Sunday 27 January 2013

सरेआम लें लूट, देह दिखती जो सुन्दर -



इतना तो विहित है -


प्रतिभा सक्सेना 
 गजब कायदा काल्ह का, दादी चाची तंग ।
मेले में जाएँ भुला,  दिखता असली रंग ।
दिखता असली रंग, लाल छेदी शिव शंकर ।
हरे राम गुरु-बख्श, कन्हैया रूप पितम्बर ।
हँस-हँस कर के लोग, स्वास्थ्य का करें फायदा ।
बढ़िया यह दृष्टांत, लगे अब गजब कायदा ।।


 कामा कामुक कामुकी, तन-मन से बीमार ।
ताना-बाना ध्वस्त कर, छोड़ भगे परिवार ।
छोड़ भगे परिवार, लूटते रहजन बनकर ।
सरेआम लें लूट, देह दिखती जो सुन्दर ।
ऐसे सेक्स एडिक्ट, करें सेक्सी हंगामा ।
नाता-रिश्ता भूल, दोहते कामुक कामा ।।

देवि महाश्वेता नमन, नक्सल को अधिकार ।
स्वप्न देखने का मिला, उठा हाथ हथियार । उठा हाथ हथियार, पेट की खातिर उद्यम ।
चीर लाश का पेट, प्लांट कर देते हैं बम ।
हिमायती कम्युनिष्ट, बने कांग्रेसी ढर्रा ।
 आतंकी खुश होंय, सुनो शिंदे का *चर्रा ।
*चुटीली बातें 
 पूर्वी भारत में चले, नक्सल सिक्का मित्र ।
करें चिरौरी पार्टी, हालत बड़ी विचित्र ।
हालत बड़ी विचित्र, जीतना अगर इलेक्शन ।
सींचो नक्सल मूल,  करो इनसे गठबंधन ।
सत्ता सीखे पाठ, करे आतंकी को खुश ।
सांठ-गाँठ आरोप, लगा भाजप पर दुर्धुष ।। 


कर भला हो भला |

G.N.SHAW  
BALAJI  
 
हटकु उठाया हाट से, नहीं चुकाया दाम |
मच्छ-घातिनी में फँसा, बुरा एक अंजाम |


बुरा एक अंजाम, पकी स्वादिष्ट मछलियाँ |
मछली कांटा कंठ, करे व्याकुल घर गलियाँ |


मछुवारा अनजान, मदद कुछ कर ना पाया
रोया बहुत दबंग, हटकु यमराज उठाया ||

खुले तीसरा नेत्र, सहम जाता है नन्दी-

नन्दी मुण्डी दे हिला, चारा से इनकार ।
कोई चारा ना बचे, शिव कर भ्रष्टाचार ।
शिव कर भ्रष्टाचार, जमा कुल माल खर-चने ।
बढ़िया आशिर्वाद, चढ़ावा चढ़ा अरचने ।
किन्तु इधर प्रीतीश, लिवाले रति सी बन्दी ।
खुले तीसरा नेत्र, सहम जाता है नन्दी ।।

4 comments:

  1. बढ़िया प्रयोग भाषिक स्तर पर भाव और अर्थ की सशक्त अभिव्यक्ति .बढ़िया भाव अंतरण .बढ़िया छवि बनाई है आपने यौन लती की .

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  2. बढ़िया प्रयोग भाषिक स्तर पर भाव और अर्थ की सशक्त अभिव्यक्ति .बढ़िया भाव अंतरण .बढ़िया छवि बनाई है आपने यौन लती की .

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  3. सशक्त अभिव्यक्ति |
    आशा

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