बाशिंदे अतिशय सरल, धरम-करम से काम ।
सरल हृदय अपना बना, देखे उनमें राम ।
देखे उनमें राम, नम्रता नहीं दीनता ।
दीन धर्म ईमान, किसी का नहीं छीनता ।
पाले हिन्दुस्थान, युगों से जीव-परिंदे ।
है सभ्यता महान, बोल अब तो-बा-शिंदे ।।
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तो-बा-शिंदे बोल तू , तालिबान अफगान ।
काबुल में विस्फोट कर, डाला फिर व्यवधान ।
डाला फिर व्यवधान, यही क्या यहाँ हो रहा ?
होता भी है अगर, वजीरी व्यर्थ ढो रहा ।
फूट व्यर्थ बक्कार, इन्हें चुनवा दे जिन्दे ।
होवे खुश अफगान, पाक के तो बाशिंदे ।।
शहनवाज-गडकरी, पार्टी यह आतंकी-
माधौ संघी करें ट्विट, दिग्गी करें कमेन्ट ।
साहब हाफिज सईद जी, ईष्ट सेंट-पर-सेंट ।
ईष्ट सेंट-पर-सेंट, हमारे स्वामी आका ।
पार्टी लाइन यही, खींचते जाएँ खाका ।
शहनवाज-गडकरी, पार्टी यह आतंकी ।
प्यादे ऊंट वजीर, करे रानी नौटंकी ।।
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"चिन्तन-मन्थन"डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण)
उच्चारण
शांतचित्त गुरुवर व्यथित, गीदड़ की सरकार | कुत्ते इज्जत लूटते, नारी करे पुकार | नारी करे पुकार, गला सैनिक का रेता | धारदार हथियार, किन्तु बैठा चुप नेता | इनकी जय जय कार, देश भक्तों को गाली | सारी जनता आज, खड़ी बन यहाँ सवाली || |
सोये आतंकी पड़े, छाये भाजप संघ |
आरोपी तैयार है, आओ सीमा लंघ ||
जैसे मन वैसे संहारो ||
पेट फटे नक्सल लटे, डटे बढे उन्माद |
गले कटे भारत बटे, लो आंसू पर दाद |
खाली कुर्सी चलो पधारो ||
चालीसवां दामिनी का, निकले आंसू आज |
कैसा यह चिंतन सखे, आस्कर इन्हें नवाज |
चालू है नौटंकी यारो ||
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नारा ढीला हो गया, निन्यानवे बटेर-
नारा ढीला हो गया, निन्यानवे बटेर |
पहुँचायें सत्ता सही, चाहे देर सवेर |
चाहे देर सवेर, गरीबी रेखा वालों |
फँसता मध्यम वर्ग, साथ अब इन्हें बुला लो |
मँहगाई की मार, टैक्स ने भी संहारा |
लाल-कार्ड बनवाय, लगायें हम भी नारा |
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है वजीर यह पिलपिला, पिला-पिला के पैग-
है वजीर यह पिलपिला, पिला-पिला के पैग ।
पैदल-कुल बकवा रहे , दे आतंकी टैग -
फिर से नई विसात बिछाये ।
देश-भक्त कहलाता जाए ।।
देश गलतियाँ भुगतता, हर पीढ़ी की चार ।
रोज गर्त में जा रहा, जिम्मा ले परिवार ।
नए नए नारे बहकाए ।
देश-भक्त कहलाता जाए ।।
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बहुत खूब!
ReplyDeleteअच्छे कमेंट हैं!
बहुत बढ़िया भाई साहब .
ReplyDeleteबहुत कुछ कह दिया कुछ न कह कर ,टिंडे मारे जायेंगे २०१४ के समर में अपनी मौत
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