अपराध विज्ञान : हड्डियां भी बतला सकतीं है अपराधी की संभावित उम्र नस्ल और लिंग
Virendra Kumar Sharma
आगे दारुण कष्ट दे, फिर काँपे संसार |
नाबालिग को छोड़ते, जिसका दोष अपार | जिसका दोष अपार, विकट खामी कानूनी | भीषण अत्याचार, करेगा दुष्ट-जुनूनी | लड़-का-नूनी काट, कहीं पावे नहिं भागे | श्रद्धांजली विराट, तख़्त फांसी पर आगे || |
दो आँखें
ऋता शेखर मधु
आँखों में बेचैनियाँ, काँप दर्द से जाय |
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आज दो शेर हाजिर हैं.......पी.सी.गोदियाल "परचेत"
अंधड़ !
तली पकौड़ी चाय हो, हो चूल्हे में आग | प्रेयसी का भी साथ हो, जाय ठण्ड फिर भाग | जाय ठण्ड फिर भाग, लहर लड़-शीत लहर से | गुल लागे गुलगुला, ऊर्जा रात्रि पहर से | रविकर पड़ा अकेल, ठण्ड से आये मितली | दिन में लेता खेल, पकड़ कर गुल की तितली || गुल=कोयले का अंगारा |
प्यार के बोल
Madan Mohan Saxena
चैन अमन हो जहाँ में, है बढ़िया हथियार | है बढ़िया हथियार, अहिंसा से जय होती | बापू बोले सत्य, दुश्मनी अहम् बिलोती | प्यार प्यार बस प्यार, बढ़ाये भाई चारा | मिल बैठें हम चार, लगे माता को प्यारा || |
"चाय और आग" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण)
आगे करके हाथ दो, सेंक रहे हम आग । शीत-लहर कटु गलन अति, जमते नदी तड़ाग । जमते नदी तड़ाग, गर्म कर चाय सुड़कते । रहे आग को खोद, आग फिर भी नहिं भड़के । दिल्ली दुर्जन आग, देह में ऐसी लागे । कर निकृष्टतम पाप, जलें जिन्दा वे आगे ।। |
प्रेम या भ्रमयादें - अमरेन्द्र शुक्ल -अमरछोड़-छाड़ कर क्यूँ यहाँ, करे रोज बदनाम । करे रोज बदनाम, काम का 'पहला' बन्दा । क़तर-व्यौंत कतराय, क़तर मत पर आइन्दा । जारी कर विज्ञप्ति, डाल नजरें फिर प्यारी । रविकर पास प्रमाण, श्रेष्ठ यह प्रेम पुजारी । |
सभी कुण्डलियाँ सार्थक और सटीक हैं।
ReplyDeleteआभार आपका!
हर लिंक को सजाती आपकी कुंडलियाँ बहुत अच्छी है !!
ReplyDeleteवाह ! एक से बढ़कर एक टिप्पणियां !
ReplyDeleteसार्थक टिप्पणियों से सजे लिंक्स...आभार !!
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