुण जब अकेले गजल पढ़ रहा है- चला कौन आये खरामा खरामा || |
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आदरणीय रविकर सर गुरुदेव प्रणाम, लिंक - लिक्खाड़ पर स्थान दे कर आप रचना को धन्य कर देते हैं. ख़ुशी का कोई ठिकाना नहीं रहता सर. आभार
ReplyDeleteजो चाहे सो देख, जमा हैं यहाँ हजारों |
ReplyDeleteकुछ करते नापसंद, करूं पर मैं क्या यारो |
आदत से मजबूर, उन्हें जो रहा अखरता ||
लेकिन काम-चलाउ, कभी रविकर भी करता || :D
ReplyDeleteचढ़ा रहे हैं तेल, केतु-राहु ल-खत भिश्ती ।
पानी-पानी पुश्त, भंवर में डूबे किश्ती ।।
तो कौन सा है दर्द भारी ?
किश्तों में हैं काटते, जनता की वे जेब ।
मँहगाई गाई गई, झटक पचास फरेब ।।
सह लो फिर से यह मक्कारी ।
तो, कौन सा है दर्द भारी ?
दिल से दिल्ली दामिनी, दाग रही है धोय ।
हुवे प्रभावी मोर्चे, अँसुवन बदन भिगोय ।।
मरे नहीं, पर अत्याचारी ।
क्या कहने हैं अभिव्यक्ति के बहुत सुन्दर और विस्तृत कलेवर है लिंक लिख्खाड जी का .शुक्रिया .
मिले बूंद को सीप, रहे ना बात अधूरी |
ReplyDeleteरविकर का यह तेज, बनाए मोती पूरी ||
सारी बातें आप इस तरह कह जाते हैं कि कुछ कहने को बचता नहीं.....बस आभार व्यक्त करती हूं आपका....धन्यवाद
प्रभावशाली ,
ReplyDeleteजारी रहें।
शुभकामना !!!
आर्यावर्त (समृद्ध भारत की आवाज़)
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टिप्पणियाँ क्या सब तो बीरबल की हाजिर जवाबी हैं।
ReplyDeleteबात की बात कि बेबात की फिक्र ---विजय राजबली माथुर
अच्छे लिंक्स
ReplyDeleteबढिया
लाजबाब टिप्पणियाँ,,,रविकर जी ,,
ReplyDeleterecent post : बस्तर-बाला,,,
आभार कलम आज भी उन्हीं की जय बोलेगी ...... आप भी जाने @ट्वीटर कमाल खान :अफज़ल गुरु के अपराध का दंड जानें .
ReplyDeleteNICE GOOD JOB
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