इतना तो विहित है -
प्रतिभा सक्सेना
गजब कायदा काल्ह का, दादी चाची तंग ।
मेले में जाएँ भुला, दिखता असली रंग ।
दिखता असली रंग, लाल छेदी शिव शंकर ।
हरे राम गुरु-बख्श, कन्हैया रूप पितम्बर ।
हँस-हँस कर के लोग, स्वास्थ्य का करें फायदा ।
बढ़िया यह दृष्टांत, लगे अब गजब कायदा ।।
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कामा कामुक कामुकी, तन-मन से बीमार ।
ताना-बाना ध्वस्त कर, छोड़ भगे परिवार ।
छोड़ भगे परिवार, लूटते रहजन बनकर ।
सरेआम लें लूट, देह दिखती जो सुन्दर ।
ऐसे सेक्स एडिक्ट, करें सेक्सी हंगामा ।
नाता-रिश्ता भूल, दोहते कामुक कामा ।।
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पूर्वी भारत में चले, नक्सल सिक्का मित्र ।
करें चिरौरी पार्टी, हालत बड़ी विचित्र ।
हालत बड़ी विचित्र, जीतना अगर इलेक्शन ।
सींचो नक्सल मूल, करो इनसे गठबंधन ।
सत्ता सीखे पाठ, करे आतंकी को खुश ।
सांठ-गाँठ आरोप, लगा भाजप पर दुर्धुष ।।
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कर भला हो भला |
G.N.SHAW
हटकु उठाया हाट से, नहीं चुकाया दाम |
मच्छ-घातिनी में फँसा, बुरा एक अंजाम | बुरा एक अंजाम, पकी स्वादिष्ट मछलियाँ | मछली कांटा कंठ, करे व्याकुल घर गलियाँ | मछुवारा अनजान, मदद कुछ कर ना पाया रोया बहुत दबंग, हटकु यमराज उठाया || |
खुले तीसरा नेत्र, सहम जाता है नन्दी-
नन्दी मुण्डी दे हिला, चारा से इनकार ।
कोई चारा ना बचे, शिव कर भ्रष्टाचार ।
शिव कर भ्रष्टाचार, जमा कुल माल खर-चने ।
बढ़िया आशिर्वाद, चढ़ावा चढ़ा अरचने ।
किन्तु इधर प्रीतीश, लिवाले रति सी बन्दी ।
खुले तीसरा नेत्र, सहम जाता है नन्दी ।।
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उम्दा !!
ReplyDeleteबढ़िया प्रयोग भाषिक स्तर पर भाव और अर्थ की सशक्त अभिव्यक्ति .बढ़िया भाव अंतरण .बढ़िया छवि बनाई है आपने यौन लती की .
ReplyDeleteबढ़िया प्रयोग भाषिक स्तर पर भाव और अर्थ की सशक्त अभिव्यक्ति .बढ़िया भाव अंतरण .बढ़िया छवि बनाई है आपने यौन लती की .
ReplyDeleteसशक्त अभिव्यक्ति |
ReplyDeleteआशा