Er. Shilpa Mehta : शिल्पा मेहता
जली दिमागी बत्तियां, किन्तु हुईं कुछ फ्यूज । बरबस बस के हादसे, बनते प्राइम न्यूज । बनते प्राइम न्यूज, व्यूज एक्सपर्ट आ रहे । शब्द यूज कन्फ्यूज, गालियाँ साथ खा रहे । सड़ी-गली दे सीख, मिटाते मुंह की खुजली । स्वयंसिद्ध *सक सृज्य , गिरे उनपर बन बिजली ।।
*शक्ति
जस्टिस वर्मा को मिले, भाँति-भाँति के मेल ।
रेपिस्टों की सजा पर, दी दादी भी ठेल ।
दी दादी भी ठेल, कत्तई मत अजमाना ।
सही सजा है किन्तु, जमाना मारे ताना ।
जो भी औरत मर्द, रेप सम करे अधर्मा ।
चेंज करा के सेक्स, सजा दो जस्टिस वर्मा ।।
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पेशी ओ-वेशी भड़क, बोले न्यायाधीश ।
बके गालियाँ राम को, लेकिन देख खबीस ।
लेकिन देख खबीस, *राम दो दो हैं आये ।
दे दलील वे किन्तु, जमानत हम ठुकराए ।
नियमबद्ध अन्यथा, एक क्षण भी है वेशी ।
करदूं काम-तमाम, आखिरी होती पेशी ।।
* दोनों वकीलों के नाम में राम
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संतोष त्रिवेदी
जारज-जार बजार सह, सहवासी बेजार | दर्द दूसरे के उदर, तड़पे खुद बेकार | तड़पे खुद बेकार, लगा के भद्र मुखौटा | मक्खन लिया निकाल, दूध पी गया बिलौटा | वालमार्ट व्यवसाय, हुआ सम्पूरण कारज | जारकर्म संपन्न, तड़पती दर दर जारज ||
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Saleem akhter Siddiqui
नक्सल मारे जान से, फाड़ फ़ोर्स का पेट। करवाता बम प्लांट फिर, डाक्टर सिले समेट । डाक्टर सिले समेट, कहाँ मानव-अधिकारी । हिमायती हैं कहाँ, कहाँ करते मक्कारी । चुप क्यूँ हो पापियों, कहाँ चरती है अक्कल ? शत्रु देश नापाक, कहाँ का है तू नक्सल ??
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जली दिमागी बत्तियां, किन्तु हुईं कुछ फ्यूज ।
बरबस बस के हादसे, बनते प्राइम न्यूज ।
बनते प्राइम न्यूज, व्यूज एक्सपर्ट आ रहे ।
शब्द यूज कन्फ्यूज, गालियाँ साथ खा रहे ।
सड़ी-गली दे सीख, मिटाते मुंह की खुजली ।
स्वयंसिद्ध *सक सृज्य , गिरे उनपर बन बिजली ।।
*शक्ति
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अच्छा लिंक संयोजन !!
ReplyDeleteमकर संक्रांति पर बढ़िया कुंडली सद्भावना लिए सभी के लिए .आपको भी मुबारक हो यह मंगल पर्व .
ReplyDeleteबढ़िया लिंक हैं सेतु हैं लिखाड़ पर .लिखाड़ी,सदा अगाड़ी.
सुंदर संयोजन.
ReplyDeleteमकर सक्रांति व लोहड़ी की शुभकामनायें.
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार 15/1/13 को चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका वहां हार्दिक स्वागत है
ReplyDeleteलिंक-लिक्खाड़...है मजेदार..आपको मकर संक्रांति की शुभकामनायें
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