- राधा-रमण जी
रोटी खाएं मुफ्त की, मुँह में लगी हराम ।
रोटी तोड़ें बाप की, है नहिं दूजा काम ।
है नहिं दूजा काम, रोज फ़ोकट में तोड़ें ।
बाप रहा फटकार, कहे माँ ठूस निगोड़े ।
भाई राधा-रमण, हमारी किस्मत खोटी ।
चार्वाक प्रभु -शरण, खिलाता रह तू रोटी ।।
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उनके घरों में शायद न होती हैं बेटियाँ
Kailash Sharma
बेटे की टें टें सहो, नहीं *टेंट में माल ।
दाब सके नहिं **टेंटुवा, #टेंकाना दे टाल ।
टेंकाना दे टाल, माल सब हजम कर लिया ।
आँखों की हो जांच, किन्तु नहिं फ्रेम ले दिया ।
रविकर बेटी नीक, युगल परिवार समेटे ।
है संवेदनशील, मस्त अपने में बेटे ।।
*कमर के पास खोंसी हुई धोती
**गला
#सहारा
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साथी *पहली बार जिसे पकड़ा था,वह था मेरा हाथ।और कहा था ,पगले को सब ध्यान है, मिलन-विछोह *अनीह ।
जागृति हर एहसास है, पागल बना मसीह ।
पागल बना मसीह, छुड़ाकर हाथ गए जो ।
बाकी अब भी **सीह, डूब कर स्वयं गया खो ।
साठ वर्ष का साथ, मिलो फिर जीवन अगले ।
पकडूँ फिर से हाथ, मसीहा हम हैं पगले ।।
*बिन चेष्टा
**खुश्बू |
काली-कलुषित नजर से, रहे सुरक्षित नारि |
बने सुरक्षित तंत्र अब, धरे ध्यान परिवारि | धरे ध्यान परिवारि, विसारो पिछली बातें | दुर्घटना से सीख, परख ले रिश्ते नाते | ले उत्तर जह खोज, बनी हर नारि सवाली | अगर करोगे देर, बनेगी ज्वाला काली || |
"नापतोलडॉटकॉम से कोई सामान न खरीदें" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')पूरी की पूरी ख़तम, विरादरी यह धूर्त |धोखा छल कर-वंचना, करें गलत आपूर्त | करें गलत आपूर्त, खर्च विज्ञापन पर कर | लेते अधिक वसूल, फंसे जब रविकर गुरुवर | रहिये सदा सचेत, बना कर रखो दूरी | खाओ रोटी-दाल, तलो मत पापड़-पूरी | |
Very Good Composition.
ReplyDeleteComent by Tab.
देह-दशा हलकान,बजट पड़ती है छोटी
ReplyDeleteभूल नियम,खाता,पेट जब मांगे रोटी
बढिया लिंक्स
ReplyDeleteसन्दर्भों से जुड़ा सामयिक लेखन .बधाई .
ReplyDeletenice links
ReplyDeleteहै नहिं दूजा काम, रोज फ़ोकट में तोड़ें ।
ReplyDeleteबाप रहा फटकार, कहे माँ ठूस निगोड़े ।
बढ़िया रविकर जी !