जस्टिस वर्मा को मिले, भाँति-भाँति के मेल ।
रेपिस्टों की सजा पर, दी दादी भी ठेल । दी दादी भी ठेल, कत्तई मत अजमाना । सही सजा है किन्तु, जमाना मारे ताना । जो भी औरत मर्द, रेप सम करे अधर्मा । चेंज करा के सेक्स, सजा दो जस्टिस वर्मा ।। |
दो दो पैसे में बटा, छुक-छुक किम्मी दर्द ।
तुम क्या जानो कीमतें, मोहन बाबू मर्द ।
मोहन बाबू मर्द, कभी काटी ना चुटकी ।
देह आज है जर्द, आत्मा अटकी भटकी ।
समय सुरक्षित रेल, बढ़ें सुविधाएं कैसे ?
रहे संपदा लूट, लूट अब दो दो पैसे ।।
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रट के आई हैं ?
प्रतिभा सक्सेना
चंगा चंचल चिकित्सक, चतुराई से बोल ।
स्वस्थ स्वयं को रख रहा, रोगी संग किलोल ।
रोगी संग किलोल, बड़ा बन्दा अलबेला ।
बड़ा चुकाया मोल, रहा रविकर का चेला ।
बोल बोल खुद मौज, लगे जग को बेढंगा ।
संस्मरण यह खूब, दवा यह रखती चंगा ।।
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पाकिस्तान सुधरता नहीं और भारत है कि मानता नहीं !!(पूरण खंडेलवाल)
शंखनाद
पाकी दो सैनिक हते, इत नक्सल इक्कीस । रविकर इन पर रीस है, उन पर दारुण रीस । उन पर दारुण रीस, देह क्षत-विक्षत कर दी । सो के सत्ताधीश, गुजारे घर में सर्दी । बाह्य-व्यवस्था फेल, नहीं अन्दर भी बाकी । सीमोलंघन खेल, बाज नहिं आते पाकी ।। |
"कब तक मौन रहोगे?" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')पैमाना अब सब्र का, कांग्रेस लबरेज । ठोकर मारेंगे भड़क, शान्ति-वार्ता मेज । शान्ति-वार्ता मेज, दामिनी को दफनाया । नक्सल के इक्कीस, पाक की हरकत जाया । आज पड़ी जो मार, मरे अब्दुल दीवाना । बेगाने का व्याह, छलक जाता पैमाना ।। |
जो भी औरत मर्द, रेप सम करे अधर्मा ।चेंज करा के सेक्स, सजा दो जस्टिस वर्मा ।।
ReplyDeleteबहुत उम्दा प्रस्तुति और करारे व्यंग !!
प्रभावशाली ,
ReplyDeleteजारी रहें।
शुभकामना !!!
आर्यावर्त (समृद्ध भारत की आवाज़)
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बहुत सुन्दर काव्यमयी टिप्पणियाँ!
ReplyDeleteआभार!
ReplyDeleteपैमाना अब सब्र का, कांग्रेस लबरेज ।
ठोकर मारेंगे भड़क, शान्ति-वार्ता मेज ।
शान्ति-वार्ता मेज, दामिनी को दफनाया ।
नक्सल के इक्कीस, पाक की हरकत जाया ।
आज पड़ी जो मार, मरे अब्दुल दीवाना ।
बेगाने का व्याह, छलक जाता पैमाना ।।
ये तो हद है भाई साहब आस्तीनों के सांप से यारी कैसी ?मारो पाकियों को ...