Wednesday, 9 January 2013

दो दो पैसे में बटा, छुक-छुक किम्मी दर्द-


जस्टिस वर्मा को मिले, भाँति-भाँति के मेल ।
रेपिस्टों की सजा पर, दी दादी भी ठेल ।  

दी दादी भी ठेल, कत्तई मत अजमाना ।
 सही सजा है किन्तु, जमाना मारे ताना ।

जो भी औरत मर्द, रेप सम करे अधर्मा ।
चेंज करा के सेक्स, सजा दो जस्टिस वर्मा ।।



मोहन बाबू मर्द, कभी काटी ना चुटकी-
indian commuter train
 दो दो पैसे में बटा, छुक-छुक किम्मी दर्द
तुम क्या जानो कीमतें, मोहन बाबू मर्द ।
मोहन बाबू मर्द, कभी काटी ना चुटकी
देह आज है जर्द, आत्मा अटकी भटकी ।
समय सुरक्षित रेल, बढ़ें सुविधाएं कैसे ?
रहे संपदा लूट, लूट अब दो दो पैसे ।।

रट के आई हैं ?


प्रतिभा सक्सेना 
 चंगा चंचल चिकित्सक, चतुराई से बोल । 
स्वस्थ स्वयं को रख रहा, रोगी संग किलोल ।
रोगी संग किलोल, बड़ा बन्दा अलबेला ।
बड़ा चुकाया मोल, रहा रविकर का चेला ।
 बोल बोल खुद मौज, लगे जग को बेढंगा ।
संस्मरण यह खूब, दवा यह रखती चंगा ।। 

 शंखनाद
 पाकी दो सैनिक हते, इत नक्सल इक्कीस ।
रविकर इन पर रीस है, उन पर दारुण रीस ।
उन पर दारुण रीस, देह क्षत-विक्षत कर दी ।
सो के सत्ताधीश, गुजारे घर में सर्दी ।
बाह्य-व्यवस्था फेल, नहीं अन्दर भी बाकी ।
सीमोलंघन खेल, बाज नहिं आते पाकी ।। 

"कब तक मौन रहोगे?" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')



पैमाना अब सब्र का, कांग्रेस लबरेज ।
ठोकर मारेंगे भड़क, शान्ति-वार्ता मेज ।

शान्ति-वार्ता मेज, दामिनी को दफनाया ।
नक्सल के इक्कीस, पाक की हरकत जाया ।

आज पड़ी जो मार, मरे अब्दुल दीवाना ।
बेगाने का व्याह, छलक जाता पैमाना ।।

4 comments:

  1. जो भी औरत मर्द, रेप सम करे अधर्मा ।चेंज करा के सेक्स, सजा दो जस्टिस वर्मा ।।

    बहुत उम्दा प्रस्तुति और करारे व्यंग !!

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  2. प्रभावशाली ,
    जारी रहें।

    शुभकामना !!!

    आर्यावर्त (समृद्ध भारत की आवाज़)
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  3. बहुत सुन्दर काव्यमयी टिप्पणियाँ!
    आभार!

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  4. पैमाना अब सब्र का, कांग्रेस लबरेज ।
    ठोकर मारेंगे भड़क, शान्ति-वार्ता मेज ।

    शान्ति-वार्ता मेज, दामिनी को दफनाया ।
    नक्सल के इक्कीस, पाक की हरकत जाया ।

    आज पड़ी जो मार, मरे अब्दुल दीवाना ।
    बेगाने का व्याह, छलक जाता पैमाना ।।
    ये तो हद है भाई साहब आस्तीनों के सांप से यारी कैसी ?मारो पाकियों को ...

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